28 C
Lucknow
Online Latest News Hindi News , Bollywood News

डॉ. भारती प्रवीण पवार ने राष्ट्रीय ऑक्सीजन प्रबंधन कार्यक्रम का उद्घाटन किया

देश-विदेश

जनस्वास्थ्य के क्षेत्र में प्राणों की रक्षा करने में मेडिकल ऑक्सीजन की भूमिका तथा मेडिकल ऑक्सीजन के प्रबंधन में स्वास्थ्य कर्मियों के क्षमता-निर्माण की आवश्यकता को देखते हुये, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्यमंत्री डॉ. भारती प्रवीण पवार ने आज नई दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में राष्ट्रीय ऑक्सीजन प्रबंधन कार्यक्रम का उद्घाटन किया।

इस पहल का उद्देश्य है कि ऑक्सीजन प्रबंधन और प्रशासन के कार्य में संलग्न हर स्वास्थ्यकर्मी को जरूरी ज्ञान तथा कौशल प्रदान किया जाये, ताकि मेडिकल ऑक्सीजन का तर्कसंगत इस्तेमाल सुनिश्चित हो सके और ऑक्सीजन की बरबादी न हो, खासतौर से तब, जब संसाधनों पर दबाव के हालात बन जाते हैं। इस पहल के तहत देशभर के हर जिले में कम से कम एक ऑक्सीजन प्रबंधककी पहचान करने और उसे प्रशिक्षित करने की परिकल्पना की गई है। ये प्रशिक्षित पेशेवर लोग ऑक्सीजन थेरेपी में प्रशिक्षण का नेतृत्व करने, अपने-अपने जिलों में ऑक्सीजन प्रबंधन, ऑक्सीजन आपूर्ति का हिसाब-किताब देखने तथा हर ऑक्सीजन की अचानक बढ़ती मांग के लिये हमेशा तैयार रहने की जिम्मेदारी पूरी करेंगे।

इस अवसर पर डॉ. पवार ने कहा, “ऑक्सीजन जीवन रक्षक है और कोविड-19 के अलावा अन्य कई बीमारियों के उपचार के लिये बहुत महत्वपूर्ण है। देश ने देखा था कि महामारी के दौरान ऑक्सीजन की मांग कितनी बढ़ गई थी। इसलिये, ऑक्सीजन का तर्कसंगत इस्तेमाल जरूरी हो गया है और यही वक्त की मांग भी है।”

ऑक्सीजन की उपलब्धता बढ़ाने के विषय में सरकार के प्रयासों के बारे में डॉ. पवार ने कहा, “भारत सरकार ने 1500 से अधिक प्रेशर स्विंग एडसॉर्पशन (पीएसए) ऑक्सीजन जेनरेशन संयंत्रों को मंजूरी दी है, जिनमें से 1463 चालू हो चुके हैं। इनमें से 1225 पीएसए संयंत्रों को पीएमकेयर्स निधि के तहत देश के हर जिले में लगाया गया है।”उन्होंने बताया कि राज्यों से कहा गया है कि वे जनस्वास्थ्य केंद्रों में पीएसए संयंत्र लगायें और निजी स्वास्थ्य केंद्रों पर पीएसए संयंत्र लगाने में सहयोग करें।

ऑक्सीजन प्रबंधन कार्यक्रम पर डॉ. पवार ने कहा कि इससे “आवश्यक ज्ञान और कौशल पर ध्यान देकर ऑक्सीजन थेरेपी में हमारे स्वास्थ्य कर्मियों की कुशलता में बढ़ोतरी होगी।” उन्होंने कहा कि इससे हमारे प्रतिभागियों को प्रशिक्षण मिलेगा कि ऑक्सीजन की बरबादी या उसके अधिक इस्तेमाल से कैसे बचा जाये, खासतौर से उस समय जब संसाधनों पर दबाव हो, जिसमें ऑक्सीजन संकट के समय की चुनौतियां शामिल हैं। उन्हें यह भी सीखने को मिलेगा कि किस तरह आगे की संकटकालीन परिस्थितियों को टाला जा सकता है।

नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) डॉ. वीके पॉल ने कहा कि सभी देशों को संसाधनों पर दबाव झेलना पड़ता है, लेकिन जरूरी यह है कि उपलब्ध संसाधनों का युक्तिसंगत तरीके से इस्तेमाल किया जाये। इस तरह का प्रयास करने के लिये उन्होंने उपरोक्त पहल का स्वागत किया कि उसके अंतर्गत ऑक्सीजन प्रशासन को कारगर बनाना सुनिश्चित किया जा रहा है। उन्होंने हाल में ही आरंभ किये गये “ऑक्सीकेयर” डैशबोर्ड की चर्चा की और कहा कि यह ऑक्सीजन प्रशासन की दिशा में एक और महत्‍वपूर्ण पहल है।

स्वास्थ्य सचिव श्री राजेश भूषण ने कहा कि कोविड-19 ने न केवल मेडिकल ऑक्सीजन की मांग को बढाया, बल्कि उसकी समय पर आपूर्ति की जरूरत पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा केंद्र सरकार ऑक्सीजन उत्पादन और आपूर्ति प्रणाली को मजबूत करने के लिये राज्यों की सहायता कर रही है। साथ ही ऑक्सीजन के प्रशासन में जो जानकार लोग लगे हैं, उनके प्रशिक्षण में कुछ फर्क भी नजर आया था। उन्होंने जोर देकर कहा कि इस कार्यशाला का लक्ष्य है “पुनरुद्देश्य निर्धारण, पुनर्स्थापना और मौजूदा श्रमशक्ति का कौशल विकास”, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि महामारी के दौरान कोई संकटकालीन स्थिति आती है, तो व्यवस्था पर बिना किसी दबाव के उससे पेशेवर तरीके से कैसे निपटा जा सकता है।

इस अवसर पर स्वास्थ्य मंत्रालय के सहायक सचिव डॉ. मनोहर अगनानी, राष्ट्रीय चिकित्सा परिषद के अध्यक्ष डॉ. सुरेश चंद्र शर्मा, एम्स नई दिल्ली के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया और स्वास्थ्य मंत्रालय के शीर्ष पदाधिकारी भी उपस्थित थे।

Related posts

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More