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डॉ. हर्ष वर्धन ने कोविड-19 के लिए सार्वजनिक स्वास्थ्य की तैयारियों और उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश तथा गुजरात में टीकाकरण की प्रगति की समीक्षा की

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केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. हर्ष वर्धन ने शनिवार को उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश और गुजरात राज्य के स्वास्थ्य मंत्रियों और प्रधान सचिवों/ अतिरिक्त मुख्य सचिवों के साथ बातचीत की। इस अवसर पर केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री श्री अश्विनी कुमार चौबे भी उपस्थित थे। इन राज्यों/ केन्द्र शासित प्रदेशों में कोविड के दैनिक मामलों की संख्या में उच्च वृद्धि दर, सकारात्मकता दर में वृद्धि, उच्च मृत्यु दर और स्वास्थ्य देखभाल क्षमता पर बढ़ते दबाव को दर्शाता है।

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इस अवसर पर मध्य प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री डॉ. प्रभुराम चौधरी और उत्तर प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री श्री जय प्रताप सिंह, उत्तर प्रदेश के वित्त, संसदीय कार्य तथा चिकित्सा शिक्षा मंत्री श्री सुरेश कुमार खन्ना ने वर्चुअल माध्यम से अपनी उपस्थित दर्ज कराई।

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केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने उन चुनौतियों पर प्रकाश डाला, जिनका सामना राज्यों को करना पड़ रहा हैः गुजरात में अप्रैल महीने से ही सकारात्मकता दर में धीरे-धीरे वृद्धि देखने को मिली है। यहाँ ठीक होने वाले मरीज़ों की दर 79 प्रतिशत है, जो राष्ट्रीय दर से कम है। अहमदाबाद, वडोदरा और मेहसाना में लगभग 100 प्रतिशत आईसीयू बेड और अहमदाबाद तथा वडोदरा में क्रमशः 97 प्रतिशत और 96 प्रतिशत ऑक्सीजन बेड का भर जाना, राज्य में तेज़ी से बढ़ते दबाव को दर्शाता है।

आंध्र प्रदेश में अप्रैल की शुरुआत से ही कोविड की सकारात्मकता दर में वृद्धि देखी गई है। यहाँ कोविड मामलों की साप्ताहिक सकारात्मकता दर अपने उच्चतम स्तर 30.3 प्रतिशत तक पहुँच गई थी। चित्तूर, ईस्ट गोदावरी, गुंटूर, श्रीकाकुलम, विशाखापट्टनम को ऐसे ज़िलों के रूप में चिन्हित किया गया है, जहाँ स्थिति ज़्यादा चिंताजनक है।

उत्तर प्रदेश में छह सप्ताह की अवधि में कोविड के मामलों में असामान्य वृद्धि देखी (5,500 से 31,000 मामले और 2 प्रतिशत से 14 प्रतिशत सकारात्मकता) गई है, लखनऊ और मेरठ में 14,000 से अधिक सक्रिय मामले हैं। यहाँ अस्पतालों में सभी श्रेणियों के 90 प्रतिशत से अधिक बिस्तर भरे हुए हैं।

मध्य प्रदेश के 10 ज़िलों में 20 प्रतिशत से अधिक सकारात्मकता दर है, जबकि पूरे राज्य में 1 लाख से अधिक सक्रिय मामले हैं। इंदौर, भोपाल, ग्वालियर और जबलपुर को ऐसे ज़िलों के रूप में चिन्हित किया गया है, जहाँ स्थिति ज़्यादा चिंताजनक है। उत्तर प्रदेश और गुजरात राज्य को पहले ही सतर्क किया गया था कि यहाँ 18-45 आयु वर्ग में मृत्यु का अनुपात काफी उच्च स्तर पर जा सकता है।

डॉ. हर्ष वर्धन ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि कोविड के मामलों की वर्तमान स्थिति को हल्के में नहीं लिया जाना चाहिए, बल्कि इसे स्वास्थ्य क्षेत्र के बुनियादी ढांचे के विस्तार, पुनर्निर्माण और सुधार करने के लिए मिले एक अवसर के तौर पर लिया जाना चाहिए। राज्य के स्वास्थ्य अधिकारियों को अपने-अपने राज्यों में आईसीयू और ऑक्सीजन बेड की संख्या को बढ़ाने, ऑक्सीजन का ऑडिट कराने, दवाइयों की उपलब्धता सुनिश्चित करने और राज्य में चिकित्सा कर्मियों की संख्या को बढ़ाने और सशक्त करने की सलाह दी गई।

