केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने अंतर्राष्ट्रीय वृद्ध दिवस पर सरकार की स्वस्थ वृद्धावस्था के प्रति प्रतिबद्धता को दोहराया। हर वर्ष 01 अक्टूबर को अंतर्राष्ट्रीय वृद्ध दिवस के रूप में मनाया जाता है। संयुक्त राष्ट्र ने वृद्ध लोगों के अपने परिवार, समुदाय और समाज के प्रति किए गए योगदान को मान्यता देने और वृद्धावस्था के मुद्दों के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए इस दिवस की घोषणा की थी।
डॉ. हर्षवर्धन ने वृद्धजनों के लिए स्वास्थ्य देखभाल संबंधी राष्ट्रीय कार्यक्रम (एनपीएचसीई) के बारे में अपने विचार रखे। इस कार्यक्रम का लक्ष्य प्राथमिक और सैकेंडरी स्तरों पर समन्वित, किफायती और उच्च गुणवत्ता वाली वृद्ध देखभाल सेवा, ‘जिला अस्पताल से लेकर स्वास्थ्य एवं वेलनेस सेंटर तक बाह्य रोगी सेवा, सभी जिला अस्पतालों में वृद्धों के लिए कम से कम 10 बेड वाले वॉर्ड बनाना, सीएचसी और एचडब्ल्यूसी स्तरों पर पुनर्वास सेवा तथा जरूरतमंद वृद्धों के लिए उनके घर पर देखभाल मुहैया कराने का तंत्र विकसित करना है।’ उन्होंने बताया कि यह किस तरह द्वितीय एवं तृतीय स्तर के संस्थानों में सतत देखभाल संबंधी दृष्टिकोण से प्रभावी होगा। उन्होंने बताया कि मेडिकल कॉलेजों के 19 क्षेत्रीय वृद्ध देखभाल केन्द्रों और दो राष्ट्रीय वृद्धावस्था केन्द्रों को विशिष्ट वृद्धावस्था देखभाल प्रदान करने की जिम्मेदारी दी गई है। इसके अंतर्गत सुदृढ़ अंत: निर्देशन, मजबूत कार्यबल का विकास और वृद्धों को देखभाल उपलब्ध कराने वाले चिकित्सकीय और पैरा-चिकित्सकीय कर्मचारियों की व्यवस्था करना, वृद्धजनों के परिवार के सदस्यों को उनकी समुचित देखभाल का तरीका सिखाना और जरूरत आधारित अनुसंधान का काम कराना शामिल है।
केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने बताया कि 01 अक्टूबर, 2020 स्वस्थ वृद्धावस्था दशक (2020-2030) का शुरुआती साल हे और इस पूरे साल में वृद्ध लोगों को मुख्यधारा में लाने के लक्ष्य को लेकर तथा संमिलन तंत्र (कन्वर्जेन्स मैकेनिज्म) का पूर्ण इस्तेमाल करते हुए वृद्धों के लिए बेहतर और प्रभावी सेवा प्रदान करने संबंधी गतिविधियां चलाई जाएंगी। उन्होंने कहा, ‘इस पहल से सरकारों, नागरिक समाज, अंतर्राष्ट्रीय एजेंसियों, पेशेवरों, अकादमीशियनों, मीडिया और निजी क्षेत्र को साथ लाने का अवसर मिलेगा। इससे वृद्ध लोगों, उनके परिवारों और उन समुदायों के जीवन स्तर में सुधार करने के समग्र, समन्वित और प्रेरक प्रयास किए जा सकेंगे।’
