नई दिल्ली: केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने आज यहां संघशासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर के उपराज्यपाल श्री गिरीश चंद्र मुर्मू, संघ शासित प्रदेश लद्दाख के उपराज्यपाल श्री आर. के. माथुर, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री श्री त्रिवेंद्र सिंह रावत, और हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री जयराम ठाकुर के साथ स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री श्री अश्विनी कुमार चौबे की उपस्थिति में एक उच्च स्तरीय बैठक की। यह राज्यों / संघ शासित प्रदेशों में कोविड-19 के प्रबंधन की तैयारियों और उपायों का जायजा लेने के लिए विभिन्न राज्यों के स्वास्थ्य मंत्रियों और रेड जोन जिलों के कलेक्टरों के साथ व्यक्तिगत स्तर पर बातचीत की श्रृंखला का एक भाग है।
शुरुआत में डॉ. हर्षवर्धन ने राज्यों/संघ शासित प्रदेशों को सूचित किया कि 12 मई 2020 तक, देश से कुल 70,756 मामले सामने आए हैं, जिनमें 22,455 व्यक्ति स्वस्थ हो चुके हैं और 2,293 लोगों की मृत्यु हुई है। पिछले 24 घंटों में, 3,604 नए मामलों की पुष्टि हुई है और 1538 रोगी स्वस्थ हुए हैं। उन्होंने बताया कि मामलों के दुगने होने की दर में सुधार हुआ है पहले यह 14 दिनों में 10.9 था, जबकि पिछले तीन दिनों में यह सुधर कर 12.2 हो गया है। उन्होंने कहा कि मृत्यु दर 3.2 प्रतिशत है और स्वस्थ होने की दर 31.74 प्रतिशत है। उन्होंने बताया कि (कल की तरह) 2.37 प्रतिशत सक्रिय कोविड-19 मरीज आईसीयू में हैं, 0.41 प्रतिशत वेंटिलेटर पर और 1.82 प्रतिशत ऑक्सीजन सपोर्ट पर हैं। डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि देश में परीक्षण क्षमता में वृद्धि हुई है और 347 सरकारी प्रयोगशालाओं और 137 निजी प्रयोगशालाओं के साथ प्रतिदिन 1,00,000 परीक्षण किए जा रहे हैं। अब तक कोविड-19 के लिए कुल मिलाकर 17,62,840 परीक्षण किए जा चुके हैं। जबकि, 86,191 नमूनों का परीक्षण कल किया गया था।
डॉ. हर्षवर्धन ने कहा, “कोविड-19 का मुकाबला करने के लिए उचित उपाय किए जा रहे हैं तथा केंद्र और राज्यों /संघ शासित प्रदेशों दोनों के सहयोगपूर्ण प्रयासों के साथ, पर्याप्त संख्या में समर्पित कोविड अस्पतालों, आइसोलेशन और आईसीयू बिस्तरों और क्वारंटीन केंद्रों की पहचान और विकास किया जा रहा है, जो हमें इस बात का भरोसा दिलाते हैं कि देश कोविड-19 के कारण किसी भी आपात स्थिति का सामना करने के लिए तैयार है।” उन्होंने बताया कि केंद्र, राज्यों/संघ शासित प्रदेशों/केंद्रीय संस्थानों को पर्याप्त संख्या में मास्क और व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण आदि प्रदान करके सहायता कर रहा है।
राज्यों/संघ शासित प्रदेशों में कोविड-19 मामलों की स्थिति और इसके प्रबंधन के बारे में संक्षिप्त प्रस्तुति के बाद डॉ. हर्षवर्धन ने कहा, “वापस लौटने वाले प्रवासी मजदूरों की संख्या बढ़ने के मद्देनजर राज्यों/संघ शासित प्रदेशों को अधिक प्रभावी निगरानी, संपर्क में आने वाले व्यक्तियों का पता लगाने, पर्याप्त परीक्षण और वापस लौटने वाले सभी व्यक्तियों का समय पर उपचार कराने की आवश्यकता है। इनमें विदेश से लौटने वाले लोग भी शामिल हैं।” विभिन्न राज्यों/संघ शासित प्रदेशों ने उन प्रवासियों के आगमन वाले स्थल से ही, उन्हें क्वारंटीन करने, परीक्षण करने और उपचार करने के लिए की जा रही तैयारियों को रेखांकित किया। उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि संपर्क में आने वालों की बेहतर निगरानी और उपयुक्त चिकित्सा हस्तक्षेप के लिए सभी लौटने वालों के लिए आरोग्य सेतु को डाउनलोड करना अनिवार्य किया जाना चाहिए।
