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डॉ. हर्ष वर्धन ने खाद्य एवं पोषण के संबंध में सहयोगात्मक अनुसंधान एवं सूचना प्रसार के लिए सीएसआईआर एवं एफएसएसएआई के बीच एमओयू के हस्ताक्षर का संचालन किया

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नई दिल्ली: केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. हर्ष वर्धन ने आज यहां केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री श्री अश्विनी कुमार चौबे की उपस्थिति में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय के तहत वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) तथा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के तहत भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) के बीच एमओयू के हस्ताक्षर का संचालन किया। इस एमओयू का उद्देश्य खाद्य एवं पोषण के संबंध में सहयोगात्मक अनुसंधान एवं सूचना कर प्रसार करना है।

इस नवोन्मेषी कदम, जो दोनों प्रमुख संगठनों की क्षमताओं एवं सकायों का विलय करेगा, के लिए एफएसएसएआई एवं सीएसआईआर को बधाई देते हुए, डॉ. हर्ष वर्धन ने कहा कि यह एमओयू भारतीय व्यवसायों की तैनाती के लिए और या/अनुपालनों के विनियमन के लिए सीएसआईआर के पास उपलब्ध नवोन्मेषी प्रौद्योगिकीयों की स्वीकृति के साथ साथ खाद्य सुरक्षा एवं पोषण अनुसंधान के क्षेत्र में विकसित की जाने वाली प्रौद्योगिकीयों एवं कार्यक्रमों की पहचान करने में सक्षम बनायेगा। उन्होंने कहा कि यह खाद्य उपभोग, जैवकीय जोखिम की घटना एवं व्याप्ति, खाद्य में संदूषणों, उभरते जोखिमों की पहचान, उनकी कम करने की कार्यनीतियों और त्वरित अलर्ट प्रणाली के संबंध में डाटा का संग्रह का प्रयास भी करेगा। उन्होंने कहा कि दोनों संगठन खाद्य उत्पादों की गुणवत्ता एवं सुरक्षा पर भरोसेमंद रिपोर्टिंग के लिए पद्धतियों के विकास एवं वैधीकरण के उद्देश्य से देश भर में प्रयोगशालाओं के नेटवर्क के गुणवत्तापूर्ण आश्वासन को सुदृढ़ बनाने की दिशा में सहयोग करेंगे।

एफएसएसएआई एवं सीएसआईआर के बीच हस्ताक्षरित एमओयू की चर्चा करते हुए  डॉ. हर्ष वर्धन ने कहा कि, ‘यह एमओयू एक बहुत महत्वपूर्ण कदम है जो खाद्य एवं पोषण के क्षेत्र में सहयोगात्मक अनुसंधान एवं सूचना प्रसार तथा भारत में उपभोक्ता सुरक्षा साल्यूशंस के लिए एक उज्जवल भविष्य का निर्माण करेगा। भारत के इन दो प्रमुख संस्थानों के बीच सहयोग न्यू फूड सिस्टम 2050 के विजन को पूरा करने में योगदान देगा।

डॉ. हर्ष वर्धन ने एफएसएसएआई को उसके ‘ईट राइट इंडिया’के लिए रौकफेलर फाउंडेशन, सेकेंड म्यूज एवं ओपेनआईडियो द्वारा पुरस्कृत किए जाने वाले विश्व के 10 संगठनों में से एक बनने के लिए भी बधाई दी।

यह पुरस्कार उन संगठनों को सम्मानित करता है जिन्होंने पुनरुत्पादक और पोषक खाद्य प्रणाली का एक प्रेरणादायी विजन विकसित किया है जिसे वे वर्ष 2050 तक सृजित करने की आकांक्षा रखते हैं। डॉ. हर्ष वर्धन ने ने कहा कि यह पुरस्कार एफएसएसएआई की खाद्य सुरक्षा एवं पोषण की दिशा में समग्र और पथप्रदर्शक दृष्टिकोण की जोरदार स्वीकृति है। उन्होंने कहा कि यह विकास पथ के लिए विजन भी उपलब्ध कराता है। उन्होंने कहा कि, ‘सभी के लिए स्वास्थ्य का विजन हमारे दैनिक जीवन में शारीरिक व्यायाम और पोषक भोजन सुनिश्चित करने के दोहरे उपायों के जरिये अर्जित किया जा सकता है। ‘ईट राइट इंडिया’विजन सभी हितधारकों को शामिल करके सुरक्षित, स्वास्थ्यवर्द्धक तथा संधारणीय भोजन की संस्कृति सृजित करने और खाद्य उत्पादन, प्रसंस्करण, वितरण, गुणवत्ता एवं ट्रैसिएबिलिटी का लाभ उठाने तथा सही भोजन अभ्यासों का अनुसरण करने में उपभोक्ताओं को सक्षम बनाने का नाम है।’

