केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने आज जम्मू केंद्रीय विश्वविद्यालय परिसर में पंडित मदन मोहन मालवीय के नाम पर नए शिक्षा परिसर की नींव रखी। उन्होंने कहा कि जम्मू केंद्रीय विश्वविद्यालय भारत के उन केंद्रीय विश्वविद्यालयों में से एक है, जहां श्री मालवीय के नाम पर शैक्षणिक परिसर है।
उन्होंने कहा कि पंडित मदन मोहन मालवीय और डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी 20वीं सदी के पहले हिस्से के अग्रणी शिक्षाविदों में से थे लेकिन उनके योगदान को किसी भी तरह से मान्यता नहीं मिली, जिसके वे हकदार थे और इसलिए, यह एक सच्ची श्रद्धांजलि है। उन्होंने यह भी याद किया कि हाल ही में उन्हें डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी के नाम पर इसी विश्वविद्यालय में एक छात्रावास परिसर का उद्घाटन करने का मौका मिला था, जो कोलकाता के बाहर किसी भी सरकारी विश्वविद्यालय में मुखर्जी के नाम पर रखा गया संभवत: पहला ब्लॉक है।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि जम्मू उत्तर भारत के एजुकेशन हब के रूप में तेजी से उभर रहा है और यह एक दुर्लभ उदाहरण है कि 100 किमी से कम के दायरे में दर्जनभर से ज्यादा महत्वपूर्ण पेशेवर और उच्च शैक्षणिक संस्थान मौजूद हैं जिनमें एम्स, आईआईटी, आईआईएम, दो प्रमुख विश्वविद्यालय केंद्रीय विश्वविद्यालय और जम्मू विश्वविद्यालय, एम्स सहित चार मेडिकल कॉलेज, दो सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेज साथ ही आगामी उत्तर भारत का पहला बायोटेक प्रौद्योगिकी पार्क एवं अनुसंधान केंद्र और पूर्वोत्तर मंत्रालय के माध्यम से बांस प्रौद्योगिकी प्रशिक्षण केंद्र शामिल हैं।
5 अगस्त, 2019 के बाद हुए संवैधानिक परिवर्तनों के साथ डॉ. जितेंद्र सिंह ने उम्मीद जताई कि इन शैक्षणिक संस्थानों के लिए देशभर से सर्वश्रेष्ठ फेकल्टी को आकर्षित करने में सबसे बड़ी बाधा दूर हो जाएगी। उन्होंने कहा कि किसी भी संस्थान के मानक को केवल तभी बनाए रखा जा सकता है जब पूरी तरह से पेशेवर लोगों की नियुक्ति हो और योग्यता के आधार पर स्कॉलर्स के चयन में कोई समझौता न हो और संस्थान आने वाली सभी फेकल्टी को बेहतरीन सुविधा और प्रोत्साहन के लिए तैयार हों और शिक्षण कार्य करें। इस संदर्भ में उन्होंने फिर से पंडित मदन मोहन मालवीय का जिक्र किया और याद किया कि उस समय भी मालवीय जी डॉ. एस. राधाकृष्णन को ऑक्सफोर्ड में पढ़ाने की अपनी नौकरी छोड़कर बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के कुलपति के रूप में कार्यभार संभालने के लिए मनाने में सफल रहे थे।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने यह भी बताया कि अंतरिक्ष विभाग के माध्यम से उत्तर भारत का पहला अंतरिक्ष और अनुसंधान अध्ययन केंद्र केंद्रीय विश्वविद्यालय जम्मू में शुरू किया गया है और दुनिया के जानेमाने अंतरिक्ष वैज्ञानिक डॉ. के. राधाकृष्णन, जिन्हें मंगल मिशन के जनक के रूप में भी जाना जाता है, को सलाहकार के रूप में नियुक्त किया गया है।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि किसी भी शैक्षिक संस्थान के लिए मान्यता और व्यापक पहचान प्राप्त करने की अनिवार्य रूप से दो आवश्यक शर्तें हैं। या तो असाधारण फेकल्टी होनी चाहिए जो अंतरराष्ट्रीय स्तर के अनुसंधान प्रकाशित कर सके या विशेष अध्ययन विभाग होने चाहिए, जो आसानी से उपलब्ध नहीं हैं।
कुलपति प्रोफेसर अशोक आइमा ने अपने स्वागत संबोधन में विश्वविद्यालय की विभिन्न उपलब्धियों का उल्लेख किया। उन्होंने केंद्र में सभी नई परियोजनाओं को आगे बढ़ाने में डॉ. जितेंद्र सिंह के निरंतर सहयोग का भी जिक्र किया।
प्रोफेसर आइमा ने डीआरडीओ के माध्यम से भारत सरकार के हाल ही में स्वीकृत केंद्र का भी उल्लेख किया।