डॉ. हर्षवर्धन ने प्रभावित और गैर-प्रभावित जिलों में गंभीर तीव्र श्वसन संक्रमण (एसएआरआई) / इंफ्लूएंजा लाइक इलनेस (आईएलआई) के लिए निगरानी तेज करने भी पर जोर दिया। राज्यों/संघ शासित प्रदेशों को यदि उनके यहां मेडिकल कॉलेज हों, तो उनकी मदद लेने का सुझाव दिया गया। उन्होंने कहा, “इस तरह के उपायों से किसी भी संभावित छिपे हुए संक्रमण की उपस्थिति को प्रारंभिक चरण में ही इंगित करने में मदद मिलेगी और इस प्रकार इसकी समयबद्ध रोकथाम में भी मदद मिलेगी।” उन्होंने एसएआरआई/आईएलआई निगरानी तथा उत्तराखंड में संपर्क में आने वालों का पता लगाने और निगरानी के लिए आईडीएसपी द्वारा किए गए कार्यों की सराहना की। संघ शासित प्रदेश लद्दाख की ओर से कहा गया कि उन्होंने गैर- कोविड आवश्यक सेवाएं प्रदान करने के लिए दूर दराज के क्षेत्रों तक पहुंच बनाने के लिए मोबाइल मेडिकल वैन शुरू की हैं। श्री आर के माथुर ने कहा कि वे कुछ डॉक्टरों और पुलिस कर्मियों को रिजर्व में रख रहे हैं ताकि संघ शासित प्रदेश में कोविड-19 के पूर्णकालिक प्रबंधन के लिए उन्हें बारी-बारी से तैनात किया जा सके। वे जागरूकता फैलाने और विश्वास कायम करने के लिए पंचायतों और समुदाय के बुजुर्गों के साथ मिलकर काम कर रहे हैं। सभी राज्यों/ संघ शासित प्रदेशों ने केंद्र सरकार की ओर से निरंतर उपलब्ध कराई जा रही तकनीकी और अन्य सहायता के लिए उसका आभार व्यक्त किया। हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले में नाई और सैलून चलाने वालों को लॉकडाउन खत्म होने के बाद के कार्यों के लिए तैयार करने के लिए उन्हें कोविड-19 के मुताबिक उचित व्यवहार सहित प्रशिक्षण प्रदान कर रहा है। हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री जयराम ठाकुर ने कहा कि स्वास्थ्य कर्मियों, पुलिस कर्मियों और अर्धसैनिक बलों के जवानों को आयुर्वेदिक प्रतिरक्षा बूस्टर प्रदान किए गए हैं।
डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि चूंकि लद्दाख में तंबाकू का उपयोग काफी अधिक है, इसलिए पहले जारी किए गए दिशानिर्देशों के अनुसार सार्वजनिक स्थानों पर थूकना प्रतिबंधित किया जाना चाहिए।
यह राज्यों के समक्ष दोहराया गया कि टीकाकरण अभियान, टीबी के मामलों की जांच और उपचार, डायलिसिस रोगियों के लिए रक्ताधान, कैंसर रोगियों के उपचार, गर्भवती महिलाओं की एएनसी आदि के बारे में गैर-कोविड आवश्यक स्वास्थ्य सेवाओं के प्रावधान पर ध्यान देने की आवश्यकता है। यह भी कहा गया कि आयुष्मान भारत-स्वास्थ्य और वेलनेस केंद्रों का उपयोग उच्च रक्तचाप, मधुमेह और तीन प्रकार के कैंसर की स्क्रीनिंग के लिए किया जा सकता है। उन्होंने राज्यों को आवश्यकता होने पर परीक्षण के साथ-साथ उन्हें निवारक दवाएं और प्रतिरक्षा बूस्टर प्रदान करने के बारे में याद दिलाया। राज्यों/ संघ शासित प्रदेशों को आवश्यक दवाओं का पर्याप्त स्टॉक रखने की सलाह दी गई है। राज्यों को यह भी सूचित किया गया कि गैर-कोविड आवश्यक सेवाओं के लिए और इन सेवाओं की उपलब्धता के बारे में सूचित करने आदि के लिए 1075 के अतिरिक्त हेल्पलाइन नंबर 104 का उपयोग शिकायत निवारण के लिए किया जा सकता है। उन्हें वेक्टर रोगों की रोकथाम के लिए भी पर्याप्त उपाय किए जाने की सलाह दी गई। यह इंगित करते हुए कि समय पर वेतन और प्रोत्साहन के भुगतान से फ्रंटलाइन स्वास्थ्य कर्मियों का मनोबल बढ़ेगा, राज्यों / संघ शासित प्रदेशों से इन्हें समय पर जारी करने का अनुरोध किया गया।.
डॉ. हर्षवर्धन ने हिमाचल प्रदेश के ऊना, चंबा, हमीरपुर, सिरमौर, सोलन और कांगड़ा; जम्मू-कश्मीर संघ शासित प्रदेश में शोपियां, श्रीनगर, बांदीपोरा और अनंतनाग; उत्तराखंड में हरिद्वार; और लद्दाख संघ शासित प्रदेश के लेह और कारगिल जैसे विभिन्न जिलों के डीएम के साथ बातचीत कर जिलों में कोविड-19 की स्थिति और प्रबंधन पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने यह भी कहा कि इस तरह की बैठकों से अधिक सामंजस्यपूर्ण तरीके से काम करने और यदि कोई खामियां हों, तो उनको दूर करने तथा मुद्दों को अधिक बारीकी से और स्पष्ट रूप से समझने और सुलझाने में मदद मिलेगी।
बैठक में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय में सचिव सुश्री प्रीति सूदन, विशेष सचिव (स्वास्थ्य) श्री संजीव कुमार, ओएसडी (एचएफडब्ल्यू) श्री राजेश भूषण, एएस एंड एमडी (एनएचएम)सुश्री वंदना गुरनानी, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय में संयुक्त सचिव श्री विकास शील, एनसीडीसी के निदेशक डॉ. एस. के. सिंह, प्रधान सचिव (स्वास्थ्य) और राज्यों के अन्य वरिष्ठ स्वास्थ्य अधिकारियों ने भाग लिया।