केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉक्टर हर्ष वर्धन ने आज “कोविड-19 संकट के बीच स्वास्थ्य सेवाओं की निरंतरता’ विषय पर पैनल चर्चा में वर्चुअली हिस्सा लिया। संयुक्त राष्ट्र के सहायक महासचिव और कार्यकारी निदेशक, संयुक्त राष्ट्र प्रशिक्षण और अनुसंधान संस्थान श्री निखिल सेठ, सह-निदेशक इंस्टीट्यूट ऑफ ग्लोबल हेल्थ इनोवेशन और कोविड-19 पर महानिदेशक के विशेष दूत डॉ डेविड नाबरो, श्री मुकुल भोला, सीईओ, द डिफीट-एनसीडी पार्टनरशिप, यूनीटार, गांबिया के स्वास्थ्य मंत्री श्री अहमदो लामिन समातेह। रवांडा के स्वास्थ्य मंत्री श्री डेनियल नागम्जे, स्वास्थ्य मंत्री, रॉयल गवर्मेंट ऑफभूटान ल्योंपो दिंची वांग्मो, इस्लामिक डेवलपमेंट बैंक के अध्यक्ष श्री बान्दर एम एच हज्जार और श्री मेनेसी टेडेसे अध्यक्ष, इमर्जिंग मार्केट्स, वियाट्रिस ने पैनल चर्चा में भाग लिया।
केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने “संयुक्त राष्ट्र प्रशिक्षण और अनुसंधान संस्थान की डिफीट-एनसीडी पार्टनरशिप” के द्वारा “कोविड-19 संकट के दौरान एनसीडी के लिए निर्बाध स्वास्थ्य सेवाएं” पर देशों के लिए कॉल फॉर एक्शन सत्र आयोजित करने की सराहना की। वर्तमान मानवीय संकट के दौरान गैर-संचारी रोग के मरीजों को स्वास्थ्य सेवाओं की निरंतरता सुनिश्चित करने के लिए इस बैठक का आयोजन किया गया था। डिफीट-एनसीडी पार्टनरशिप की शुरुआत इस तथ्य के साथ हुई थी कि एनसीडी का अब दुनिया भर में फैली बीमारियों के मामलों में एक बड़ा हिस्सा है, जिससे हर साल कम से कम 4.1 करोड़ लोगों की मौत होती है, जो कि दुनिया भर में होने वाली मौतों का 70 प्रतिशत हिस्सा है।
डॉक्टर हर्ष वर्धन ने दुनिया को मौजूदा बेहद गंभीर संकट, कोविड-19 महामारी के वैश्विक खतरे की याद दिलाई, जिसके कारण दुनिया भर में 34.6 लाख से अधिक मौतें हुई हैं। उन्होंने कहा कि भारत भी महामारी की दूसरी लहर का खामियाजा भुगत रहा है।
आवश्यक स्वास्थ्य सेवाओं को प्रदान करने के महत्व पर और इन सेवाओं को निर्बाध रूप से जारी रखने की वैश्विक स्वास्थ्य प्रणाली की क्षमता पर कोविड-19 महामारी के गहरे असर पर प्रकाश डालते हुए, केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने कहा “जबकि कोविड-19 मरीजों की देखभाल की बढ़ती मांग दुनिया भर की स्वास्थ्य प्रणालियों के लिये गंभीर चुनौती पेश कर रही है, कोविड-19 महामारी ने हमारी स्वास्थ्य प्रणालियों पर अभूतपूर्व मांग का बोझ डाल दिया है। हमारी स्वास्थ्य सुविधायें और कार्यबल पर वर्तमान में महामारी को नियंत्रित करने से संबंधित गतिविधियों की अधिकता का असर है। इस प्रक्रिया में समाज स्वास्थ्य प्रणालियों से जिन आवश्यक सेवाओं की उम्मीद करता है, उसमें समझौता हो जाता है। हालांकि कोविड-19 से जुड़ी गतिविधियों पर ध्यान केंद्रित करते हुए और आवश्यक सेवायें प्रदान करते हुए ये आवश्यक है कि न केवल आवश्यक स्वास्थ्य सेवाओं को प्रदान करने के लिए लोगों का स्वास्थ्य प्रणालियों पर भरोसा बना रहे, साथ ही स्वास्थ्य से जुड़ी अन्य परिस्थितियों से स्वास्थ्य की गंभीर समस्याओं और मरने वालों की संख्या में बढ़त को कम से कम रखा जाये।
डॉक्टर हर्ष वर्धन के मुताबिक सभी के लिये स्वास्थ्य सेवा को हासिल करने और एनसीडी से समय पूर्व होने वाली मौतों की संख्या एक तिहाई तक कम करने के लिये स्वास्थ्य सेवा प्रणालियों में जड़ से बदलाव जरूरी हैं। उन्होने कहा “सतत विकास लक्ष्य का मंत्र “किसी को पीछे न छोड़ें“। एक व्यापक सार्वजनिक स्वास्थ्य दृष्टिकोण और सभी पक्षधारकों के द्वारा कार्यवाही पर जोर देता है। यही कारण है कि विश्व के नेता, सरकारें और समाज के सभी क्षेत्रों के हितधारक चुनौतीपूर्ण समय जैसा वर्तमान में है, के दौरान एनसीडी देखभाल जारी रखने के लिये इस उच्च स्तरीय बैठक को उत्सुकता से देख रहे हैं। इसी संदर्भ में, आज की बैठक हम सभी के लिए एक साथ आने और महामारी के दौरान एनसीडी से होने वाली पीड़ा और ऐसी मौतें जिन्हें रोका जा सकता है, से बचने के लिए कार्रवाई करने का एक अनूठा अवसर प्रस्तुत करती है।
