केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने आज वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिये डिजिटल तरीके से ‘परिवार नियोजन 2020: भविष्य के लिए बदलाव, प्रगति का जश्न’ नामक एक उच्चस्तरीय वर्चुअल कार्यक्रम को संबोधित किया। इस कार्यक्रम का उद्देश्य एफपी-2020 साझेदारी का जश्न मनाना, 2019-2020 के लिए वार्षिक प्रगति रिपोर्ट जारी करना और साझेदारी के अगले चरण के लिए प्रतिबद्धता प्रक्रिया को शुरू करना था।
डॉ. हर्षवर्धन ने अपने संबोधन के आरंभ में परिवार नियोजन 2020 साझेदारी का जश्न मनाने वाले इस महत्वपूर्ण कार्यक्रम का हिस्सा बनने के लिए आभार व्यक्त किया और दर्शकों को याद दिलाया कि भारत ने परिवार नियोजन 2020 साझेदारी की अपनी सदस्यता को हमेशा महत्व दिया है। उन्होंने गठबंधन द्वारा दुनिया भर में परिवार नियोजन सेवाओं को मजबूत करने के लिए किए गए अमूल्य प्रयासों की भी सराहना की।
परिवार नियोजन के लिए भारत की प्रतिबद्धता के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा, ‘आज मेरी प्रिय मातृभूमि भारत का 72वां गणतंत्र दिवस है। मुझे इस बात पर भी गर्व है कि 1952 में भारत ने राष्ट्रीय परिवार नियोजन कार्यक्रम को तैयार करने वाले दुनिया के शुरुआती देशों में से एक था। बाद में इस कार्यक्रम का विस्तार मातृ एवं बाल स्वास्थ्य के साथ-साथ किशोर स्वास्थ्य और पोषण के लिए किया गया। उसके बाद भारत ने अपने नागरिकों के लिए स्वस्थ जीवन सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण प्रगति की है।’
परिवार नियोजन के क्षेत्र में किए जा रहे विभिन्न प्रयासों के बीच तालमेल बिठाने में भारत को उत्साहित करने के लिए गठबंधन की सराहना करते हुए उन्होंने कहा, ‘इस साझेदारी ने सदस्य देशों के बीच नए गर्भ निरोधकों के साथ-साथ आम आबादी के द्वारा परिवार नियोजन सेवाओं को अपनाने में तेजी लाने के लिए सर्वोत्तम प्रथाओं के अनुपालन संबंधी ज्ञान के आदान-प्रदान में उल्लेखनीय भूमिका निभाई है।’
डॉ. हर्षवर्धन ने परिवार नियोजन में भारत के उद्देश्यों को पूरा करने में मदद करने के लिए एफपी साझेदारी के महत्व को रेखांकित किया। भारत ने देश में गर्भनिरोधकों की उपलब्धता में सुधार लाने के लिए परिवार नियोजन 2020 के अपने लक्ष्य को हासिल कर लिया है। इसी क्रम में आधुनिक गर्भनिरोधक के उपयोग की स्वीकार्यता 55 प्रतिशत तक पहुंच चुकी है। देश ने परिवार नियोजन सेवाओं को मजबूत करने के लिए 2020 तक 3 अरब अमेरिकी डॉलर से अधिक के निवेश की अपनी प्रतिबद्धता को पूरा कर लिया है। गर्भनिरोधकों की टोकरी में इंजेक्टेबल और सेंटक्रोमैन दवा को शामिल करते हुए उसका विस्तार किया गया है और अब तक इंजेक्टेबल गर्भनिरोधक की लगभग 40 लाख खुराक का इस्तेमाल किया गया है। पोस्ट-पार्टम इंट्रा-यूटेरिन कॉन्ट्रासेप्टिव डिवाइस से करीब 1 करोड गर्भवती महिलाएं भी लाभान्वित हो रही हैं।
भारत की उपलब्धियों के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा, ‘गर्भनिरोधकों की गुणवत्ता में सुधार, व्यापक आईईसी अभियानों के जरिये गर्भनिरोधक की मांग में वृद्धि और मिशन परिवार विकास के माध्यम से उच्च प्रजनन वाले जिलों पर केंद्रित हस्तक्षेप देश की उल्लेखनीय उपलब्धियों में शामिल हैं। परिणामस्वरूप हमने पिछले कुछ वर्षों के दौरान प्रजनन और मातृ मृत्यु दर में उल्लेखनीय गिरावट दर्ज की है। हम 2030 तक गर्भनिरोधकों की पूरी न की जा सकने वाली जरूरतों को कम करने का प्रयास जारी रखेंगे।’
डॉ. हर्षवर्धन ने परिवार नियोजन भागीदारी के अगले चरण में भारत के प्रस्तावित योगदान के बारे में बताते हुए कहा, ‘हमने महसूस किया है कि सहयोग को आगे बढ़ाना, कहीं अधिक केंद्रित दृष्टिकोण और युवाओं की जरूरतों को पूरा करना काफी महत्वपूर्ण होगा। भारत इस वैश्विक एजेंडे के प्रति प्रतिबद्ध है। इस प्रकार नए दृष्टिकोण के साथ इसे कार्यान्वित करना इसका मुख्य उद्देश्य है और हमें प्रत्येक बच्चे की जरूरत है, प्रत्येक जन्म सुरक्षित होना चाहिए और प्रत्येक लड़की एवं महिला को सम्मान दिया जाना चाहिए।‘