केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने आज यहां वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से राष्ट्रमंडल देशों के स्वास्थ्य मंत्रियों की 33वीं बैठक, जिसका विषय “कोविड-19 के खिलाफ राष्ट्रमंडल देशों की प्रतिक्रिया: टीकों तक समान पहुंच सुनिश्चित करना और स्वास्थ्य प्रणालियों एवं आपात स्थितियों के लिए लचीलापन पैदा करना”, के उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता की।
इस महामारी के कारण हुई तबाही पर अफसोस जताते हुए उन्होंने कहा कि “इस महामारी की वजह से हमें पहले ही सैकड़ों अरब डॉलर की आर्थिक कीमत चुकानी पड़ी है, जिससे वैश्विक अर्थव्यवस्था में एक व्यापक संकुचन आया है। इससे उबरने की राह भले ही कठिन होगी और यह तभी गति पकड़ेगी जब पूरी दुनिया इस महामारी को एक साथ हराने में सक्षम हो जायेगी।” उन्होंने आगे के रास्ते के बारे में अपने विचार साझा करते हुए कहा कि “हमें इस बात को स्वीकार करना चाहिए कि यदि किसी भी देश या क्षेत्र में इस महामारी का खतरा बना रहता है, तो यह पूरी दुनिया में फैलने और उसे अपनी जकड़ में लेने की क्षमता रखता है। दुनिया का कोई भी देश सुरक्षित नहीं रह सकता!” उन्होंने उन प्रत्येक परिवार के प्रति अपनी हार्दिक संवेदना व्यक्त की, जिन्होंने कोविड की वजह से अपने किसी प्रियजन को खोया है।
डॉ. हर्षवर्धन ने कोविड-19 का मुकाबला करने की वैश्विक रणनीति के प्रति भारत के रुख की व्याख्या इस प्रकार की: “रोकथाम की राष्ट्रीय रणनीतियों का निर्माण बड़े पैमाने पर आबादी के व्यापक टीकाकरण के साथ-साथ संक्रमण के मामलों की शुरुआती चरण में ही जांच, आइसोलेशन और उपचार के इर्द-गिर्द पर किया गया है। हालांकि, महामारी को कारगर तरीके से खत्म करने के लिए कोविड-19 के टीकों को अधिक मात्रा में विकसित करने की जरूरत है और एक बार इस वायरस के खिलाफ सुरक्षित और प्रभावकारी साबित होने के बाद, इन टीकों को दुनियाभर में तेजी से वितरित किया जाना चाहिए। इस संदर्भ में विश्व स्वास्थ्य संगठन के नेतृत्व वाली पहल ‘एक्सेस टू कोविड-19 टूल्स (एसीटी) एक्सेलेरेटर’ एक अनूठी वैश्विक साझेदारी साबित हुई है, जोकि कोविड-19 से जुड़ी जांचों, उपचारों और टीकों के विकास, उत्पादन एवं उसतक तर्कसंगत पहुंच की प्रक्रिया में तेजी ला रही है।”
कोवैक्स, जोकि एसीटी एक्सेलेरेटर का टीका संबंधी स्तंभ है, का लक्ष्य 2021 के अंत तक लगभग 92 निम्न एवं मध्यम-आय वाले देशों की सबसे कमजोर आबादी के 20% हिस्से को कवर करते हुए कम से कम दो बिलियन टीका वितरित करना है। भारत का मानना है कि यह शायद अपने आप में पर्याप्त नहीं हो और उचित एवं पारदर्शी मूल्य निर्धारण सुनिश्चित करते हुए टीकों के समान पहुंच पर केंद्रित समन्वित कार्रवाई में तेजी लाने के लिए सभी बहुपक्षीय और द्विपक्षीय प्लेटफार्मों को इसका पूरक बनना चाहिए।
केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने लंबे समय से चले आ रहे ‘वसुधैव कुटुम्बकम’, जोकि पूरे विश्व को एक परिवार के रूप में प्रतिष्ठित करता है, के प्रति भारत के विश्वास के बारे में बात की जिसने इस मुद्दे पर भारत के रुख को स्पष्ट किया है। उन्होंने सदस्य प्रतिनिधियों को याद दिलाया कि भारत ने अपनी वैक्सीन मैत्री पहल के तहत 90 से अधिक देशों को कोविड–19 का टीका प्रदान किया है और इस दिशा में और अधिक करने के लिए वह सभी भागीदारों के साथ मिलकर काम करने के लिए प्रतिबद्ध है।
डॉ. हर्षवर्धन ने भारत कैसे दुनिया की मदद कर सकता है के बारे में प्रकाश डाला और कहा कि “अपने लोगों को जल्दी से टीका लगाने के लिए टीकों के अलावा, कोल्ड चेन से संबंधित बुनियादी ढांचे, कुशल श्रमशक्ति और सूचना प्रौद्योगिकी से संबंधित मजबूत बुनियादी ढांचे को भी स्थापित करने की जरूरत है। इसलिए इस वैश्विक खतरे को समाप्त करने के लिए ज्ञान, संसाधनों और प्रौद्योगिकी को विशेष रूप से छोटे और कमजोर देशों के साथ साझा करना अनिवार्य है।”
