केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. हर्ष वर्धन ने बुधवार को डिजिटल माध्यम से इंडियन अकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स के 58वें राष्ट्रीय सम्मेलन की अध्यक्षता की।
इंडियन अकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स के कार्यों की सराहना करते हुए डॉ. हर्ष वर्धन ने कहा, “मुझे इस बात की जानकारी है कि इंडियन अकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स, भारत सरकार के साथ मिलकर बच्चों के स्वास्थ्य से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर सक्रिय रूप से लगातार काम कर रहा है। पोलियो उन्मूलन, टीकाकरण, जंक फूड पर दिशानिर्देश, महामारी के दौरान सरकार की सहायता, रोग प्रतिरोध क्षमता विकास, राष्ट्रीय क्षय रोग उन्मूलन कार्यक्रम में क्षय रोग के खिलाफ लड़ाई, कुपोषण का मुकाबला करने के साथ-साथ किशोरों के स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी आपका काम और समर्थन काफी उल्लेखनीय रहा है। मुझे विश्वास है कि 30,000 से अधिक सदस्यों, प्रत्येक राज्य में एक राज्य शाखा और 350 से अधिक शहरी शाखाओं वाले इंडियन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स के पास बाल स्वास्थ्य के क्षेत्र में सरकार की विभिन्न गतिविधियों का समर्थन करने के लिए पर्याप्त सुविधाएं और बुनियादी ढांचा उपलब्ध है।”
अकेडमी ने बच्चों से जुड़ी 100 विशेष स्थितियों के बारे में अभिभावकों के लिए दिशा-निर्देश तैयार किए हैं, जिन्हें इस वर्ष लागू किया जाना है। इन दिशा-निर्देशों पर खुशी जाहिर करते हुए मंत्री ने कहा कि, “यह एक बहुत ही अच्छा और उपयोगी दस्तावेज होगा, जिसका भारतीय अभिभावकों के लिए काफी महत्व होगा। यह और भी ज़्यादा सराहनीय बात है कि आप इसे ज़्यादातर भारतीय भाषाओं में आम जनता को उपलब्ध कराने का प्रयास करेंगे।”
उन्होंने कहा, “मैं इस बात की सराहना करता हूं कि आपने नवजात शिशु सुरक्षा कार्यक्रम (एनएसएसआर) के संशोधित मॉड्युल के आधार पर ऑनलाइन टूल विकसित किए हैं। अपने आईएपी प्लेटफॉर्म के माध्यम से इंडियन अकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स ने पिछले एक साल में अपनी ऑनलाइन प्रशिक्षण कला को भी विकसित किया है। इंडियन अकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स हमारे देश के माननीय प्रधानमंत्री के डिजिटल इंडिया और आत्म निर्भर भारत अभियान को आगे बढ़ा रहा है। उन्होंने कहा, मुझे पूरा विश्वास है कि इंडियन अकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स को इन ऑनलाइन टूल्स का फायदा पहुंच से दूर लोगों तक पहुंचने, प्रशिक्षण की लागत को कम करने और कर्मचारियों की ज़रूरत को कम करने में मिलेगा।”
मध्य प्रदेश में इंडियन अकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स के प्रयासों का उल्लेख करते हए, डॉ. हर्ष वर्धन ने कहा, “मुझे खुशी है कि आप नवजात मृत्यु दर को कम करने के उद्देश्य से विशेष रूप से मध्य प्रदेश में प्रशिक्षकों को प्रशिक्षित करने के लिए एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन कर रहे हैं। मुझे उम्मीद है कि मध्य प्रदेश सरकार के सहयोग से आपने जो कार्यक्रम डिजाइन किया है, वह छह उच्च प्राथमिकता वाले ज़िलों में उत्साहजनक परिणाम देगा और आने वाले दिनों में मध्य प्रदेश के सभी ज़िलों और फिर देशभर में इसे लागू किया जाएगा। मैं आपको आश्वस्त करता हूं कि इस कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए भारत सरकार की ओर से पूरा सहयोग दिया जाएगा।”
उन्होंने आगे कहा, “अर्ली चाइल्ड डेवलपमेंट, यूनिसेफ और डब्लूएचओ द्वारा वित्त पोषित इंडियन अकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स की एक अन्य प्रमुख परियोजना है। यह परियोजना भी काफी महत्वपूर्ण, प्रभावशाली और पथ-प्रदर्शक है। इससे सुनिश्चित होगा की हमारी भावी पीढ़ी का पूरी क्षमता और संभावनाओं के साथ विकास हो।”
अपने अध्यक्षीय भाषण के अंत में डॉ. हर्ष वर्धन ने देश में पल्स पोलियो कार्यक्रम को शुरू करने के लिए वर्ष 1994 में अपनी सलाह, मार्गदर्शन और योगदान देने के लिए इंडियन अकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स का आभार व्यक्त किया। पल्स पोलियो कार्यक्रम के परिणाम हमारे देश में काफी ज़्यादा सफल और उल्लेखनीय रहे हैं, यही वजह है कि वर्ष 1994 में इस कार्यक्रम की शुरुआत के 20 साल बाद वर्ष 2014 में डब्ल्यूएचओ ने भारत को पोलियो मुक्त देश घोषित किया।