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डॉ. हर्षवर्धन ने रेड क्रॉस सोसायटी मुख्यालय में एनएटी जांच सुविधा का उद्घाटन किया

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केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री और भारतीय रेड क्रॉस सोसायटी, राष्ट्रीय मुख्यालय (एनएचक्यू) के अध्यक्ष डॉ. हर्षवर्धन ने आईआरसीएस एनएचक्यू ब्लड सेंटर में एक न्यूक्लिक एसिड टेस्टिंग (एनएटी) सुविधा का उद्घाटन किया। इसके अलावा उन्होंने पूरी तरह सुसज्जिततीन वाहनों का भी उद्घाटन किया। इनमें दो रक्त संग्रह गाड़ियां हैं, जिनका उपयोग रक्त शिविर आयोजित करने और रक्त इकाइयों को रेड क्रॉस ब्लड सेंटर से जोड़ने के लिए किया जाएगा।

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डॉ.हर्षवर्धन ने रेड क्रॉस को इस बात के लिए बधाई दी कि देश में 80 भारतीय रेड क्रॉस ब्लड सेंटरों ने कोविड-19 महामारी के दौरान रक्त शिविर आयोजित करने और रक्त संग्रह करने में एक उल्लेखनीय भूमिका निभाई थी।आवासीय कॉलोनियों में रेड क्रॉस ब्लड सेंटरों और शिविरों का आयोजन किया गया था एवं रक्तदाताओं को रेड क्रॉस ब्लड सेंटर आकर दान करने के लिए परिवहन की सुविधा भी प्रदान की गई थी।

मंत्री ने आगे बताया कि पारंपरिक एलिसा टेस्ट की जगह एनएटी टेस्ट शुरू करने से संक्रमण का पता लगाने की अवधि और एचआईवी, हेपेटाइटिस बी एवं हेपेटाइटिस सी के संक्रमण के जोखिम काफी कम हो जाएंगे। इसी तरह रक्तदान गाड़ियां स्वैच्छिक गैर-पारिश्रमिक नियमित दान के माध्यम से स्वैच्छिक रक्तदान में वृद्धि करेंगे, जोप्रति स्थापनदाताओं की तुलना में अधिक सुरक्षित होगा।

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इन सुविधाओं के लिए गहरी सराहना व्यक्त करते हुए उन्होंने स्टेट-ऑफ-द-आर्टअत्याधुनिक उन्नत हेमोजेनोमिक्स सुविधा स्थापित करने संबंधी विचार का भी स्वागत किया। केंद्रीय मंत्री ने कहा, “इस साल बजटीय आवंटन में 137 फीसदी बढ़ोतरी कर समग्र स्वास्थ्य देखभाल के लिए प्रतिबद्धता का अनुकरण किया गया है। हमने 22 नए एम्स एवं 127 नए कॉलेजों को शुरू किया है, जिससे एमबीबीएस की सीटों की संख्या 50,000 (2014 में) से बढ़कर लगभग 80,000 हो गई है। पीजी सीटों में 24,000 से अधिक की बढ़ोतरी हुई है।”उन्होंने आगेसमाज के हर वर्ग को स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने को लेकर आयुष्मान भारत और राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की उपलब्धियों को भी उल्लेख किया।डॉ. हर्षवर्धन ने इस कार्यक्रम में उपस्थित दर्शकों को याद दिलाया कि राष्ट्रीयकृत सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (पीएसयू) ने जन्मजात हीमो-जीनोमिक स्थितियों की सुधारात्मक सर्जरी के लिए ‘थैलेसिमिया बाल सेवा योजना’को वित्त पोषित किया है।

उन्होंने आगे ये भीबताया कि कैसे रक्त आधान आधुनिक स्वास्थ्य देखभाल प्रबंधन का एक अनिवार्य हिस्सा है। मंत्री ने कहा, “विकसित देशों में एक साल के दौरान प्रति 1000 लोगों में से 50 व्यक्ति रक्तदान करते हैं। हमारे देश में प्रति 1000 लोगों में से 8-10 व्यक्ति रक्तदान करते हैं। 138 करोड़ की विशाल आबादी वाले भारत में सालाना लगभग1.4 करोड़ यूनिट रक्त की जरूरत होती है। आदर्श रूप में कुल योग्य आबादी का अगर 1 फीसदी हिस्सा भी रक्त दान करता है तो इसकी कमी नहीं होगी।”

डॉ. हर्षवर्धन ने सभी को यह याद दिलाया कि रक्त की नियमित एवं सुरक्षित आपूर्ति के लिए 100 फीसदी स्वैच्छिक और गैर-पारिश्रमिक रक्त दाताओं के लक्ष्य को अब तक प्राप्त नहीं किया जा सका है।उन्होंने कहा, “जिन देशों में कुशलस्वैच्छिक रक्त दाता संगठन हैं, वे दाताओं की नियमित आने को बनाए रखने में सक्षम हैं। रक्त आधान एक अद्वीतीय तकनीक है, जिसमें इसका संग्रह, प्रसंस्करण एवं उपयोग वैज्ञानिक रूप से आधारित है, लेकिन इसकी उपलब्धता उन लोगों की असाधारण उदारता पर निर्भर करती है, जो उपहारों में सबसे अनमोल- जीवन के उपहार के रूप में नियमित तौर पर रक्त दान करते हैं।”

केंद्रीय मंत्री ने यह भी बताया कि कई लोग महत्वपूर्ण अवसरों पर विभिन्न तीर्थस्थल जाते हैं और इस पर उन्होंने टिप्पणी की किइन तीर्थों की यात्रा की तरह रक्त दान भी समान पुण्य का काम है। उन्होंने आगे कहा, “नियमित रक्त दान का एक अतिरिक्त लाभ यह भी है कि इससे मोटापे से संबंधित कई बीमारियों के खतरे कम हो जाते हैं।”उन्होंने संतान में थैलेसीमिया के लिए विवाह के पहले की जांच के महत्व को भी रेखांकित किया और कहा कि जन्म-कुंडली की तुलना में रक्त-कुंडली का मिलान अधिक महत्वपूर्ण है।केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने बीते कल लोकसभा में प्रश्नकाल के दौरान सवालों के जवाब में इस मुद्दे को भी रेखांकित किया था।

सुरक्षित रक्त की मांग और उपलब्धता के बीच के अंतर को कम करने के लिए उन्होंने स्वेच्छा से रक्त दान को लेकर आम जनता में जागरूकता पैदा करने की जरूरत को रेखांकित किया।डॉ. हर्षवर्धन ने कहा, “शैक्षणिक कार्यक्रम को इस तरह बनाया जाना चाहिए कि समुदाय नियमित रक्त दान के लाभ को समझ सकें। लोगों कीप्रेरणा के लिए लक्षित समूह- शैक्षणिक संस्थान, औद्योगिक घराने, सामाजिक- सांस्कृतिक संगठन, धार्मिक सूमह और सरकारी संगठनहोंगे। जन मीडिया को लोगों को प्रेरित करने और स्वैच्छिक रक्तदान के लिए सबसे प्रभावी तरीके से उनकी भागीदारी को लेकर संवेदशील बनाने के लिए लगे रहना चाहिए।”

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