केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने आज राष्ट्रीय नवजात सप्ताह 2020 के उपलक्ष्य में एक कार्यक्रम की अध्यक्षता की, जिसे 15 नवंबर से 21 नवंबर तक मनाया जा रहा है, ताकि स्वास्थ्य क्षेत्र के प्रमुख प्राथमिकता वाले क्षेत्र के रूप में नवजात शिशु स्वास्थ्य के महत्व को सुदृढ़ किया जा सके और उच्चतम स्तर पर प्रतिबद्धता दोहरायी जाए।
इस वर्ष राष्ट्रीय नवजात सप्ताह का विषय है ‘हर स्वास्थ्य केंद्र और हर जगह, हर नवजात शिशु के लिए गुणवत्ता, समानता, गरिमा।’
इस अवसर पर डॉ. हर्षवर्धन ने सभी को याद दिलाया, “2014 में, भारत नवजात कार्य योजना (आईएनएपी) शुरू करने वाला पहला देश बना था, जो रोके न सकने वाली नवजातों की मौत और जन्म के समय मृत पाए जाने की समस्या को खत्म करने को लेकर ग्लोबल एवरी न्यूबोर्न एक्शन प्लान के अनुरूप है।”
डॉ. हर्षवर्धन ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की याद दिलाते हुए कहा कि उन्होंने ही आज नवजात मृत्यु दर कम करने और इस उद्देश्य के लिए एक पूरा सप्ताह समर्पित करने का सपना देखा था। मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के गतिशील नेतृत्व से प्रजनन और शिशु स्वास्थ्य के लिए की जाने वाली पहलों को और प्रोत्साहन एवं मजबूती मिली है।
केंद्रीय मंत्री ने उपलब्धियों की चर्चा करते हुए कहा कि हालांकि आंकड़ों में कमी आई है, एक भी मौत पूरे परिवार के लिए एक त्रासदी है। उन्होंने कहा कि सरकार का सपना है कि “हर बच्चा जीवित रहे, पनपे और अपनी पूरी क्षमता तक पहुंचे।” डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि सरकार सभी नवजात शिशुओं के स्वास्थ्य और विकास को लेकर काम करने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा, “हम उन छोटी-छोटी चीजों को लेकर भी चौकस हैं, जो नवजात शिशु के विकास और जन्म को बाधित करती हैं, या जो नवजात शिशु के खराब स्वास्थ्य और/या मौत का कारण बनती हैं।” मंत्री ने कहा कि सरकार ने नवजात शिशुओं के जीवित रहने और विकास करने को सुनिश्चित करने के लिए कई कार्यक्रम शुरू किए हैं, जिनमें पोषण अभियान की छत्र योजना के तहत आने वाले पोषण संबंधी पहलू भी शामिल हैं।
मंत्री ने इस समस्या से निपटने के लिए, शिकायत के निवारण की खातिर एनएनएम पोर्टल, सुमन की शुरुआत करने जैसे उठाए गए विभिन्न कदमों की जानकारी देते हुए कहा, “रोके जा सकने वाली सभी नवजात मौतों को रोकने के लिए हर संभव प्रयास किया जाना चाहिए।”
डॉ. हर्षवर्धन ने आईएनएपी लक्ष्यों और रोडमैप योजना पर एक विस्तृत प्रगति कार्ड जारी करते हुए कहा कि भारत ने 2017 के महत्वपूर्ण लक्ष्यों को सफलतापूर्वक हासिल कर लिया है: वर्ष 2017 के लिए 24 के नवजात मृत्यु दर (एनएमआर) का निर्धारित लक्ष्य, और 2020 तक 19 की स्टिल बर्थ रेट (एसबीआर) का लक्ष्य हासिल करने के लिए की गयी कोशिशें। उन्होंने कहा, “अब हमारा सैंपल रजिस्ट्रेशन सिस्टम (एसआरएस) 2018 और संयुक्त राष्ट्र की इंटर-एजेंसी ग्रुप फॉर चाइल्ड मॉर्टेलिटी एस्टीमेशन (यूएनआईजीएमई) के अनुसार प्रति 1000 जीवित जन्मों में से 23 नवजात मृत्यु दर और सैंपल रजिस्ट्रेशन सिस्टम के आकलन के अनुसार चार (4) का सिस्टम स्टिल बर्थ रेट तथा यूएनआईजीएमई के आकलन के अनुसार 14 का सिस्टम स्टिल बर्थ रेट है।”
डॉ. हर्षवर्धन ने नवजात शिशु स्वास्थ्य को लेकर व्यवहार परिवर्तन लाने एवं मांग सृजन और सूचना का प्रसार करने के लिए राष्ट्रीय नवजात सप्ताह आईईसी पोस्टर का भी अनावरण किया।
उन्होंने नवजात शिशु देखभाल से जुड़े स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं की क्षमता निर्माण के लिए नवजात स्थिरीकरण इकाई और न्यूबोर्न केयर कॉर्नर पर दो विशिष्ट रूप से डिजाइन किए गए प्रशिक्षण मॉड्यूल भी जारी किए।
डॉ. हर्षवर्धन ने साझेदारियों की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डालते हुए अपनी आखिरी टिप्पणी में नवजात शिशु स्वास्थ्य को लेकर राष्ट्रीय कार्यक्रमों में इंडियन एसोसिएशन ऑफ पीडियाट्रिक्स (आईएपी), नेशनल नियोनेटोलॉजी फोरम (एनएनएफ), फेडरेशन ऑफ ऑब्स्टेट्रिक एंड गाइनोकोलॉजिकल सोसाइटीज ऑफ इंडिया (एफओजीएसआई) जैसे पेशेवर निकायों, और इंडियन एसोसिएशन ऑफ नियोनेटल नर्सिंग (आईएएनएन), कलावती सरन हॉस्पिटल, और विश्व स्वास्थ्य संगठन, यूनिसेफ, बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन, यूएसऐड, सेव द चिल्ड्रेन, एनएचएसआरसी, एनआईपीआई जैसे अन्य विकास साझेदारों द्वारा दिए गए योगदान की सराहना की।
कार्यक्रम में केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव श्री राजेश भूषण, अतिरिक्त सचिव (राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन)श्रीमती वंदना गुरनानी, अतिरिक्त सचिव (प्रजनन और बाल स्वास्थ्य) श्री मनोहर अगनानी और स्वास्थ्य मंत्रालय के अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।
कार्यक्रम में सभी पेशेवर सहयोगियों और विकास भागीदारों के भारत में प्रतिनिधि, काउंसलर और अध्यक्ष वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से शामिल हुए।