एनसीडी को लेकर भारत के प्रयासों की उपलब्धि और 2011 और 2014 में संयुक्त राष्ट्रमहासभा में गैर-संचारी रोगों की रोकथाम और नियंत्रण पर उच्च स्तरीय बैठक के अनुसार उठाये इन कदमों के लिये मार्गदर्शन देने वाली मजबूत और एक दिशा में कार्यरत राजनैतिक ताकतों पर जोर देते हुए स्वास्थ्य मंत्री ने कहा “जबकि दुनिया भर में 70% मौतें एनसीडी के कारण होती हैं, भारत में यह आंकड़ा कम, लगभग 63% होने का अनुमान है। हम 2015 से 2019 तक एनसीडी की वजह से समय से पहले होने वाली मृत्यु दर को 503 से घटाकर 490 प्रति 100,000 जनसंख्या करने में सफल रहे हैं। सरकार के द्वारा उठाये गये कई कदमों से आंकड़ों में ये कमी आई है। एनसीडी के लिये शुरुआती देखभाल अब 76,102 नये स्थापित आयुष्मान भारत स्वास्थ्य एवं कल्याण केंद्र पर प्रदान की जा रही है। आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (पीएमजेएवाई) ने एनसीडी की जांच और निदान को शामिल करने के लिए प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा के दायरे का विस्तार किया है, और 10 करोड़ कमजोर लोगों के लिए एनसीडी से संबंधित ऊंचे खर्च को समाप्त कर दिया है। भारत तंबाकू, नमक और चीनी से जुड़े एनसीडी जोखिम कारकों को कम करने और खाना पकाने के ठोस ईंधन में बदलाव कर घरेलू प्रदूषण को कम करने के लिए एक बहु-क्षेत्रीय कार्य योजना प्रारंभ करने वाले शुरुआती देशों में से एक रहा है। लाखों घरेलू परिवारों को रसोई गैस के प्रावधान से महिलाओं में श्वास संबंधी गंभीर समस्यायें कम हुई हैं।
नवीन टेलीमेडिसिन तकनीकों को लागू करने की आवश्यकता और भारत ने इसे कोविड-19 के कठिन समय में कैसे अपनाया है, इसे रेखांकित करते हुए डॉक्टर हर्ष वर्धन ने कहा “एक बड़े निजी आईटी क्षेत्र के साथ भारत के पास एक विशिष्ट बढ़त है, टेलीमेडिसिन के साथ जोड़ा गया आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस काफी असरदार है। भारत 2025 तक समय से पहले होने वाली मौतों को 25% तक कम करने का लक्ष्य बना रहा है, जिसमें कोविड-19 के लिये प्रतिक्रियाओं को एनसीडी स्क्रीनिंग और देखभाल के साथ एकीकृत किया जा रहा है, और आईटी तथा एआई क्षमता को अधिकतम किया जा रहा है। कोविड-19 के लिये सरकारी आवंटन एवं अन्य निवेश को पूरी समझदाऱी के राष्ट्रीय एनसीडी कार्य योजना के साथ जोड़ा जा रहा है। एनसीडी निदान को कोविड परीक्षण के साथ स्थापित किया जा रहा है और एनसीडी केयर सेवाओं को स्वास्थ्य एवं कल्याण केंद्र में बढ़ाया जा रहा है।
डॉक्टर हर्ष वर्धन ने समय पर कार्रवाई में मदद के लिये शासन और समन्वय तंत्र को व्यवस्थित करने की आवश्यकता पर बल दिया और समय की जरूरत के साथ बदलती स्थितियों के मुताबिक अनुकूल होने के लिए आवश्यक स्वास्थ्य सेवाओं को प्राथमिकता देने पर बल दिया। एनसीडी की प्रभावी रोकथाम और नियंत्रण को बढ़ाने की दिशा में आगे का रास्ता दिखाते हुए केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने कहा “जन स्वास्थ्य नेताओं के रूप में, हमें जन स्वास्थ्य के लिए धनराशि उपलब्ध कराने और मौजूदा बजटीय संसाधनों तक पहुंचने में आ रही आर्थिक बाधाओं को हटाने के साथ-साथ इनकी प्राथमिकताओं और योजनाओं को फिर से तय करने के लिये एक नई प्रतिबद्धता की जरूरत है। मुझे भरोसा है कि डिफीट-एनसीडी पार्टनरशिप सभी देशों में कार्यवाही के लिये सरकारों, निजी क्षेत्रों और नागरिक समाज को एक साथ ला रही है। दुनिया के पास एनसीडी की लहर को मोड़ने के लिये पर्याप्त ज्ञान, क्षमता और यहां तक साधन भी उपलब्ध हैं, लेकिन साझा आदर्शवाद के साथ सहयोग बेहद अहम होगा।”