केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) ; पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार); प्रधानमंत्री कार्यालय, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि एससीओ की वृद्धि विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार क्षेत्रों में इसकी सफलता पर निर्भर करती है और इस परिदृश्य को बदलने की आवश्यकता है।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने बेंगलुरु में दूसरे एससीओ युवा वैज्ञानिक सम्मेलन में अपने उद्घाटन भाषण में कहा कि भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने एससीओ के राष्ट्र प्रमुखों की परिषद की 19वीं बैठक में ‘हेल्थ’ शब्द के लिए एक संक्षिप्त अर्थ बताया था, हेल्थ (‘एच’ मतलब हेल्थकेयर कोऑपरेशन, ‘ई’ मतलब इकोनॉमिक कोऑपरेशन, ‘ए’ मतलब अल्टरनेट एनर्जी, ‘एल’ मतलब लिटरेचर एंड कल्चर, ‘टी’ मतलब टेररिज्म फ्री सोसाइटी, ‘एच’ मतलब ह्यूमैनिटेरियन कोऑपरेशन)। उन्होंने कहा कि एससीओ मध्य और दक्षिण एशिया की रंगीन और विशिष्ट संस्कृतियों को एक साथ लाता है और यह आपसी सहायता और टीम भावना को बढ़ावा देता है। मंत्री ने कहा कि एससीओ में दुनिया की आबादी का लगभग 42 प्रतिशत, इसके भूमि क्षेत्र का 22 प्रतिशत हिस्सा है, और यह वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद में 20 प्रतिशत का योगदान देता है। उन्होंने कहा कि एससीओ देशों के पास बड़ी संख्या में युवा लोगों के होने का जनसांख्यिकीय लाभ है।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने खाद्य सुरक्षा को एससीओ अर्थव्यवस्थाओं के लिए चिंता का एक प्रमुख क्षेत्र बताया, क्योंकि यह तीन अरब से अधिक लोगों की संयुक्त आबादी के लिए जिम्मेदार है। उन्होंने कहा कि किसानों की आय में सुधार के लिए पूर्व-उत्पादन चरण से लेकर उत्पादन के बाद और विपणन तक कृषि मूल्य श्रृंखला में गुणवत्ता और मात्रा दोनों को बढ़ाने में प्रौद्योगिकी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। उन्होंने कहा कि इस प्रयास में एससीओ की वैज्ञानिक प्रतिभाओं का लाभ उठाना निश्चित रूप से एक बड़ा मूल्य जोड़ देगा।
डॉ. सिंह ने बताया कि हम सूक्ष्म, लघु और मध्यम आकार के व्यवसायों को बढ़ावा देने के लिए स्टार्टअप फोरम और एक नवाचार प्रतियोगिता आयोजित कर सकते हैं। इस बात पर जोर देते हुए कि युवा वैज्ञानिकों का मोटो इनोवेट, पेटेंट, प्रोड्यूस और प्रॉस्पर होना चाहिए, मंत्री ने कहा, ये चार कदम हमारे देशों को तेजी से विकास की ओर ले जाएंगे। उन्होंने विशेष रूप से एससीओ के युवा वैज्ञानिकों से अनुरोध किया कि वे आगे आएं और उपलब्ध सीमित संसाधनों के साथ हमारी आम सामाजिक चुनौतियों के समाधान के लिए हाथ मिलाएं।
