नई दिल्ली: केन्द्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, पृथ्वी विज्ञान और स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ हर्षवर्धन ने आज देश के ग्रामीण और सुदूर क्षेत्रों में कोविड परीक्षण के लिए भारत के पहले मोबाइल आई-लैब (संक्रामक रोग निदान प्रयोगशाला) वाहन का उद्घाटन किया और इसे हरी झंडी दिखाई। इस अवसर पर जैव प्रौद्योगिकी विभाग की सचिव डॉ रेणु स्वरूप और अन्य अधिकारी उपस्थित थे। आन्ध्र मेड टेक ज़ोन के सीईओ डॉ जितेन्द्र शर्मा तथा नीति आयोग, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय, एमईआईटीवाई, अन्य मंत्रालयों, आईसीएमआर, डीएसटी, सीएसआईआर आदि के वरिष्ठ अधिकारी ऑनलाइनवेब के माध्यम से इस समारोह में शामिल हुए।
मोबाइल परीक्षण सुविधा – आई-लैबकोलॉन्च करने पर डॉ हर्षवर्धन ने खुशी व्यक्त करते हुए ग्रामीण भारत में कोविड परीक्षण के लिए इस सुविधा को समर्पित किया। इस मोबाइल परीक्षण सुविधा यूनिट को डीबीटी परीक्षण हब के माध्यम से कोविड परीक्षण के लिए देश के दूरदराज के क्षेत्रों में तैनात किया जाएगा। उन्होंने कोविड महामारी से निपटने में डीबीटी के प्रयासों की सराहना कीऔर कहा कि डीबीटी ने हब और स्पोक मॉडल को अपनाते हुएअपनी प्रीमियर प्रयोगशालाओं को कोविड परीक्षण केंद्रों के रूप में पेश किया है। इससे कोविड परीक्षण की क्षमता में बढ़ोतरी हुई। देश में अब 100 परीक्षण प्रयोगशालाओं के साथ 20 से अधिक हब हैं और इनमें 2,60,000 से अधिक नमूनों का परीक्षण किया गया है।
डॉ हर्षवर्धन ने कहा, “यह देश में मौजूदा स्थिति का सामना करने और आत्मनिर्भरता की दिशा में आगे बढ़ने के लिए डीबीटी–एएमटीजेड कोविडकमांड कंसोर्टिया (कोविडमेडटेक विनिर्माण विकास] कंसोर्टिया) के कारण संभव हुआ है।” आई-लैब को हब के माध्यम से दूर-दराज़ के स्थानों पर तैनात किया जाएगा। केन्द्रीय मंत्री ने “अथक, समर्पित और प्रतिबद्ध प्रयासों के माध्यम से लॉक-डाउन अवधि में इस अनूठी, अभिनव सुविधा के निर्माण के लिए” आंध्र मेड-टेक ज़ोन टीम की सराहना की। उन्होंने बताया कि डीबीटी के समर्थन से एएमटीजेड ने विभिन्न परीक्षणों के लिए किट और अभिकर्मकों के स्वदेशी विनिर्माण के लिए सुविधाएँ भी स्थापित की है, जिन्हें शुरू में आयात किया जा रहा था।इससे हमें प्रधानमंत्रीजी के मेक इन इंडिया, मेक फॉर इंडिया के सपने को साकार करने में मदद मिली है। डॉ हर्षवर्धन कहा कि आज देश में 953 परीक्षण प्रयोगशालाएँ हैं। उन्होंने “अनुसंधान घटकों के स्वदेशीकरण और उनके इन-हाउस निर्माण की दिशा में मंत्रालय और विभागों द्वारा उठाए गए विभिन्न कदमो” पर विस्तार से चर्चा की। डॉ हर्षवर्धन ने जोर देकर कहा कि “इन सभी सामूहिक प्रयासों से निकट भविष्य मेंभारत, स्वास्थ्य प्रौद्योगिकीमें आत्मनिर्भरता प्राप्त करेगातथा इस प्रकार आत्मनिर्भरभारत की ओर अग्रसर होगा।”
इस अवसर पर डॉ रेणु स्वरूप ने कहा कि भारतीय वैज्ञानिकों के सम्मिलित प्रयासों के माध्यम से, देश ने प्रतिदिन लगभग 5 लाख परीक्षण किट तैयार करने की क्षमता प्राप्त की है। 31 मई, 2020 तक एक लाख परीक्षण किट निर्माण का लक्ष्य निर्धारित किया गया था। यह आई-लैब डीबीटी के समर्थन से आंध्र प्रदेश मेड-टेक ज़ोन टीम द्वारा 8 दिनों के रिकॉर्ड समय में तैयार किया गया है। इस कार्यक्रम को राष्ट्रीय बायोफार्मा मिशन के तहत सार्वजनिक क्षेत्र के बीआईआरएसी द्वारा कार्यान्वित किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि यूनिटमें जैव सुरक्षा की सुविधा है और यह आरटी-पीसीआर और एलिसा परीक्षण करने में सक्षम है।
