नई दिल्ली: केन्द्रीय कार्मिक एवं लोक-शिकायत व पेंशन मंत्री डॉ. जितेन्द्र सिंह ने नई दिल्ली में मालदीव और बांग्लादेश के असैन्य अधिकारियों के विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम के दीक्षांत सत्र को संबोधित किया। इस कार्यक्रम में विदेश मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी तथा भारत में बांग्लादेश उच्चायोग एवं मालदीव दूतावास के वरिष्ठ अधिकारियों ने भाग लिया।
भारत और बांग्लादेश तथा भारत एवं मालदीव के बीच हुए समझौतों के तहत पांच वर्षों के दौरान बांग्लादेश व मालदीव के क्रमशः 1800 व 1000 अधिकारियों को प्रशिक्षण दिया जाना था। दो सप्ताह लम्बे इस विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम को मसूरी और दिल्ली में नेशनल सेंटर फॉर गुड गवर्नेंस (एनसीजीजी) आयोजित कर रहा है। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में मालदीव के 33 और बांग्लादेश के 31 अधिकारी भाग ले रहे हैं।
दीक्षांत सम्बोधन में डॉ. जितेन्द्र सिंह ने कहा कि यह प्रशिक्षण कार्यक्रम भारत व दोनों पड़ोसी देशों के बीच बहु-आयामी संबंधों का विस्तार है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने ‘पड़ोसी सबसे पहले’ नीति पर हमेशा जोर दिया है। पड़ोसी देशों के छात्र अध्ययन के लिए भारत आ रहे है।
डॉ. जितेन्द्र सिंह ने कहा कि 1500 पुराने कानूनों को समाप्त किया जा चुका है और भारत अधिकतम शासन और न्यूनतम सरकार पर विशेष जोर दे रहा है।
भारत में मालदीव गणराज्य के राजदूत सुश्री आइशाथ मोहमेद दीदी ने कहा कि मालदीव के असैन्य अधिकारी इस प्रशिक्षण कार्यक्रम से बहुत कुछ सीख सकते है। ई-प्रशासन को सीखना व समझना आवश्यक है। मालदीव सहयोग बनाए रखेगा।
मालदीव के सिविल सर्विस कमीशन के चेयनमैन डॉ. अली शामीन ने कहा कि भारत विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र है और प्रौद्योगिकी स्तर पर एक आधुनिक देश है। इस प्रशिक्षण से ज्ञान प्राप्ति और तकनीकी कौशल प्राप्त करने का अवसर मिलेगा। उन्होंने आधार कार्ड, राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन दिशा-निर्देश, स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट आदि का भी जिक्र किया।
विदेश मंत्रालय की संयुक्त सचिव सुश्री देवयानी खोबरागड़े ने कहा कि यह प्रशिक्षण कार्यक्रम विदेश मंत्रालय के आईटीईसी कार्यक्रम का हिस्सा है। भारत एक विविधतापूर्ण देश है। इस कार्यक्रम में भारत के अनुभवों को साझा करने का अवसर मिलेगा। भारत पड़ोसी देशों को विकास प्रक्रिया में बराबर का भागीदार मानता है।
श्री के.वी. ईप्पन ने कहा कि आईटीईसी भारत के लिए एक उपयोगी कार्यक्रम है, जहां हम पड़ोसी देशों के असैन्य अधिकारियों को शामिल करते है। भारत ने बांग्लादेश के 1500 असैन्य अधिकारियों को प्रशिक्षण प्रदान किया है और निकट भविष्य में 1800 अन्य असैन्य अधिकारियों को प्रशिक्षण प्रदान करेगा। पड़ोसी देश को ध्यान में रखते हुए भारत प्रशिक्षण कार्यक्रम तैयार करता है।
डीएआरपीजी के अवर सचिव श्री वी. श्रीनिवास ने स्वागत भाषण में कहा कि भारत की प्राशासनिक प्रणाली में आधारभूत बदलाव हुए है और बड़े पैमाने पर डिजिटल इंडिया कार्यक्रमों को अपनाया गया है। उन्होंने ई-प्रशासन पर आयोजित राष्ट्रीय सम्मेलन के दौरान शिलांग घोषणा पत्र का जिक्र किया। लोक-शिकायतों के लिए भारत के डिजिटल पोर्टल सीपीजीआरएएमएस के माध्यम से शिकायतों के समाधान में तेजी आई है।
भारत प्रौद्योगिकी और आर्थिक सहयोग कार्यक्रम (आईटीईसी) के तहत इस प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन 16-28 सितंबर, 2019 तक मसूरी और दिल्ली में किया जाएगा। मालदीव असैन्य अधिकारियों के लिए आयोजित उद्घाटन सत्र के अध्यक्षता डीएआरपीजी के सचिव श्री के.वी. ईप्पन, सिविल सर्विस कमीशन की सदस्य सुश्री फातिमाथ अमीरा तथा डीएआरपीजी के अवर सचिव श्री वी. श्रीनिवास ने की।
जून, 2019 में मालदीव यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने पड़ोसी सबसे पहले नीति पर जोर देते हुए मालदीव को हर संभव समर्थन देने का आश्वासन दिया था। यात्रा के दौरान हुए समझौते में अगले पांच वर्षों के दौरान मालदीव के 1000 असैन्य अधिकारियों के क्षमता निर्माण को शामिल किया गया था। समझौते के तहत सितंबर, 2019 से दिसंबर, 2020 तक दस प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए जाएगे। 2019 में पहले तीन प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए जाएगे- क.) 16-28 सितंबर, 2019 ख.) 18-30 नवंबर, 2019- 60 अधिकारियों के लिए और ग.) 2-14 दिसंबर, 2019- 30 अधिकारियों के लिए।