आवश्यक स्वास्थ्य सेवाओं के आपूर्ति को बनाए रखने की चुनौती से कई सदस्य देशों के भी जूझने के तथ्य को रेखांकित करते हुए उन्होंने टेलीमेडिसिन पर भारत का जोर कैसे आगे का रास्ता दिखाएगा के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि “भारत में इस तरह की बाधाओं को प्रौद्योगिकी के व्यापक उपयोग से दूर किया गया। हमारा राष्ट्रीय टेलीमेडिसिन प्लेटफॉर्म ई-संजीवनी ओपीडी एक ऐसी उल्लेखनीय पहल है जिसने 14 महीनों की छोटी अवधि में 50 लाख से अधिक परामर्श की सुविधा मुहैया कराई है। हमने एड्स, टीबी एवं अन्य बीमारियों से लड़ने के अपने प्रयासों में सेवाओं के वितरण के नवीन तंत्र को शामिल किया है। इसने पिछले साल इस महामारी की शुरुआत के बाद खोई हुई जमीन वापस हासिल करने में हमारी बेहद मदद की।”
गरीब और कमजोर तबके के लोग किसी बीमारी के चलते गंभीर वित्तीय संकट में फंस जाते हैं। केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि इस महामारी ने व्यापक स्वास्थ्य कवरेज के लक्ष्य को हासिल करने की दिशा में प्रयासों को तेज करने की जरूरत को रेखांकित किया है। इस संदर्भ में उन्होंने कहा कि “मेरा ध्येय हमेशा निर्धन लोगों को स्वास्थ्य मुहैया कराना रहा है।” उन्होंने इस सम्मेलन के प्रतिभागियों को बताया कि कैसे आयुष्मान भारत कार्यक्रम, जोकि दुनिया की सबसे बड़ी स्वास्थ्य बीमा योजना है, ने 500 मिलियन से अधिक लोगों को लाभान्वित किया है।
डॉ. हर्षवर्धन ने न सिर्फ एक सशक्त बल्कि पारदर्शी वैश्विक स्वास्थ्य प्रणाली के निर्माण पर जोर देते हुए कहा कि “करीबी रूप से जुड़ी इस दुनिया में, किसी भी क्षेत्र में कोई खतरा कुछ ही समय में हम सभी के लिए एक गंभीर चुनौती में बदल सकता है। इसलिए सभी वर्तमान और भविष्य की चुनौतियों का समाधान करने के लिए ऐसी सक्रिय वैश्विक प्रतिक्रिया प्रणालियों का निर्माण करना, जोकि उभरते स्वास्थ्य संबंधी खतरों की तेजी से पहचान कर उन्हें नियंत्रित करने के लिए एक अंतरराष्ट्रीय कार्रवाई को निर्देशित करे, अनिवार्य बन गया है।”
उन्होंने फोरम को याद दिलाया कि राष्ट्रमंडल देशों के स्वास्थ्य मंत्रियों ने वर्तमान में जारी महामारी से निपटने के लिए एक समन्वित रवैये को परिभाषित करने के उद्देश्य से मई 2020 में पहली बार बैठक की थी, जिसमें दवाओं, टीकों और स्वास्थ्य प्रौद्योगिकियों के लिए मूल्य-साझाकरण से संबंधित एक उपयुक्त डेटाबेस की सहायता से कोविड-19 के बारे में एक तकनीकी कार्य समूह बनाने का प्रस्ताव रखा गया था। उन्होंने यह आशा व्यक्त की कि अगले दो दिनों में सहयोगात्मक प्रयासों की दिशा में अब तक हुई प्रगति को और आगे बढ़ाने के बारे में गहराई से विचार-विमर्श होगा।
अपने भाषण का समापन करते हुए उन्होंने राष्ट्रमंडल देशों से न सिर्फ कोविड के प्रबंधन पर बल्कि राष्ट्रमंडल देशों में कोविड के पहले से मौजूद स्वास्थ्य संबंधी प्राथमिकताओं और गैर-संचारी रोगों, प्रतिरक्षण, कुपोषण जैसी गैर-कोविड स्वास्थ्य चुनौतियों, जिनसे मिलकर मुकाबला करने की जरूरत है, पर भी ध्यान केंद्रित करने का आग्रह किया।
राष्ट्रमंडल की महासचिव सुश्री पैट्रिशिया स्कॉटलैंड, विश्व स्वास्थ्य संगठन के महानिदेशक डॉ. टेड्रोस एडनोम घेब्रेयसस और सदस्य देशों के स्वास्थ्य मंत्री भी इस बैठक में उपस्थित थे। केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री की सहायता स्वास्थ्य मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों ने की।