डीबीटी – एएमटीजेडकमांड
विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के जैव प्रौद्योगिकी विभाग (डीबीटी)ने आंध्र प्रदेश मेड-टेक ज़ोन (एएमटीजेड) के साथ मिलकर डीबीटी–एएमटीजेडकमांड कंसोर्टिया (कोविडमेडटेक विनिर्माण विकास] कंसोर्टिया) भारत में महत्वपूर्ण स्वास्थ्य देखभाल तकनीकों की कमी को दूर करने के लिए पहल की है और निरंतर आत्मनिर्भरता की ओर आगे बढ़ रहा है।
इस कंसोर्टिया के तहत, भारत की पहली आई – लैब (संक्रामक रोग निदान प्रयोगशाला) भारत बेंज से ऑटोमोटिव चेसिस की प्राप्ति की तारीख से 8 दिनों के रिकॉर्ड समय में एएमटीजेड टीम द्वारा बनाई गयी है। यह एक मोबाइल डायग्नोस्टिक इकाई है जिसमें जैव सुरक्षा सुविधा है। आई –लैब में ऑन-साइट एलिसा, आरटी-पीसीआर, बायो केमिस्ट्री विश्लेषण के साथ बीएसएल -2 सुविधा है। यह एक दिन में 50 आरटी-पीसीआर और लगभग 200 एलिसा जांच कर सकती है। मशीनों के दोहरे सेट से 8 घंटे की पाली में क्षमता बढ़कर लगभग 500 प्रति दिन हो जायेगी।
इसे दूर-दराज़ के क्षेत्रों में तैनात किया जा सकता है और इसे ऑटोमोटिव चेसिस से उठाया जा सकता है और देश के किसी भी स्थान पर भेजने के लिए मालगाड़ी पर रखा जा सकता है। बीएसएल -2 लैब एनएबीएल निर्देशों के अनुरूप है और इसे डीबीटी के प्रमाणित परीक्षण केंद्रों से जोड़ा जा रहा है।
विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के तहतजैव प्रौद्योगिकी विभाग (डीबीटी)कृषि, स्वास्थ्य सेवा, पशु विज्ञान, पर्यावरण और उद्योग के क्षेत्रों में जैव प्रौद्योगिकी के विकास और अनुप्रयोग सहित भारत में जैव प्रौद्योगिकी के विकास को बढ़ावा देता है।
एएमटीजेड एशिया का पहला चिकित्सा उपकरण विनिर्माण पारिस्थितिकी तंत्र है, जो विशिष्ट रूप से चिकित्सा प्रौद्योगिकी (मेडटेक) के लिए समर्पित है और विभिन्न मंत्रालयों द्वारा समर्थित है।
संक्रामक रोग निदान प्रयोगशाला (आई – लैब)
- ग्रामीण भारत में परीक्षण के पहुंच को बढ़ावा देने के लिए, कोविड -कमांड रणनीति के तहत डीबीटीने एएमटीजेडके माध्यम से मोबाइल परीक्षण प्रयोगशालाओं के निर्माण को समर्थन दिया है।
- इन मोबाइल टेस्टिंग लैब की अनूठी विशेषता है – कोविड के अलावा अन्य संक्रामक रोगों केजांच-निदान में भी उपयोगी होना।
विशेष विवरण
- ऑटोमोटिव चेसिस, नैदानिक उपकरण, क्लीन रूम, बीएसएल -2 लैब, बायो-सेफ्टी कैबिनेट्स
- 25 टेस्ट (आरटी-पीसीआर) प्रति दिन प्रति आई-लैब
- 300 एलिसा परीक्षण प्रति दिन
- सीजीएचएस दरों के अनुसार टीबी, एचआईवी आदि अन्य बीमारियों के लिए अतिरिक्त परीक्षण।
तैनाती
केन्द्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, पृथ्वी विज्ञान और स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ हर्षवर्धन ने 18 जून, 2020 को नई दिल्ली में पहलेआई -लैब को लॉन्च किया।
प्रयोगशालाओं को क्षेत्रीय / शहर केंद्रों (हब) को प्रदान किया जाएगा और वे इसे दूर-दराज़ के इलाकों में आगे तैनात करेंगे।
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