एससीओ के लिए चिंता के एक अन्य क्षेत्र पर प्रकाश डालते हुए, मंत्री ने कहा कि पर्यावरणीय क्षरण लंबे समय से एससीओ क्षेत्र में, विशेष रूप से मध्य एशियाई क्षेत्र में चिंता का कारण रही है। उन्होंने कहा कि सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) के संदर्भ में “प्राकृतिक पर्यावरण, पारिस्थितिक तंत्र और जैव विविधता का संरक्षण” बहुत महत्वपूर्ण है। डॉ. सिंह ने कहा कि प्रत्येक व्यक्ति को सुलभ, विश्वसनीय, टिकाऊ और आधुनिक ऊर्जा स्रोत प्रदान करना वर्ष 2030 तक संयुक्त राष्ट्र सतत विकास एजेंडा के प्रमुख लक्ष्यों में से एक है। उन्होंने कहा कि हमें प्रौद्योगिकी तटस्थता के सिद्धांत पर आधारित ऊर्जा नवाचारों के क्षेत्र में अपने विज्ञान और प्रौद्योगिकी सहयोग को बढ़ावा देना चाहिए। उन्होंने कहा कि हमें ऊर्जा संक्रमण प्रक्रिया में जीवाश्म ईंधन के स्वच्छ और अत्यधिक कुशल उपयोग सहित ऊर्जा क्षेत्र में विभिन्न स्वच्छ और निम्न-कार्बन प्रौद्योगिकियों के विकास और उपयोग को प्रोत्साहित करना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि एआई, डेटा एनालिटिक्स जैसी महत्वपूर्ण और उभरती प्रौद्योगिकियां जीवन के सभी क्षेत्रों में व्याप्त हैं और लगभग सभी क्षेत्रों में परिवर्तनकारी भूमिका निभा रही हैं, चाहे वह स्वास्थ्य, शिक्षा, ऊर्जा, पर्यावरण, कृषि, औद्योगिक क्षेत्र आदि हों। उन्होंने कहा कि प्रतिस्पर्धी बने रहने, सामाजिक प्रगति को आगे बढ़ाने, रोजगार पैदा करने, आर्थिक विकास को बढ़ाने और जीवन की समग्र गुणवत्ता और पर्यावरण की स्थिरता में सुधार के लिए सरकारों और उद्योगों को इन उभरती प्रौद्योगिकियों को अपनाने के लिए तैयार रहना अत्यंत आवश्यक हो गया है। स्टार्ट-अप और उद्यमिता के लिए इस डोमेन में अपार संभावनाएं हैं। हम सूक्ष्म, लघु और मध्यम आकार के व्यवसायों को बढ़ावा देने के लिए स्टार्टअप फोरम और एक नवाचार प्रतियोगिता आयोजित कर सकते हैं।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि कोविड-19 महामारी सभी देशों में लोगों के जीवन, स्वास्थ्य और कल्याण पर गंभीर नकारात्मक प्रभाव डाल रही है और एससीओ सदस्य देशों को एससीओ क्षेत्र में महामारी के खतरे को दूर करने के लिए संक्रामक रोगों के प्रसार को रोकने और उसका मुकाबला करने में अपने सहयोग को मजबूत करना चाहिए। उन्होंने कहा कि नवीन और किफायती समाधान विकसित करने के लिए यहां नवप्रवर्तकों और युवा शोधकर्ताओं की भूमिका और भी महत्वपूर्ण हो जाती है।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में अपने समग्र प्रदर्शन और परिणाम के मामले में भारत हाल के वर्षों में अच्छी प्रगति कर रहा है। उन्होंने कहा कि भारत ने आज प्रकाशनों की संख्या के मामले में विश्व स्तर पर तीसरा स्थान और स्टार्ट-अप की संख्या में भी तीसरा स्थान प्राप्त कर लिया है। उन्होंने कहा कि 2014 में महज 400 पंजीकृत स्टार्टअप से बढ़कर 2022 में 85 हजार तक पहुंच गया है। भारत का स्टार्टअप इकोसिस्टम तेजी से बढ़ा है।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि भारत एससीओ देशों के साथ घनिष्ठ सांस्कृतिक और ऐतिहासिक संबंध साझा करता है और हमारे पूर्वजों ने अपने अथक और निरंतर संपर्कों के साथ इस साझा ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विरासत को जीवित रखा है। उन्होंने कहा कि एससीओ क्षेत्र के भीतर लोगों से लोगों के संपर्क और सांस्कृतिक सहयोग में सभी हितधारकों के लिए बहुत बड़ी संभावना है और युवा वैज्ञानिकों की नेटवर्किंग हमारे संबंधों को और गहरा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। उन्होंने कहा कि भारत विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार के क्षेत्र में एससीओ सहयोग को और गहरा करने के लिए तत्पर है। डॉ. सिंह ने उम्मीद जताई कि यह कॉन्क्लेव युवा वैज्ञानिकों के बीच सहयोग को बढ़ावा देने के लिए एक उत्प्रेरक साबित होगा।
