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डॉ. हर्षवर्धन ने उत्तरदायी, समावेशी और सामूहिक समाधान के प्रति भारत के संकल्प को दोहराया

देश-विदेश

नई दिल्ली: भारत ने दक्षिण अफ्रीका के डरबन में आज चौथी ब्रिक्स मंत्रीस्तरीय बैठक में संसाधनों में कमी और अभाव की चिंताओं के बीच संसाधनों के न्यायोचित उपयोग का आह्वान किया। केन्द्रीय पर्यावरण वन तथा जलवायु परिवर्तन मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि वैश्विक सामग्रियों में कमी या वर्तमान स्तर पर स्थिरता के कारण एशिया प्रशांत क्षेत्र विशेषकर भारत में चयापचय दरों में कमी की मांग हो रही है। उन्होंने कहा कि यह केवल संसाधन सक्षमता से संभव है, न केवल भौतिक जीवन चक्र में बल्कि खपत के बाद के चरण में भी। उन्होंने कहा कि द्वितियक संसाधन (अनुपयोगी सामग्री) को चक्रीय अर्थव्यवस्था दृष्टिकोण अपनाकर उत्पादन में लाने की जरूरत है। डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि संसाधन सक्षमता और चक्रीय अर्थव्यवस्था सतत विकास के प्रमुख तत्व हैं। इसलिए इसे हासिल करने के लिए वैश्विक स्तर पर संकल्प व्यक्त किया गया है।

उत्तरदायी, समावेशी और सामूहिक समाधान प्रदान करने के भारत के संकल्प को दोहराते हुए डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि वायु प्रदूषण, कचरा प्रबंधन, संसाधन अभाव और जलवायु परिवर्तन जैसी समान समस्याएं ब्रिक्स देशों के समक्ष हैं। डॉ. वर्धन ने कहा कि प्रौद्योगिकी हस्तांतरण और आवश्यक क्षमता सृजन के जरिए वायु प्रदूषण नियंत्रित करने में ब्रिक्स देशों को एक-दूसरे के साथ सहयोग करना चाहिए। उन्होंने ब्रिक्स देशों से देश, क्षेत्र तथा वैश्विक स्तर पर टेक्नोलॉजी हस्तांतरण, क्षमता सृजन और ज्ञान हस्तांरण पर सहयोग के प्रति संकल्प व्यक्त करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि ब्रिक्स देश वर्तमान विज्ञान, टेक्नोलॉजी, नवाचारी प्लेटफॉर्मों, दोहरीकरण को टालने के बारे में एक-दूसरे के पूरक हो सकते हैं और पर्याप्त सूचना का आदान-प्रदान कर सकते हैं। पर्यावरण मंत्री ने कहा कि शहरी पर्यावरण सतत् पहल (पीयूईएसआई) के लिए साझेदारी के तौर-तरीकों पर ब्रिक्स के पर्यावरण कार्यसमूह में योगदान करके भारत को प्रसन्नता होगी।

इस अवसर पर दक्षिण अफ्रीका की जल और पर्यावरण मंत्री सुश्री बोमो एडिथ इडना मोलेवा, ब्राजील के पर्यावरण, ऊर्जा तथा विज्ञान और प्रौद्योगिकी उपमंत्री श्री जे. एंटोनियो मार्कोन्डेज, रूस के प्राकृतिक संसाधन और पर्यावरण के अंतर्राष्ट्रीय सहयोग विभाग के महानिदेशक श्री न्युत्रीदिन इमानोव, चीन के पर्यावरण उपमंत्री श्री ह्वांग रूनकी तथा संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (यूएनईपी) के प्रतिनिधि श्री जोर्गे लेगुना सेलिस उपस्थित थे।

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