केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने आज भारत के पहले न्यूमोकोकल कंजुगेट वैक्सीन (पीसीवी) का उद्घाटन किया। इस ‘न्यूमोसिल’ टीके का विकास सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया प्राइवेट लिमिटेड (एसआईआईपीएल) ने बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन जैसे भागीदारों के सहयोग से किया है।
टीके की खुराक की संख्या के लिहाज से एसआईआईपीएल को दुनिया की सबसे बड़ी विनिर्माता और भारत की अर्थव्यवस्था में इसके योगदान का उल्लेख करते हुए डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि सीरम इंस्टीट्यूट के टीके का उपयोग 170 देशों में किया जाता है और दुनिया में हर तीसरे बच्चे को इस विनिर्माता के टीके से प्रतिरक्षित किया जाता है। उन्होंने याद दिलाया कि एसआईआईपीएल को प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के आत्मनिर्भर भारत दृष्टिकोण के अनुरूप कोविड-19 वैश्विक महामारी के दौरान भारत सरकार से पहली स्वदेशी न्यूमोकोकल कंजुगेट वैक्सीन (पीसीवी) विकसित करने के लिए लाइसेंस मिला था। उन्होंने पीसीवी में भारत को आत्मनिर्भर बनाने के इस प्रयास में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के असाधारण प्रयासों का भी उल्लेख किया।
डॉ. हर्षवर्धन ने भारत की जरूरत के लिए टीका विकसित करने में एसआईआईपीएल की उपलब्धियों का विस्तार से उल्लेख करते हुए कहा,’सीरम इंस्टीट्यूट का पहला स्वदेशी न्यूमोकोकल कंजुगेट टीका एकल खुराक (शीशी और सिरिंज) में और कई खुराक वाली शीशी में न्यूमोसिल ब्रांड नाम के तहत बाजार में सस्ती कीमत के साथ उपलब्ध होगा। न्यूमोसिल का 5 रेंडमाइज्ड क्लीनिकल परीक्षण के जरिये व्यापक तौर पर मूल्यांकन किया गया है। इसे भारत और अफ्रीका की विविध आबादी के लिए लाइसेंस प्राप्त न्यूमोकोकल टीकों के मुकाबले सुरक्षित और प्रतिरक्षित पाया गया है। भारत और अफ्रीका में विभिन्न टीकाकरण कार्यक्रम के तहत वयस्कों, बच्चों और शिशुओं को न्यूमोसिल दिया गया था। उन्होंने कहा,’क्लीनिकल परीक्षण के दौरान न्यूमोसिल को निमोनिया रोग की रोकथाम के लिए सुरक्षित एवं प्रभावी पाया गया और उसी के आधार पर विषय विशेषज्ञ समिति (एसईसी) से अनुमोदन के बाद जुलाई 2020 में भारत के औषधि महानियंत्रक द्वारा न्यूमोसिल को लाइसेंस प्रदान किया गया है।
डॉ. हर्षवर्धन ने आत्मनिर्भर भारत के लिए प्रधानमंत्री की प्रतिबद्धता और मेक इन इंडिया फॉर द वर्ल्ड के उनके दृष्टिकोण के बारे में बताते हुए कहा,’न्यूमोसिल अनुसंधान एवं विकास और उच्च गुणवत्ता वाले टीके के विनिर्माण में भारत की क्षमता का एक उदाहरण है। वास्तव में कोविड-19 वैश्विक महामारी के दौरान यह ऐतिहासिक उपलब्धि हमारे देश के लिए गर्व की बात है क्योंकि अब तक हम पूरी तरह से विदेशी विनिर्माताओं द्वारा तैयार न्यूमोकोकल कंजुगेट वैक्सीन पर निर्भर रहे हैं जो बाजार में बहुत अधिक कीमत पर उपलब्ध हैं।’ उन्होंने लोगों को याद दिलाया कि दुनिया भर में पांच साल से कम उम्र के बच्चों की मौत के लिए निमोनिया सबसे बड़ा संक्रामक रोग है और दुनिया भर में इससे लगभग 10 लाख लोगों की मौत हो जाती है।
देश की वैज्ञानिक एवं चिकित्सा बिरादरी को बधाई देते हुए मंत्री ने कहा, ‘मुझे विश्वास है कि सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया की टीम और पूरे वैज्ञानिक एवं चिकित्सा समुदाय भविष्य में कई अन्य जीवन रक्षक टीका विकसित करने के अपने प्रयास जारी रखेंगे।’
इस कार्यक्रम में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय में अपर सचिव डॉ. मनोहर अगनानी और मंत्रालय के अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।
सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ़ इंडिया प्राइवेट लिमिटेड (एसआईआईपीएल) के संस्थापक एवं पूनावाला ग्रुप ऑफ इंडस्ट्रीज के चेयरमैन डॉ. साइरस पूनावाला और एसआईआईपीएल के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अदार पूनावाला भी इस कार्यक्रम में उपस्थिति थे।