केंद्रीय मंत्री ने युवा वैज्ञानिकों का आह्वान करते हुए कहा कि उनका मोटो होना चाहिए – इनोवेट, पेटेंट, प्रोड्यूस एंड प्रॉस्पर। उन्होंने कहा, ये चार कदम हमारे देशों को तेजी से विकास की ओर ले जाएंगे। मंत्री ने एससीओ के युवा वैज्ञानिकों से विशेष अनुरोध किया कि विश्व कल्याण के लिए, मानव कल्याण के लिए, वे आगे आएं और हमारी आम सामाजिक चुनौतियों के समाधान के लिए हाथ मिलाएं। उन्होंने कहा कि एससीओ के युवा वैज्ञानिकों के बीच चर्चा और विचार-विमर्श से नया दृष्टिकोण मिलेगा और उन्हें इन चुनौतियों का समाधान करने के लिए एक रोडमैप के साथ आने में सक्षम होना चाहिए।
मंत्री ने कहा, “प्रतिस्पर्धी बने रहने, सामाजिक प्रगति को आगे बढ़ाने, रोजगार पैदा करने, आर्थिक विकास को बढ़ावा देने और जीवन की समग्र गुणवत्ता और पर्यावरण की स्थिरता में सुधार करने के लिए सरकार और उद्योगों के लिए इन उभरती प्रौद्योगिकियों को अपनाने के लिए तैयार रहना अति आवश्यक हो गया है। इस डोमेन में स्टार्ट-अप और एंटरप्रेन्योरशिप के लिए काफी संभावनाएं हैं।”
शंघाई सहयोग संगठन के महासचिव श्री जियांग मिंग ने आशा व्यक्त की कि युवा वैज्ञानिकों द्वारा किए गए कार्य अनुसंधान, शिक्षा, विज्ञान, प्रौद्योगिकी को बढ़ावा देंगे। यह सहयोगात्मक अनुसंधान सदस्य देशों की सामाजिक और आर्थिक स्थिति को बेहतर करने में मदद कर सकता है।
श्री दम्मू रवि, सचिव (ईआर), विदेश मंत्रालय, भारत सरकार ने इस कॉन्क्लेव के लिए अपना संदेश प्रस्तुत किया। उन्होंने कामना की कि इस कॉन्क्लेव के दौरान बातचीत से युवा प्रतिभाओं का एक महत्वपूर्ण पूल तैयार होगा जो प्रभावशाली बदलाव लाने में मदद करेगा।
एससीओ देश समन्वयकों ने भी अपने संबोधन प्रस्तुत किए। कार्यक्रम का संचालन डॉ. अरविंद कुमार, वैज्ञानिक-एफ, अंतर्राष्ट्रीय सहयोग प्रभाग, डीएसटी, भारत सरकार (सह-संयोजक, द्वितीय एससीओ-वाईएससी) ने किया। देश समन्वयकों में कजाखस्तान से सुश्री उर्मनोवा दिलियारा, चीन से श्री वान कांग, रूस से सुश्री सिदोरेंको वेलेरिया वलीरिवना, उज्बेकिस्तान से श्री नाज़रोव शोरुखबेक शुखरत उगली ने अपने संबोधन प्रस्तुत किए और विभिन्न तरीकों तथा रास्ते पर जोर दिया जिससे युवा वैज्ञानिक इस आयोजन में और भविष्य में अनुसंधान सहयोग को बढ़ावा दे सकें।
श्री एस. के. वार्ष्णेय, प्रमुख अंतर्राष्ट्रीय सहयोग प्रभाग, डीएसटी और प्रोफेसर जी. यू. कुलकर्णी, अध्यक्ष, जेएनसीएएसआर के साथ-साथ डीएसटी और जेएनसीएएसआर के वरिष्ठ अधिकारियों ने उद्घाटन सत्र में भाग लिया।
एससीओ देशों के विज्ञान, प्रौद्योगिकी, नवाचार मंत्रालय के प्रतिनिधि, भारत के अधिकारी, विशेषज्ञ और वैज्ञानिक अपने अनुभव साझा करने और विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में एक-दूसरे से सीखने के लिए इस सम्मेलन में भाग ले रहे हैं।