भारत ने परिवार नियोजन के महत्व को जल्दी ही समझ लिया और 1952 में राष्ट्रीय परिवार नियोजन कार्यक्रम शुरू करने वाला पहला देश बन गया था ।” केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण राज्य मंत्री डॉ. भारती प्रवीण पवार ने आज यहां राष्ट्रीय परिवार नियोजन शिखर सम्मेलन, 2022 की अध्यक्षता करते हुए यह बात कही। माननीय प्रधान मंत्री के आत्म निर्भर भारत की परिकल्पना के अनुरूप, शिखर सम्मेलन का विषय “सतत प्रयास, सहभागिता को आगे ले जाना , परिवार नियोजन में भविष्य की योजना को साकार रूप देना – सबका साथ, सबका विश्वास, सबका प्रयास और सबका विकास ” था ।
इस अवसर पर अपने सम्बोधन में डॉ पवार ने कहा कि “भारत ने प्रतिस्थापन स्तर की ऐसी प्रजनन क्षमता प्राप्त कर ली है, जिससे 31 राज्यों / केंद्रशासित प्रदेशों को 2.1 या उससे कम की कुल प्रजनन दर मिल गई है और इससे आधुनिक गर्भनिरोधक उपयोग 56.5% (एनएफएचएस 5) तक बढ़ गया है । उन्होंने यह भी कहा कि “एनएफएचएस -5 डेटा अंतराल विधियों की ओर एक समग्र सकारात्मक बदलाव दिखाता है जो मातृ और शिशु मृत्यु दर और रुग्णता को सकारात्मक रूप से प्रभावित करने में सहायक सिद्ध होगा।” केंद्रीय मंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि मिशन परिवार विकास ( एमपीवी ) 2016 ने राष्ट्रीय परिवार नियोजन कार्यक्रम को और गति दी है। इस योजना के तहत, नई पहल किट के वितरण, सास बहू सम्मेलन और सारथी वैन जैसी नवीन रणनीतियां विभिन्न समुदायों तक पहुंचने और परिवार नियोजन, स्वस्थ जन्म अंतर एवं छोटे परिवारों के महत्व पर परस्पर संवाद शुरू करने में सहायता कर रही हैं । उन्होंने आगे कहा कि “ 17 लाख से अधिक नई पहल किट नवविवाहितों को वितरित की गई हैं, 7 लाख से अधिक सास बहू सम्मेलन आयोजित किए गए हैं और 32 लाख से अधिक लाभार्थियों को शुरुआत ही से सारथी वैन के माध्यम से परामर्श दिया गया है। इन प्रयासों के कारण ही एनएफएचएस-5 के आंकड़े सभी एमपीवी राज्यों में आधुनिक गर्भनिरोधकों के उपयोग में पर्याप्त वृद्धि और अधूरी रह गई जरूरतों में कमी को दर्शाते हैं ।
मंत्री महोदय ने इस बात पर प्रकाश डाला कि भारत एफपी 2020 का एक महत्वपूर्ण सदस्य है और जिसे अब एफपी 2030 साझेदारी में बदल दिया गया है। उन्होंने बताया कि इस साझेदारी के लिए भारत की प्रतिबद्धता के एक हिस्से के रूप में परिवार नियोजन कार्यक्रम में 3 अरब अमरीकी डालर का निवेश किया गया है। उसने आगे कहा कि ” 2012 और 2020 के बीच भारत ने आधुनिक गर्भ निरोधकों के लिए 1.5 करोड़ से अधिक अतिरिक्त उपयोगकर्ता जोड़े जिससे आधुनिक गर्भनिरोधकओं के उपयोग में काफी वृद्धि हुई है “। कार्यक्रम के दौरान मंत्री महोदय ने भारत परिवार नियोजन 2030 दृष्टि दस्तावेज ( विजन डॉक्यूमेंट ) का भी अनावरण किया और डिजिटल हस्तक्षेप की श्रेणी के अंतर्गत चिकित्सा पात्रता मानदंड (एमईसी) चक्रीय अनुप्रयोग (व्हील एप्लीकेशन), परिवार नियोजन व्यवस्था प्रबंधन प्रणाली (एफपीएलएमआईएस) का ई-मॉड्यूल और परिवार नियोजन पर डिजिटल संग्रह का शुभारंभ किया । . समुदायों को का सशक्तिकरण करने एवं समावेशी सेवाएं प्रदान करने के लिए सरकार की अटूट प्रतिबद्धता दिखाने के लिए डॉ पवार ने राष्ट्रीय परिवार नियोजन हेल्पलाइन नियमावली (मैनुअल), सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी (सीएचओ) पुस्तिका, और आशा ब्रोशर एवं परिवार नियोजन पर पत्रक (लीफलेट्स) भी जारी किए ।
