नई दिल्ली: केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने यहां विश्व जनसंख्या दिवस के अवसर पर राज्यमंत्री (एचएफडब्ल्यू) श्री अश्विनी कुमार चौबे की उपस्थिति में वर्चुअल बैठक अध्यक्षता की।
डॉ. हर्षवर्धन ने इस अवसर पर सभी का स्वागत करते हुए कहा कि विश्व जनसंख्या दिवस मनाना महत्वपूर्ण है क्योंकि यह जनसंख्या स्थिरीकरण के महत्व और भविष्य में जनता और उनके स्वास्थ्य में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर देता है। उन्होंने कहा कि कोविड-19 महामारी से उत्पन्न चुनौतियों के कारण प्रजनन स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने के महत्व को पहचानना अब और भी महत्वपूर्ण है।
आरएमएनसीएएच + एन कार्यक्रम की सफलता पर प्रकाश डालते हुए डॉ. हर्षवर्धन ने जोर देते हुए कहा कि इस कार्यक्रम के मूल में परिवार नियोजन को रखने की रणनीति ने उल्लेखनीय परिणाम प्राप्त करने में मदद की है। उन्होंने कहा कि पिछले एक दशक में हमारी अशोधित जन्म दर (सीबीआर) 21.8 (एसआरएस 2011) से घटकर 20 (एसआरएस 2018) हो गई है, जबकि कुल प्रजनन दर (टीएफआर) 2.4 (एसआरएस 2011) से घटकर 2.2 (एसआरएस 2018) हो गई है। किशोर प्रजनन क्षमता 16 (एनएफएचएस III) से घटकर आधी 7.9 (एनएफएचएल IV) तक सीमित हो गई है। उन्होंने कहा कि इन प्रयासों ने भारत को 2.1 के प्रतिस्थापन प्रजनन स्तर के करीब पहुंचा दिया है और 36 राज्यों / केंद्रशासित प्रदेशों में से 25 पहले ही प्रतिस्थापन स्तर प्रजनन को हासिल कर चुके हैं।
सामाजिक आंदोलन का रूप ले चुके स्वच्छ भारत अभियान के लिए माननीय प्रधानमंत्री की प्रतिबद्धता का हवाला देते हुए डॉ. हर्षवर्धन ने सभी लोगों से जनसंख्या स्थिरीकरण मिशन को समान रूप से लोगों का एक सशक्त आंदोलन बनाने का आग्रह किया। उन्होंने जोर देकर कहा कि परिवार नियोजन महिलाओं को गरिमा प्रदान करता है, खासकर उन महिलाओं को जो गरीब हैं और समाज में हाशिए पर खड़ी हैं। इसलिए जनसंख्या स्थिरीकरण को लैंगिक समानता, मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य, गरीबी उन्मूलन और मानवाधिकारों का प्रसार के लिए किए जा रहे हमारे प्रयासों का केंद्र बिंदू होना चाहिए।
डॉ. हर्षवर्धन ने यह भी कहा कि भारत वैश्विक एफपी 2020 आंदोलन का एक बुनियादी हिस्सा है और भारत सरकार ने महत्वाकांक्षी एफपी 2020 लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए पर्याप्त घरेलू धन का निवेश किया है। परिवार नियोजन के अंतर्गत प्रमुख पहलों में मिशन परिवार विकास, गर्भनिरोधक सूई देने योग्य एमपीए, परिवार नियोजन – रसद प्रबंधन सूचना प्रणाली (एलएमआईएस), परिवार नियोजन संचार अभियान शामिल हैं। राष्ट्रीय परिवार नियोजन कार्यक्रम ने ‘अंतरा’ कार्यक्रम के तहत सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली में सूई देने योग्य गर्भनिरोधक दवा की शुरुआत की है। यह गर्भनिरोधक अत्यधिक प्रभावी है और जोड़ों की बदलती जरूरतों को पूरा करेगाऔर महिलाओं को गर्भधारण करने में समय अंतराल बनाने में मदद करेगा। इस तरह किए गए सभी निवेशों ने हमें ट्रैक 20 अनुमानों के अनुसार अकेले 2019 में गर्भनिरोधक उपयोग के परिणामस्वरूप लगभग 5.5 करोड़ अनचाहे गर्भधारण, कुल 1.1 करोड़ जन्म, 18 लाख असुरक्षित गर्भपात और 30,000 मातृ मृत्यु को रोकने के रूप में अच्छा लाभांश दिया।
परिवार नियोजन से मिलने वाले फायदों के बारे में बात करते हुए स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री श्री अश्विनी कुमार चौबे ने कहा कि परिवार नियोजन न केवल जनसंख्या को स्थिर रखता है बल्कि महिलाओं, परिवारों और समुदायों के लिए बेहतरीन स्वास्थ्य सुनिश्चित करने में मदद करता है। जनसंख्या स्थिरीकरण यह सुनिश्चित करता है कि अधिकतम आबादी के विकास के लिए संसाधन उपलब्ध हैं। उन्होंने कहा कि यह भारत के लिए अधिक महत्वपूर्ण है कि देश की लगभग 50 प्रतिशत आबादी 15-49 वर्ष के प्रजनन आयु वर्ग में आती है।
स्वास्थ्य मंत्री ने स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा विकसित एबी-एचडब्ल्यूसी मोबाइल एप्लिकेशन भी जारी किया। इस ऐप को एबी- स्वास्थ्य एवं तंदुरूस्ती केंद्रों में स्वास्थ्य संबंधी आंकड़े जमा करना की प्रक्रिया को कारगर बनाने के लिए डिज़ाइन किया गया है। यह एबी – एचडब्ल्यूसी पोर्टल का विस्तार है जिसका इस्तेमाल एबी- स्वास्थ्य एवं तंदुरूस्ती केंद्रों में सेवा उपयोग से संबंधित आंकड़े जुटाने के लिए वास्तविक समय प्रदर्शन की निगरानी में सक्षम बनाने के लिए पहले से ही राज्य, जिला और एबी – एचडब्ल्यूसी सुविधा प्रभारी द्वारा किया जाता है। यह योजना के लिए एक उपकरण के रूप में भी काम करता है। यह उन लोगों के बारे में वास्तविक समय की जानकारी प्रदान करेगा जिनका परीक्षण हुआ, जिन्हें स्वास्थ्य सेवाएं और दवाएं दी गईं, जो केंद्र पर आए और उन्हें पीएचसी भेजा गया।
डॉ. हर्षवर्धन नेकहा कि कोविड-19 की वजह से फ्रंटलाइन स्वास्थ्य कर्मचारियों को अतिरिक्त ज़िम्मेदारी निभानी पड़ रही है। उन्होंने कोविड-19 के प्रति अथक सेवाओं के लिए और यह भी सुनिश्चित करने के लिए कि गैर-कोविड आवश्यक सेवाएं प्रतिकूल रूप से प्रभावित नहीं हो,एचडब्ल्यूसी की प्रशंसा की।
इस वर्चुअल कार्यक्रम में सुश्री प्रीति सूदन, सचिव (एचएफडब्ल्यू), श्री राजेश भूषण, ओएसडी (एमओएचएफडब्ल्यू), सुश्री वंदना गुरनानी, अतिरिक्त सचिव एवं मिशन निदेशक (एनएचएम) और डॉ. मनोहर अगनानी, संयुक्त सचिव (आरसीएच) और अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद थे। इस कार्यक्रम से वर्चुअल माध्यमों के जरिए विकास भागीदारों के प्रतिनिधि भी जुड़े थे।