केन्द्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी (स्वतंत्र प्रभार), पृथ्वी विज्ञान (स्वतंत्र प्रभार), प्रधानमंत्री कार्यालय, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा तथा अंतरिक्ष राज्य मंत्री डॉ. जितेन्द्र सिंह ने आज स्वच्छ और हरित ऊर्जा के क्षेत्र में भारत तथा अमेरिका के बीच और अधिक सहयोग का आह्वान किया। उन्होंने न केवल स्वच्छ ऊर्जा के एक प्रमुख स्रोत बल्कि स्वास्थ्य सेवा एवं कृषि क्षेत्रों में इस्तेमाल का एक प्रमुख साधन उपलब्ध कराने के लिए परमाणु/नाभिकीय कार्यक्रम को बढ़ावा देने के लिए भारत की प्रतिबद्धता दोहरायी।
अमेरिका के ऊर्जा उप मंत्री श्री डेविड एम. तुर्क के नेतृत्व में एक उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल के साथ एक बैठक के दौरान, डॉ. जितेन्द्र सिंह ने कहा कि भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका जैव ईंधन और हाइड्रोजन जैसे स्वच्छ ऊर्जा के क्षेत्रों पर ध्यान केन्द्रित करने के लिए अपनी रणनीतिक साझेदारी में सुधार कर रहे हैं।
डॉ. जितेन्द्र सिंह ने प्रतिनिधिमंडल को बताया कि अगले दस वर्षों में, भारत तीन गुना से अधिक परमाणु ऊर्जा का उत्पादन करेगा और वर्तमान 6780 मेगावाट से वर्ष 2031 तक इसके 22,480 मेगावाट तक पहुंचने की उम्मीद है, क्योंकि भविष्य में और अधिक परमाणु ऊर्जा संयंत्रों की भी योजना है।
परमाणु ऊर्जा क्षेत्र में संयुक्त उद्यमों के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के विचार के बारे में, डॉ. सिंह ने कहा कि खाद्य संरक्षण के लिए गामा विकिरण प्रौद्योगिकी को पहले ही निजी कंपनियों के साथ साझा किया जा चुका है। उन्होंने कहा कि फिलहाल देश में निजी, अर्ध-सरकारी और सरकारी क्षेत्र में विभिन्न उत्पादों के विकिरण के लिए 26 गामा विकिरण प्रसंस्करण संयंत्र संचालित हैं। उन्होंने कैंसर और अन्य बीमारियों के किफायती उपचार के माध्यम से मानवता के कल्याण को बढ़ावा देने के लिए चिकित्सा आइसोटोप के उत्पादन के लिए पीपीपी मोड में एक अनुसंधान रिएक्टर स्थापित करने के प्रस्ताव के बारे में भी चर्चा की।
अमेरिका के ऊर्जा उप मंत्री श्री डेविड एम. तुर्क ने डॉ. जितेन्द्र सिंह को आश्वासन दिया कि अमेरिका परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में भारत के साथ अपने सहयोग को और मजबूत करेगा क्योंकि वहां बहुत अधिक संभावना है। श्री तुर्क ने ग्रीन हाइड्रोजन के क्षेत्र में भारत के साथ गहरे जुड़ाव का भी वादा किया, जैसा कि हाल ही में प्रधानमंत्री श्री मोदी ने अपने स्वतंत्रता दिवस भाषण में घोषणा की थी। यात्रा पर आए ऊर्जा मंत्री ने कहा कि यह जलवायु परिवर्तन और शमन संबंधी मुद्दों के लिए भी अनिवार्य है। दोनों देशों ने यूएस-इंडिया गैस टास्क फोर्स के परिवर्तन के लिए भी हस्ताक्षर किए हैं। यह प्राकृतिक गैस के साथ बायोएनर्जी, हाइड्रोजन और नवीकरणीय ईंधन के बीच आपसी संबंधों पर पर जोर देगा।
