केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. हर्ष वर्धन ने आज वीडियो कॉन्फ्रेन्स के माध्यम से अच्छे और अनुकरणीय व्यवहारों पर 7वें राष्ट्रीय सम्मेलन का डिजिटल रूप में उद्घाटन किया। डॉ. हर्ष वर्धन ने एबी-एचडब्ल्यूसी में टीबी सेवाओं के लिए संचालन दिशा निर्देशों तथा सक्रिय पहचान तथा कुष्ठ रोग के लिए नियमित निगरानी पर संचालन दिशा निर्देश 2020 के साथ नई स्वास्थ्य प्रबंधन सूचना प्रणाली (एचएमआईएस) भी लॉन्च की।
स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय अच्छे, अनुकरणीय व्यवहारों तथा भारत में सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवा प्रणालियों में नवाचार पर राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन करता है। पहला सम्मेलन सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली में विभिन्न श्रेष्ठ व्यवहारों तथा नवाचारों की मान्यता, प्रदर्शन और प्रलेखन के लिए 2013 में श्रीनगर में आयोजित किया गया था और पिछला सम्मेलन गुजरात के गांधी नगर में हुआ था।
डॉ. वर्धन ने सम्मेलन के आयोजन पर प्रसन्नता व्यक्त की और महामारी की स्थिति में सम्मेलन आयोजित करने के लिए सभी को बधाई दी। उन्होंने कहा कि नवाचारी कनवरजेंस रणनीति पर फोकस आवश्यक है। यह भारत की स्वास्थ्य सेवा प्रणाली को नई ऊंचाई तक ले जाएगा। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा नावाचार पोर्टल पर 2020 में 210 नए कदमों को अपलोड किया गया। इन नवाचारों का अंतिम उद्देश्य एक ओर लोगों की स्वास्थ्य स्थिति को सुधारना है तो दूसरी ओर स्थायी रूप से सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणालियों को मजबूत बनाना है। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य सेवा इको सिस्टम में नवाचार पर चिंतन के लिए जमीनी स्तर के स्वास्थ्य सेवा कर्मियों को शामिल और एकीकृत किया जाना चाहिए तथा सार्वजनिक स्वास्थ्य डिलीवरी प्रणाली में काम कर रहे लोगों के वर्षों के अनुभव और विशेषज्ञता से प्राप्त सामूहिक समझ का लाभ उठाया जाना चाहिए। डॉ. हर्ष वर्धन ने दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री के रूप में पोलियो उन्नमूलन अभियान के अपने अनुभव को साझा किया और स्वास्थ्य कार्यक्रमों में लोगों तथा समुदाय की भागीदारी की शक्ति के बारे में बताया।
स्वास्थ्य सेवा प्रणाली को मजबूत बनाने में विचारों और नवाचार की भूमिका पर बल देते हुए डॉ. हर्ष वर्धन ने कहा कि स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने में नवाचार महत्वपूर्ण गुणांक है। उन्होंने कहा कि कोविड-19 पर कार्य से हमें कार्यक्रम लागू करने तथा नवाचार सृजन के नए मार्गों को अपनाने का प्रोत्साहन मिला है। उन्होंने कहा कि महामारी ने हमें पीपीई किट, वेंटीलेटर, मास्क, टीका आदि बनाने के क्षेत्र में हमें आत्मनिर्भर बनाया है। स्वास्थ्य मंत्रालय के ई-संजीवनी डिजिटल प्लेटफॉर्म पर एक मिलियन टेली कन्सल्टेशन किए गए हैं। यह नवाचारी दृष्टिकोण का परिणाम है जो समन्वित प्रयासों से निकला है।
स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने में डिजिटल तथा सूचना प्रौद्योगिकी के महत्व को दोहराते हुए डॉ. हर्ष वर्धन ने कहा कि डिजिटल बदलाव से हम राष्ट्रीय डिजिटल स्वास्थ्य इको सिस्टम विकसित करने में सक्षम हुए हैं। यह इको सिस्टम कारगर, पहुंच योग्य, समावेशी, किफायती, समयबद्ध तथा सुरक्षित तरीके से सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज को समर्थन देती है। नई स्वास्थ्य प्रबंधन सूचना प्रणाली (एचएमआईएस) व्यापक सूचना तथा अवसंरचना के माध्यम से अबाधित ऑनलाइन प्लेटफॉर्म प्रदान करती है। उन्होंने कहा कि सूचना के अधिकतम आदान-प्रदान से बेहतर स्वास्थ्य परिणाम, बेहतर निर्णय प्रणाली तथा राज्य व राष्ट्रीय स्तर पर सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवा के सुधारों में मदद मिली है। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग ने हाल में ई-संजीवनी डिजिटल प्लेटफॉर्म के लिए ओपेन डाटा चैम्पियन श्रेणी में प्रतिष्ठित डिजिटल इंडिया पुरस्कार जीता है।
टीबी सेवाओं के लिए संचालन दिशा निर्देश जारी करते हुए केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि टीबी नियंत्रित करने की दिशा में भारत सरकार के निरन्तर प्रयासों से टीबी अधिसूचना में अप्रत्याशित वृद्धि हुई है और निदान, अनुपालन और इलाज परिणामों में सुधार हुआ है। 2019 में लापता मामलों की संख्या घटकर 2.9 लाख रह गई जबकि यह संख्या 2017 में 10 लाख मामलों की थी। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने 2025 तक टीबी मुक्त भारत का साहसी लक्ष्य तय किया है। यह 2030 के एसडीजी लक्ष्यों से पांच वर्ष पहले तय किया गया लक्ष्य है। इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए हमें एक साथ मिलकर टीबी के शीघ्र निदान, सभी टीबी रोगियों का इलाज करने की आवश्यकता है ताकि उचित रोगी समर्थन प्रणाली सुनिश्चित हो और समुदाय में टीबी की श्रृंखला टूटे।
डॉ. हर्ष वर्धन ने आशा व्यक्त की कि स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय राष्ट्रीय विचार-विमर्श आयोजित करने और देश के विभिन्न भागों में स्वास्थ्य कार्यक्रमों में सुधार के लिए नए नवाचारी उपायों को अपनाने की संस्कृति को बढ़ावा देने और इस संदर्भ में एक दूसरे के अनुभवों को साझा करने तथा उनसे सीखने का काम जारी रखेगा।
इस अवसर पर स्वास्थ्य सचिव श्री राजेश भूषण, एएसएंडएमडी (एनएचएम) वंदना गुरनानी, महानिदेशक (राज्य) सुश्री रत्ना अंजन जेना, ए एस (पॉलिसी) श्री विकास शील तथा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय और राज्य/केन्द्र शासित प्रदेशों के अन्य वरिष्ठ स्वास्थ्य अधिकारी और डॉ. रॉड्रिक ऑफरीन, डब्ल्यूआर, डब्ल्यूएचओ भी उपस्थित थे।