देहरादून: केन्द्रीय पंचायतीराज राज्य मंत्री श्री निहाल चन्द्र द्वारा डाॅ ए.पी.जे अब्दुल कलाम ग्राम बदलाव योजना के अन्तर्गत ग्राम विकास योजना विषय पर राजपूर रोड स्थित अकेता होटल में एक राज्य स्तरीय कार्यशाला का शुभारम्भ किया गया।मा0 केन्द्रीय राज्य मंत्री ने अपने सम्बोधन में कहा कि ग्राम पंचायतों का वास्तविक सशक्तीकरण करने तथा स्थानीय संसाधनों का सर्वोत्तम उपयोग सुनिश्चित करने हेतु केन्द्र सरकार ने ग्राम पंचायतों से सीधा संवाद स्थापित करने हेतु डिजिटल इण्डिया, जैम (जनधन,आधार और मोबाईल), पहल (प्रत्यक्ष हस्तांरतहण लाभ) जैसी जनपयोगी योजनाओं तथा 14 वें वित्त आयोग में ग्राम पंचायतों को केन्द्र से सीधे वित्तीय हस्तान्तरण की व्यवस्था की है। उन्होने कहा कि इसी क्रम में गत 22 सितम्बर 2015 को विकासनगर विकासखण्ड की सौरना ग्राम पंचायत से उत्तराखण्ड में डिजिटलीकरण की शुरूआत की है, साथ ही उत्तराखण्ड की ग्राम पंचायतों को 19 सौ करोड़ रू0 काम करने हेतु सीधे वितरित करने को वचनबद्ध है। उन्होने कहा कि केन्द्र द्वारा ग्राम पंचायतों को निर्गत धनराशि राज्य सरकार को 15 दिन के भीतर ग्राम पंचायतों को हेंडओवर करना अनिवार्य कर दिया है तथा 14 वें वित्त आयोग में राज्य वित्त की धनराशि 32 प्रतिशत् से बढाकर 42 प्रतिशत् कर दी गयी है साथ ही ग्राम पंचायतों के विकास की सम्पूर्ण जिम्मेदारी ग्राम पंचायत को प्रदान कर दी गयी है जिससे आने वाले समय में ग्राम पंचायत में एक मजबूत इन्फ्रास्ट्रक्चर निर्मित होगा। उन्होने कहा कि प्रत्येक ग्राम पंचायत को अपना पंचवर्षीय कार्ययोजना निर्मित करनी होगी तथा इसके लिए केन्द्र सरकार राज्य सरकार के माध्यम से सम्पादित होने वाली कार्यो के लिए आवश्यक धनराशि की हर सम्भव मदद करने के लिए तैयार है। उन्होने राज्य सरकार से प्रदेश में पंचायतीराज अधिनियम शीघ्र ही अमल में लाने की अपेक्षा की है जिससे ग्राम पंचायत वास्तव में ग्राम सरकार के रूप सशक्त हो सकें।
इस अवसर पर केन्द्रीय संयुक्त सचिव पंचायतीराज श्रीमती शारदा मुरलीधरन ने अपने सम्बोधन में कहा कि अधिकारियों/कर्मचारियों को ग्राम पंचायतों के विकास में केवल फैसिलिटेटर (संसाधन उपलब्ध कराने वाले) की भूमिका निभानी होगी तथा उन्हे केवल ग्रामीण जनता को सक्षम बनाना होगा तथा निर्णायक भूमिका से दूरी रखनी होगी। उन्होने कहा कि कार्ययोजना धरातल की वस्तुस्थिति तथा विभिन्न प्राथमिकताएं तय करके बनाई जायें तथा प्रत्येक वर्ष उसकी समीक्षा की जाये, जिससे आवश्यक बदलाव व अन्य सुधार अमल में लाये जा सकें। उन्होने उपस्थित सदस्यों से पंचायतीराज अधिनियम तथा 14 वें वित्त आयोग में फण्डिग पैटर्न में आये बदलाव की जानकारी तथा उनके सुझाव भी साझा किये ।