बेटी और बहू में क्या है फर्क हमें बतलाओ ना
आकर लालच में दहेज़ के अपनी बहु जलाओ ना
सोचो अपनी गुडिया भी कल जाएगी ससुराल
क्या बीतेगी तुमपे हो जो उसका भी ये हाल
यही सोच के घर आई कन्या को और सताओ ना
आकर लालच में दहेज़ के अपनी बहु जलाओ ना
नई नवेली दुल्हन तो है देवी का अवतार
जिसके दम से ही चलता है ये सारा संसार
कर देगी प्रतिकार इसे इतना मजबूर बनाओ ना
आकर लालच में दहेज़ के अपनी बहु जलाओ ना
इसे मिटा दो ये समाज के माथे पर है दाग
बहु बेटियो को डस लेगा ये दहेज़ का नाग
जान बूझकर स्वारथ का अब इसको दूध पिलाओ ना
आकर लालच में दहेज़ के अपनी बहु जलाओ ना
डॉ राजेश पाण्डेय
फिल्म डाइरेक्टर
मुम्बई