स्वास्थ्य मंत्री ने इस बात की पुष्टि की कि स्वस्थ वृद्धावस्था दशक का लक्ष्य विभिन्न राष्ट्रीय स्वास्थ्य कार्यक्रमों को जोड़ना तथा अन्य संबद्ध विभागों/मंत्रालयों के बीच समन्वय का विकास करना है। समुदाय आधारित संगठनों, स्वयंसेवी संगठनों और बहु-राष्ट्रीय एजेंसियों को भी स्वस्थ वृद्धावस्था की इस संरचना का विकास करने और उसे लागू करने में शामिल किया गया है। उन्होंने बताया, ‘वृद्ध लोगों की देखभाल के लिए बेहतर प्रक्रिया तैयार करने और लांगिट्यूडिनल ऐजिंग स्टडी ऑफ इंडिया (एलएएसआई) के आंकड़ों के संबंध में नीति और कार्यक्रम तैयार करने के लिए चर्चाएं/कार्यशालाएं/वेबिनार आयोजित किए जाएंगे, जिसमें विशेषज्ञ/अकादमिक निकाय/पेशेवर लोग शामिल होंगे। इनसे वृद्ध लोगों के सामाजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक, नागरिक और राजनीतिक जीवन में शामिल होने की संभावनाओं को बल मिलेगा और उनका विकास होगा।’
लांगिट्यूडिनल ऐजिंग स्टडी ऑफ इंडिया (एलएएसआई) के महत्व के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा, ‘बहुत सोच-समझकर और तरीके से किए गए निवेश के परिणामस्वरूप वृद्धजन मानवीय, सामाजिक, आर्थिक और पर्यावरण संबंधी पूंजी की वृद्धि में मददगार साबित होंगे। हालांकि इसके लिए हमें जीवन के हर चरण में निवेश करना होगा, समाज को सक्रिय करना होगा और ऐसा समाज बनाना होगा, जो सभी उम्र के लोगों के लिए लचीला और जीवंत हो। इसके लिए जरूरी है कि सरकार द्वारा नीतियां और कार्यक्रम तैयार किए जाएं और इनकी सब लोगों तक पहुंच संभव बनाने के लिए इनमें सुधार किए जाएं और ये सुधार प्रामाणिक होने चाहिए। वृद्ध लोगों की सामाजिक, आर्थिक और स्वास्थ्य संबंधी स्थिति का समन्वित आंकड़ा तैयार करने के लिए सरकार ने लांगिट्यूडिनल ऐजिंग स्टडी ऑफ इंडिया (एलएएसआई) का सहारा लिया। इसने पहला ऐसा राष्ट्रव्यापी और विश्व का सबसे बड़ा अध्ययन सम्पन्न कराया, जिससे वृद्ध आबादी के लिए राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय कार्यक्रम और नीतियां तैयार करने के लिए प्रामाणिक आंकड़े उपलब्ध हो सके।’ एलएएसआई के निष्कर्षों को मंत्रालय द्वारा अंतिम रूप दिया जा रहा है और इन्हें शीघ्र ही जारी किया जाएगा।
डॉ. हर्षवर्धन ने कोविड-19 संक्रमण के बारे में भी बात की, जिसने पूरे देश और पूरे विश्व में जन स्वास्थ्य के लिए चुनौती पेश की है। संयुक्त राष्ट्र ने अंतर्राष्ट्रीय वृद्धजन दिवस 2020 पर विचार का मुख्य विषय तय किया है, ‘महामारी : हमारे आयु वृद्धि संबंधी दृष्टिकोण को क्या ये बदल सकती है?’ कोविड-19 जैसी महामारी के समय में वृद्ध लोगों के लिए उत्पन्न खतरे को ध्यान में रखते हुए सरकार ने अपने कोविड प्रयासों के तहत उन्हें अति संवेदनशील आबादी की श्रेणी में रखा है, इस बारे में परामर्श जारी किए हैं और उनकी विशिष्ट जरूरतों के बारे में जागरूकता फैलाई है। इसके अलावा वह राज्य सरकारों को वृद्ध लोगों के लिए गृह आधारित देखभाल और जरूरत पड़ने पर चिकित्सा सुविधा मुहैया कराने के मॉडल विकसित करने के लिए प्रोत्साहित कर रही है।