केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री डॉ. हर्ष वर्धन ने आज “कोविड-19 महामारी: डब्ल्यूएचओ पूर्वी भूमध्य क्षेत्र में स्वास्थ्य सुरक्षा और शांति के लिए एक अपील” पर एक वर्चुअल कॉन्फ्रेंस को संबोधित किया।
नोवल कोरोनवायरस के एक साल के प्रकोप, जब कोविड-19 को अंतरराष्ट्रीय जोखिम वाला सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल घोषित किया गया था, को याद करते और सभी को यह याद दिलाते हुए कि कैसे महामारी ने दिखाया है कि जब तक हम सभी सुरक्षित नहीं हैं, तब तक कोई भी सुरक्षित नहीं है, डॉ. हर्ष वर्धन ने कहा, “महामारी ने स्वास्थ्य के विभिन्न पहलुओं पर देशों के बीच और अधिक सहयोग की जरूरत को रेखांकित किया है। इसलिए, पूरी दुनिया भर में स्वास्थ्य व्यवस्थाओं को मजबूत बनाने में मदद करने के लिए हमारे अनुभवों, हमारे ज्ञान, हमारे नवाचारों के साथ-साथ कार्य करने के हमारे सर्वोत्तम तरीकों (बेस्ट प्रैक्टिसेज) को आपस में साझा करना बेहद जरूरी है। हमें निश्चित तौर पर यह स्वीकार करना चाहिए कि वैश्विक संकट के ऐसे समय में, जोखिम प्रबंधन और निवारण दोनों को ही ज्यादा गहरी वैश्विक साझेदारी की जरूरत है, ताकि वैश्विक सार्वजनिक स्वास्थ्य में रुचि और निवेश को दोबारा सक्रिय किया जा सके। हमें अपने संसाधनों को जोड़कर एक-दूसरे की क्षमता को बढ़ाते हुए चुनौतियों पर जीत हासिल करने की भी जरूरत है।”
इस घातक वायरस के खिलाफ लड़ाई में भागीदारीपूर्ण प्रयास के महत्व पर बोलते हुए, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने कहा, ‘कोविड-19 ने हमें एक महत्वपूर्ण सबक सिखाया है कि तैयारी करने की लागत महामारी से आने वाले प्रभाव का अंश मात्र होती है, लेकिन इस पर निवेश का प्रतिफल कई गुना ज्यादा होता है। जैसा कि हम जानते हैं कि इस महामारी ने जीवन को अस्त-व्यस्त कर दिया है, लेकिन इसने हम सभी को भविष्य के लिए ज्यादा लचीलापन लाने और बेहतर ढंग से तैयार होने के लिए प्रत्यक्ष अनुभवों का सबक भी दिया है। लेकिन हम सभी को निश्चित तौर पर यह समझना और सहमत होना चाहिए कि साझा चुनौतियों को साझा प्रयासों से ही दूर किया जा सकता है। कोई भी देश अलग-थलग रहकर न तो तैयार हो सकता है और न ही सुरक्षित रह सकता है।’
डॉ. हर्ष वर्धन ने कोविड-19 महामारी से पैदा हुई चुनौतियों का प्रबंधन करने के लिए “समग्र सरकार” दृष्टिकोण की विशेषता वाली भारत की पूर्व-सतर्क, पूर्व-सक्रिय और क्रमबद्ध प्रतिक्रिया के बारे में बताया। भारत के संघीय ढांचे और उसके बाद सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली को देश के कोने-कोने तक फैली विविधता के चलते कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने इस बात को भी रेखांकित किया कि इसे ध्यान में रखते हुए, भारत का महामारी प्रबंधन केंद्रीकृत निगरानी, लेकिन विकेंद्रीकृत कार्यान्वयन के दृष्टिकोण पर आधारित था। उन्होंने कहा कि महामारी की प्रभावी निगरानी के लिए, भारत ने वायरस के खिलाफ हमारी लड़ाई में फुर्तीलापन बढ़ाने और प्रयासों को मजबूत करने के लिए केंद्र के साथ-साथ राज्यों के स्तर पर डिजिटल कोविड वॉर रूम बनाया है। उन्होंने कहा, “कोविड-19 के खिलाफ हमारी लड़ाई के सबसे महत्वपूर्ण पहलुओं में से एक पक्ष अग्रिम पंक्ति के स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं का केंद्रीकृत प्रशिक्षण और विभिन्न माध्यमों से जनता तक लगातार प्रमाणित जानकारियां पहुंचाना था, ताकि कोविड-19 के बारे में गलत धारणाओं को दूर किया जा सके और कोविड से बचाने वाले उपयुक्त व्यवहार के बारे में जन-जागरूकता फैलाई जा सके।”