डॉ. जितेन्द्र सिंह ने कहा, जैव ईंधन, अक्षय ऊर्जा और हरित हाइड्रोजन की तेजी से शुरुआत के साथ, भारत कार्बन तटस्थता की दिशा में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए तैयार है। उन्होंने कहा कि सरकार पहले से ही गतिशीलता क्षेत्र के लिए हाइड्रोजन ईंधन और प्रौद्योगिकी के अनुकूलन को प्रोत्साहित कर रही है और स्टील, सीमेंट और ग्लास निर्माण उद्योग जैसे कई उद्योगों ने पहले ही हीटिंग आवश्यकताओं के लिए हाइड्रोजन का उपयोग करना शुरू कर दिया है।
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी और अकादमिक आदान-प्रदान कार्यक्रमों में व्यापक सहयोग की चर्चा करते हुए, डॉ. जितेन्द्र सिंह ने कहा कि भारत ने एक मिशन “एकीकृत जैव रिफाइनरी” शुरू करने का प्रस्ताव किया है, जिसके लिए अमेरिका सक्रिय रूप से पहल का समर्थन कर रहा है। उन्नत जैव ईंधन और नवीकरणीय रसायन तथा सामग्री में सहयोग के लिए संभावित अनुसंधान एवं विकास के कुछ क्षेत्रों की पहचान की गई है। उन्होंने कहा, मिशन इनोवेशन फेज 1.0 के तहत, भारत सस्टेनेबल बायोफ्यूल इनोवेशन चैलेंज में सक्रिय रूप से नेतृत्व कर रहा है और संयुक्त राज्य अमेरिका सहित अन्य आईसी-4 सदस्य देशों के साथ निकट समन्वय में आरडी एंड डी सहयोगी परियोजनाओं (फंडिंग अवसर घोषणा के माध्यम से) का समर्थन कर रहा है।
कोविड-19 के मोर्चे पर, संयुक्त राज्य अमेरिका-भारत विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी निधि ने कोविड- 19 इग्निशन अनुदान की श्रेणी के तहत 11 द्विपक्षीय टीमों को धन प्रदान किया। वे ऐसे समाधानों पर काम कर रहे हैं जिनमें नवीन प्रारंभिक निदान परीक्षण, एंटीवायरल थेरेपी, दवा पुनर्प्रयोजन, वेंटिलेटर अनुसंधान, कीटाणुशोधन मशीन और सेंसर-आधारित लक्षण ट्रैकिंग शामिल हैं।
द्विपक्षीय आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस इनिशिएटिव पर प्रकाश डालते हुए, डॉ. जितेन्द्र सिंह ने कहा, आईयूएसएसटीएफ की यूएस इंडिया आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस इनिशिएटिव (यूएसआई-एआई) का कर्टन रेज़र 17 मार्च, 2021 को आयोजित किया गया था। विज्ञान, प्रौद्योगिकी और समाज के इंटरफेस पर महत्वपूर्ण क्षेत्रों में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के संदर्भ में सहयोग पर ध्यान केन्द्रित करके अपनी रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करने की दिशा में दोनों देशों को एक अनूठा अवसर प्रदान करना इस पहल का उद्देश्य है।
डॉ. सिंह ने कहा कि पिछले 7 वर्षों में, दुनिया ने देखा है कि कैसे प्रधानमंत्री श्री मोदी ने जलवायु संकट की चुनौतियों से लड़ने के लिए हरित प्रौद्योगिकी के उद्देश्य को आगे बढ़ाया है। उन्होंने कहा कि अपने स्वतंत्रता दिवस के संबोधन में भी श्री मोदी ने कहा था कि विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी अगले 25 वर्षों में एक प्रमुख भूमिका निभाएंगे, जब भारत 100 वर्ष का हो जाएगा। उन्होंने कहा, सभी तकनीकी नवाचारों का अंतिम उद्देश्य “आम आदमी के जीवन को आसान बनाना” है।