डॉ. हर्ष वर्धन ने रेखांकित किया कि 2050 की जिस नई भोजन प्रणाली की कल्पना की गई है, उसमें जैविक रूप से उत्पादित स्वास्थ्यवर्द्धक, पोषक, पौध आधारित, स्थानीय, मौसमी एवं स्वदेशी भोजन की मांग में तेज बढोतरी होगी। उन्होंने कहा कि उस समय जलवायु अनुकूल खाद्य उत्पादन प्रणालियों, भूमि एवं जल स्रोतों के संरक्षण, पूरी मूल्य श्रृंखला में भोजन के नुकसान तथा खाद्य अवशिष्टों में कमी, आत्म निर्भर स्थानीय अर्थव्यवस्थाओं के लिए लघु स्तर की उत्पादन इकाइयों में बढोतरी, पर्यावरण अनुकूल पैकेजिंग विकल्पों का उपयोग, अपशिष्ट की रिपर्पसिंग पर भी अधिक फोकस होगा।

श्री अश्विनी कुमार चौबे ने बेहद सम्मानित रौकफेलर पुरस्कार के विजेताओं को बधाई दी। उन्होंने कहा, ‘भारत ने जिस आंदोलन की कल्पना की है, उससे प्राचीन खाद्य अभ्यासों में पारंपरिक आयुर्वेदिक बुद्धिमत्ता का पुनरुत्थान होगा, इन उपायों को व्यवहार में लाने में कई प्रकार के नए रोजगारों का सृजन होगा तथा स्थानीय और ग्रामीण अर्थव्यवस्थाओं को समर्थन मिलेगा, विशेष रूप से महिलाओं का आर्थिक विकास होगा और लैंगिंक समानता आएगी।’उन्होंने कहा कि ‘सीएसआईआर के साथ एमओयू एफएसएसएआई को विद्यमान एवं नवीन प्रौद्योगिकीयों एवं कार्यक्रमों की पहचान करने, खाद्य उपभोग के संबंध में डाटा संग्रहित करने, वर्तमान में उभरते जोखिमों की घटना एवं व्याप्ति, एक त्वरित अलर्ट प्रणाली का विकास तथा इस उद्देश्य के लिए गुणवत्ता आश्वासन प्रयोगशाला नेटवर्क को सुदृढ़ बनाने में सक्षम बनायेगा।’

इस अवसर पर सीएसआईआरके महानिदेशक श्री शेखर सी मांडे, एफएसएसएआई के सीईओ श्री अरुण सिंघल एवं एफएसएसएआई तथा सीएसआईआर के अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे। डीबीटी के तहत एक स्वायत्तशासी निकाय सेंटर आफ इनोवेटिव एवं ऐप्लायड बायोप्रोसेसिंग (सीआईएबी, मोहाली) के डा बमूल्या के पांडा, डा. सुदेश कुमार, डीबीटी के वैज्ञानिक डा. अदानकी वाम्सी कृष्णा, एवं सीएसआईआर लैब्स के निदेशक, केंद्रीय खाद्य प्रौद्योगिकीय अनुसंधान संस्थान (सीएफटीआरआई, मैसूर) के निदेशक श्री के. एम. के. एस. राघव राव, इंडियन इंस्टीच्यूट ऑफ टोक्सिोलॉजी रिसर्च (आईआईटीआर, लखनऊ) के निदेशक डॉ. आलोक धवन, इंस्टीच्यूट ऑफ हिमालयन बायोरिसोर्स टेक्नोलॉजी (आईएचबीटी, पालमपुर) के निदेशक डॉ. संजय कुमार, नेशनल इंस्टीच्यूट फॉर इंटरडिसप्लीनरी साईंस एंड टेक्नोलॉजी (एनआईआईएसटी, तिरुवनंतपुरम) के निदेशक डॉ. अयप्पापपिलई अजयघोष एवं पूर्वोत्तर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संस्थान (एनईआईएसटी, जोरहट) के निदेशक डॉ. नरहरी शास्त्री भी डिजिटल तरीके से इस बैठक में शामिल हुए।

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