डॉ पवार ने जमीनी स्तर के स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं की सराहना करते हुए उन्हें ” ऐसे नायक ( चैंपियन )” बताया जिनके निरंतर प्रयास इस कार्यक्रम की सफलता के लिए महत्वपूर्ण हैं । उन्होंने राज्यों को पुरुष भागीदारी, दो बच्चों के बीच जन्म अन्तराल की विधियों , स्व-देखभाल के तरीकों, प्रसवोत्तर अंतर्गर्भाशयी गर्भनिरोधक उपकरण ( पोस्टपार्टम इंट्रायूटेराइन कंट्रासेप्टीव डिवाइस – पीपीआईयूसीडी ) और इंजेक्शन के माध्यम से दिए जाने योग्य एमपीए की श्रेणियों के तहत सम्मानित किया। डॉक्टरों (पुरुष और महिला नसबंदी की श्रेणियों के तहत), नर्सों (पीपीआईयूसीडी और इंजेक्शन योग्य एमपीए की श्रेणियों के तहत), स्वास्थ्य और कल्याण केंद्रों को परिवार नियोजन में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन के लिए और आशा कार्यकर्ताओं को पुरुष नसबंदी के लिए पात्रों को प्रेरित करने के लिए सेवा प्रदाता पुरस्कार प्रदान किए गए। केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव, श्री राजेश भूषण ने कहा कि भारत में परिवार नियोजन कार्यक्रम अब सात दशक से अधिक पुराना है और इस अवधि में, भारत ने जनसंख्या नियंत्रण की अवधारणा से जनसंख्या स्थिरीकरण की अवधारणा में एक ऐसा अंतर्निहित बदलाव देखा है जो निरंतर देखभाल के सामंजस्य को सुनिश्चित करने की दिशा में चल रहा है । इस संदर्भ में उन्होंने तीन विषयगत क्षेत्रों को रेखांकित किया । हालांकि भारत ने प्रतिस्थापन स्तर की प्रजनन क्षमता हासिल कर ली है, फिर भी सबसे पहले प्रजनन आयु वर्ग में एक महत्वपूर्ण आबादी ऐसी है जिसे अब हमारे हस्तक्षेप प्रयासों के केंद्र में रहना चाहिए। दूसरे, भारत का ध्यान अभी तक परंपरागत रूप से आपूर्ति पक्ष यानी प्रदाताओं और वितरण प्रणालियों पर रहा है। उन्होंने इस बात का उल्लेख किया कि अब समय मांग पक्ष पर ध्यान केंद्रित करने का है और जिसमें परिवार, समुदाय और समाज शामिल हैं । उन्होंने कहा कि इस ध्यान देने से ” अब क्रमिक बदलाव के बजाय महत्वपूर्ण बदलाव किया जाना संभव है । ” राज्यों को मिशन परिवार विकास के तहत समुदाय आधारित योजना के प्रावधानों का लाभ उठाने के लिए विशेष प्रयास करने चाहिए तथा इन्हें और अधिक परिष्कृत करना चाहिए। और अंत में, परिवार नियोजन सेवा प्रदाताओं के पूल को ज्ञान, कौशल और नवीन सेवाओं के माध्यम से एफपी 2030 के अंतर्गत हमारी प्रतिबद्धता को पूरा करने की अपनी क्षमता को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभानी चाहिए।उन्होंने आगे कहा कि “एक सक्षम और उचित रूप से प्रशिक्षित कार्यबल हमारे परिवार नियोजन प्रयास की नींव होना चाहिए। इससे हमारी सेवाओं की गुणवत्ता में वृद्धि ही होगी ”।
इस अवसर पर स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव और मिशन निदेशक (एनएचएम), सुश्री रोली सिंह , सलाहकार एफपी और एमएच डॉ एस के सिकदर एवं विभिन्न विकास भागीदारों के प्रतिनिधि भी उपस्थित थे।