केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री डॉ. हर्ष वर्धन ने आज कर्नाटक के स्वास्थ्य और चिकित्सा शिक्षा मंत्री डॉ. के. सुधाकर और राज्य सरकार के अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये बैठक की।
कोरोना का मुकाबला करने में भारत की प्रगति पर संतोष जाहिर करते हुए डॉ. हर्ष वर्धन ने कहा, “हम जल्द ही कोरोना से लड़ने में 10 महीने की यात्रा पूरी करेंगे। देश अब कोविड मापदंडों में पर्याप्त वृद्धि देख रहा है। मामलों और मौतों की संख्या में गिरावट का दौर है। कोरोना के एक्टिव मामलों में काफी कमी आई है। भारत में कोरोना मरीजों के ठीक होने की दर आज 92% को पार कर गई है। कोरोना से होने वाली मृत्युदर भी घट रही है जो अभी 1.49% है। 2000 से अधिक लैब्स के साथ टेस्टिंग की क्षमता भी बढ़ी है।”
माननीय प्रधानमंत्री के ‘जन आंदोलन’ के आह्वान के मद्देनजर केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री ने देशभर के लोगों से कोविड से निपटने के लिए अपनाए जाने वाले उचित उपायों को बरतने की अपील की। उन्होंने कहा, “आने वाले त्योहार और सर्दियों के मौसम में, वायरस संभावित खतरे पैदा करता है। वायरस के प्रसार को रोकने के लिए कोविड उपयुक्त व्यवहार का पालन करना बहुत महत्वपूर्ण हो जाता है। जब भी बुनियादी एहतियाती उपायों का पालन करने में शिथिलता आई है, देश को नुकसान उठाना पड़ा है।”
देश के साथ कर्नाटक के कोविड प्रक्षेपवक्र की तुलना करते हुए डॉ. हर्ष वर्धन ने कहा, “कर्नाटक में महाराष्ट्र के बाद दूसरा सबसे अधिक कोरोना के संचयी मामले हैं। कर्नाटक में कोरोना संक्रमित मरीजों के ठीक होने की दर 93% है जो राष्ट्रीय रिकवरी दर से अधिक है। कोरोना से होने वाली मृत्यु दर (1.35%) राष्ट्रीय औसत से कम है।” उन्होंने एक्टिव मामलों को कम करने में राज्य के प्रयासों की भी सराहना की।
डॉ. हर्षवर्धन ने बेंगलुरु, मैसूरु, बेलारी, दक्षिण कन्नड़, हसन और बेलागवी जैसे शहरी इलाकों में इस बीमारी के लक्षण दिखने पर चिंता व्यक्त की। ये कर्नाटक वे जिले हैं, जहां कोरोना मामलों का लोड अधिक है। डॉ. हर्ष वर्धन ने उन जिलों के अधिकारियों के साथ भी बात की जहां कोरोना के एक्टिव मामले बढ़ रहे हैं और मृत्यु दर में तेजी देखी जा रही है। उन्होंने कोरोना से बचाव संबंधी सूचना, शिक्षा और संचार (आईईसी) यानी जागरूकता फैलाने की गतिविधियों पर तेजी से काम करने के लिए कर्नाटक की सराहना की। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने राज्य से कोविड संबंधी उपयुक्त व्यवहार को अपनाने के लिए व्यापक पैमाने पर जागरूकता अभियान चलाने का आग्रह किया।
राज्य के स्वास्थ्य अधिकारियों ने केंद्रीय मंत्री को कोविड को रोकने के लिए उठाए गए कदमों से अवगत कराया। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने उन छह जिलों के उपायुक्त और जिलाधिकारियों से बात की जहां कोरोना केस और उससे मरने वालों की संख्या अधिक है। राज्य 4 टी- ट्रेसिंग (मामलों को पता लगाना), टेस्टिंग, ट्रीटमेंट (इलाज) और कोविड-19 से निपटने की टेक्नोलॉजी की अवधारणा पर काम कर रहा है। जून में प्रति दिन 10,000 टेस्टिंग होती थी जिसे बढ़ाकर अब तक 80,000 प्रति दिन कर दिया गया है। राज्य के सभी मेडिकल कॉलेजों में टेस्टिंग की सुविधा उपलब्ध कराई गई है। इससे टेस्टिंग क्षमता कई गुना बढ़ गई है। राज्य में अब तक 80 लाख से अधिक टेस्ट किए जा चुके हैं। राज्य के अधिकारियों ने बताया कि 80% आरटीपीसीआर टेस्ट किए गए हैं। 25 अक्टूबर से 1 नवंबर के बीच राज्य में एक्टिव मामलों में 37% की कमी आई है। प्रारंभिक रोकथाम और उचित उपचार सुनिश्चित करने के लिए रैंडम पूल टेस्टिंग और लक्षित टेस्टिंग पर काम किया गया है। शहरी क्षेत्रों में कंटेनमेंट रणनीतियों को अपनाया गया। जागरूकता फैलाने संबंधी गतिविधियों को राज्य में महत्वपूर्ण बढ़ावा दिया गया है और इस मकसद से एक अलग कोष आवंटित किया गया है।
केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव श्री राजेश भूषण ने रेखांकित किया कि कर्नाटक में कोविड के नए मामलों और मौतों में काफी गिरावट आई है, लेकिन अभी भी मापदंडों को जुलाई के स्तर पर लाने के लिए बहुत कुछ करने की आवश्यकता है। राज्य को पॉजिटिव केस के स्तर को 5% से कम पर लाने का लक्ष्य रखना चाहिए। राज्य को उन जिलों के सभी शेयरहोल्डर्स के साथ आक्रामक रूप से जुड़ने की आवश्यकता है, जिनकी राष्ट्रीय औसत की तुलना में मृत्यु दर अधिक है।
एनसीडीसी के निदेशक डॉ. एस के सिंह ने राज्य में कोविड की मौजूदा स्थिति पर एक संक्षिप्त प्रस्तुति दी। उन्होंने कोविड से निपटने के लिए उपयुक्त व्यवहार के लिए निरंतर सतर्कता बरतने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला।
इस बैठक में अतिरिक्त सचिव (स्वास्थ्य) श्रीमती आरती आहूजा, डीजीएचएस डॉ. सुनील कुमार, संयुक्त सचिव श्री लव कुमार और अन्य वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे। राज्य के अन्य अधिकारी भी वर्चुअली मीटिंग में शामिल हुए।