मंत्री ने सतर्कता, रसद-आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन, चिकित्सा उपकरणों और नैदानिक प्रबंधन के अन्य पक्षों से संबंधित तकनीकी नवाचारों के संदर्भ में कोविड-19 महामारी से निपटने की भारत की प्रतिक्रिया पर प्रकाश डाला, जिन्हें कोविड-19 की प्रतिक्रिया, जैसे कोविड इंडिया पोर्टल, आईसीएमआर पोर्टल, आरटी-पीसीआर ऐप, सुविधा ऐप, आरोग्य सेतु ऐप, आईटीआईएचएएस ऐप, टेलीमेडिसिन (कोविड और गैर-कोविड सेवाओं के लिए), में शामिल किया गया है। महामारी के दौरान स्वास्थ्य सेवाओं की निरंतरता सुनिश्चित करने के लिए, एक राष्ट्रव्यापी टेलीमेडिसिन सेवा (ई-संजीवनी ओपीडी एप्लीकेशन) को शुरू किया गया और जिसके माध्यम से 14 महीनों की छोटी अवधि में, भारत में 28 राज्यों में 50 लाख से ज्यादा परामर्श दिए जा चुके हैं।
टीकाकरण की जरूरत को रेखांकित करते हुए, मंत्री ने कहा कि “टीकाकरण, बीमारी की रोकथाम के लिए एक महत्वपूर्ण रणनीति है और महामारी के प्रभाव को घटाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। भारत ने इस साल 16 जनवरी को कोविड-19 के खिलाफ दुनिया का सबसे बड़ा टीकाकरण अभियान शुरू किया था। कोविड-19 टीके के भंडार का प्रबंधन करने और वैक्सीन की आपूर्ति के लिए बनाए गए को-विन प्लेटफॉर्म के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए भारत ने बड़े पैमाने पर डिजिटल तकनीकि का उपयोग किया है। भारत ने मानवीय पहल ‘वैक्सीन मैत्री’ के तहत अनुदान के रूप में टीके उपलब्ध कराते हुए विभिन्न देशों के साथ द्विपक्षीय आधार पर काम किया है। इस पहल के तहत भारत ने ओमान को भी वैक्सीन की एक लाख खुराक की आपूर्ति की है।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने रेखांकित किया कि भूगोल, इतिहास और संस्कृति के आधार पर जुड़ा ओमान भारत का महत्वपूर्ण रणनीतिक साझेदार है और उसके साथ जोशीले और सौहार्दपूर्ण संबंध हैं। स्वास्थ्य देखभाल के क्षेत्र में, भारत और ओमान ने पहले ही संयुक्त कार्य समूह के माध्यम से अनुभवी तंत्र स्थापित किया है।
डॉ. हर्ष वर्धन ने यह भी बताया कि तेजी से होने वाले शहरीकरण से न केवल बड़े पैमाने पर गैर-संचारी और संचारी रोगों को बढ़ावा मिला है, बल्कि सार्वजनिक स्वास्थ्य के सामने दूसरे खतरे भी पैदा हुए हैं। इस प्रकार उन्होंने स्वास्थ्य के विभिन्न पहलुओं पर देशों के बीच अधिकाधिक सहयोग लेने की जरूरत और स्वास्थ्य व्यवस्थाओं को मजबूत करने के लिए अनुभव, ज्ञान और नवाचारों के साथ-साथ काम करने बेहतर तौर-तरीकों को भी साझा करने पर जोर दिया। उन्होंने सुझाव दिया कि हमारे कार्यक्रमों को निश्चित तौर पर एक ऐसी दुनिया, जिसका बड़ा हिस्सा तेजी से बदलने वाली वास्तविकताओं से तय व परिभाषित होता है, में काम करने के लिए बनाना चाहिए और जो सार्वजनिक स्वास्थ्य के सामने अचानक आने वाली महामारी जैसे खतरों का सामना करने के लिए भी बेहतर ढंग से सुसज्जित हो। अंत में उन्होंने कहा कि भारत दुनिया भर में “सभी के लिए स्वास्थ्य” के लिए अथक अभियान के लिए प्रतिबद्ध है क्योंकि हमारा मानना है कि पूरी दुनिया एक है और वैश्विक सहयोग को बढ़ाने के प्रयासों को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।