एनसीडीसी के निदेशक डॉ. सुजीत के सिंह ने महामारी विज्ञान के निष्कर्ष और राज्यों में कोविड की स्थिति का बारीकी से किया गया विश्लेषण प्रस्तुत किया। उन्होंने छोटे शहरों में स्वास्थ्य के बुनियादी ढांचे पर ध्यान केंद्रित करने और इस दिशा में किए जा रहे प्रयासों को जारी रखने का सुझाव दिया, क्योंकि कोविड के मामलों में उछाल आने की स्थिति में आसपास के कस्बों और गांवों के लोग इलाज कराने के लिए इन छोटे शहरों में ही आएँगे। उन्होंने राज्यों से अनुरोध किया कि वे आईएनएसएसीओजी कंसोर्टियम के माध्यम से कोविड के विभिन्न रूपों पर नज़र बनाकर रखें। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की एएस एंड एमडी सुश्री वंदना गुरनानी ने वैक्सीन की खुराक का सर्वोत्तम और विवेकपूर्ण उपयोग सुनिश्चित करने के बारे में एक प्रस्तुति दी।

राज्यों के स्वास्थ्य मंत्रियों ने इस बात पर आम सहमति जताई कि टीका लगवाने के परिणामस्वरूप मरीज़ों में कोविड के हल्के लक्षण देखे गए, जिससे लोगों की जान जाने से रोका जा सका। राज्यों को अपने यहाँ टीकाकरण अभियान का विस्तार करने के लिए अधिक टीकों की आवश्यकता है, इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए डॉ. हर्ष वर्धन ने कहा टीके की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए उत्पादन में तेज़ी से वृद्धि की जा रही है, और अभी तक जितने टीकों का उत्पादन हो चुका है, उन्हें समान रूप से विभाजित कर राज्यों/ केन्द्र शासित प्रदेशों को शीघ्रता के साथ भेजा जा रहा है। टीके के उत्पादन में तेज़ी लाने संबंधी विवरण प्रस्तुत करते हुए, उन्होंने कहा, “जुलाई महीने के अंत तक हमारे पास वैक्सीन की 51.60 करोड़ खुराक होंगी, इनमें अभी तक लगाई जा चुकी 18 करोड़ खुराक शामिल हैं। स्पुतनिक को मंज़ूरी दी जा चुकी है। वहीं दूसरी ओर, अगस्त-दिसंबर की अवधि में ज़ायडस कैडिला की नई वैक्सीन, सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया की नोवावैक्स वैक्सीन, भारत बायोटैक की नाक में डालने वाली वैक्सीन और जेनोवा एमआरएनए वैक्सीन को मंज़ूरी मिलने से भारत में वैक्सीन का उत्पादन 216 करोड़ खुराक तक पहुँच जाएगा।”

श्री अश्विनी कुमार चौबे ने कार्यक्रम में शामिल संबंधित राज्यों के स्वास्थ्य मंत्रियों, अधिकारियों और स्वास्थ्य कर्मियों को ज़मीनी स्तर पर बहादुरी के साथ काम करने और महामारी को रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए उनका आभार व्यक्त किया। उन्होंने राज्यों के सभी सहकर्मियों को आश्वासन दिया कि केन्द्र सरकार राज्यों की ज़रूरतों को गंभीरता से सुनेगी और अपनी क्षमता के अनुसार उन्हें पूरा करने का प्रयास करेगी।

राज्यों को सलाह दी गई कि वे अपने यहाँ 45 वर्ष से अधिक आयु वर्ग/एचसीडब्ल्यू/एफएलडब्ल्यू श्रेणी में उपलब्ध वैक्सीन के सभी स्लॉट्स का सदुपयोग करें। इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए वैक्सीन की दूसरी खुराक को पूरा करने के महत्व को बताने वाले जागरूकता अभियान चलाएं। इस बात पर भी बल दिया गया कि राज्यों को टीके की बर्बादी को कम करने पर ध्यान केन्द्रित करने की आवश्यकता है, क्योंकि इस बर्बादी को संबंधित राज्य को बाद में आवंटित की जाने वाली खुराकों में शामिल किया जाएगा। केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय में कार्यरत समर्पित कोविड टीमों की तर्ज पर राज्यों को भी 2/3 सदस्यों वाली राज्यस्तरीय डेडिकेटेड टीम का गठन करने की सलाह दी गई। ये टीमें भारत सरकार के माध्यम से प्राप्त होने वाली वैक्सीन के अलावा वैक्सीन की अन्य खुराकों के लिए वैक्सीन निर्माताओं के साथ नियमित तरीके से समन्वय स्थापित करे। साथ ही ये टीम निजी अस्पलातों द्वारा वैक्सीन की सीधी खरीद के दौरान इन अस्पतालों के साथ भी समन्वय स्थापित करने का काम करे। केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय राज्य/ केन्द्र शासित प्रदेशों के साथ निजी अस्पतालों की एक सूची पहले ही साझआ कर चुका है, जिसमें बताया गया है कि निजी अस्पतालों ने वैक्सीन की कितनी खुराक की मांग की है, और उन्हें कितनी आपूर्ति अब तक दी गई है।

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