केन्द्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण राज्य मंत्री डॉ. भारती प्रवीण पवार ने आज यहां जनसंख्या, मानव पूंजी और सतत विकास (स्वस्थ लोग-स्वस्थ भविष्य) विषय पर संगोष्ठी का उद्घाटन और अध्यक्षता की। उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय स्थित आर्थिक विकास संस्थान में एक डिजिटल पॉपुलेशन क्लॉक का भी उद्घाटन किया। केन्द्रीय मंत्री ने इस कार्यक्रम में डॉ. दीपांजलि हलोई और डॉ सुरेश शर्मा द्वारा लिखित “असम में शिशु और बाल मृत्यु दर- जनसांख्यिकी और सामाजिक-आर्थिक अंतर्संबंध” नामक एक पुस्तक और एक एचएमआईएस ब्रोशर/रेडी रेकनर का विमोचन किया।
श्री गणेश चतुर्थी के शुभ अवसर पर सभी को बधाई देते हुए, डॉ पवार ने जनसंख्या पर अधिक चर्चा और जागरूकता की आवश्यकता के बारे में बातकी, क्योंकि अनुमान के अनुसार भारत 2027 तक सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश बनने की ओर अग्रसर है। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय देश भर में स्वास्थ्य के बुनियादी ढांचे को मजबूत करने और “सभी के लिए स्वास्थ्य” के प्रधानमंत्री के सपने को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध है।
डॉ. पवार ने कहा, “जनसंख्या नीति में जनसंख्या को स्थिर करने का इरादा होना चाहिए और इसके लिए वृहद और लघु(मैक्रो एवं माइक्रो) दोनों दृष्टिकोण की आवश्यकता है। सरकार यह सुनिश्चित कर रही है कि सभी को स्वच्छ ईंधन, घर, स्वच्छ पानी और स्वास्थ्य देखभाल मिले। यह बताते हुए कि सार्वजनिक वस्तुओं के वितरण और पहुंच में जनसंख्या का अनुमान कितना महत्वपूर्ण है, उन्होंने समकालीन मुद्दों पर अनुसंधान करने में जनसंख्या अनुसंधान केंद्र (पीआरसी) की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला।
स्वास्थ्य मंत्री ने पीआरसी द्वारा किए गए व्यापक अध्ययन की सराहना की, जो नीति निर्माण और योजनाओं के मूल्यांकन में मदद करते हैं। उन्होंने कहा कि पीआरसी ने भारत के सभी स्वास्थ्य और कल्याण केन्द्रों का दौरा किया है। उन्होंने कहा कि किस प्रकार जनसंख्या अनुसंधान केन्द्र भारत सरकार के लक्ष्य, कायाकल्प और आयुष्मान भारत जैसे विभिन्न प्रमुख कार्यक्रमों की निगरानी में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की मदद कर सकते हैं।
डॉ पवार ने कहा कि पॉपुलेशनक्लॉक सभी के लिए फायदेमंद होगी, क्योंकि यह पूरे देश की जनसंख्या का एक इंटरैक्टिव और त्वरित अवलोकन प्रदान करती है। उन्होंने कहा कि पॉपुलेशन क्लॉक भारत की जनसंख्या का मिनट दर मिनट अनुमान प्रदान करेगी। यह कुल प्रजनन दर, शिशु मृत्यु दर और मातृ मृत्यु दर के संबंध में डेटा कैप्चर करने में भी मदद करेगी। उन्होंने आशा व्यक्त करते हुए कहा कि यह घड़ी अनुसंधान में महत्वपूर्ण होने के साथ-साथ युवा पीढ़ी में जागरूकता पैदा करने में सक्षम होगी।
महानिदेशक (सांख्यिकी)सुश्री संध्या कृष्णमूर्ति, उप महानिदेशक (सांख्यिकी) श्री डी. के. ओझाऔर स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे।