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डॉ. जितेन्द्र सिंह ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात की और राज्य के लिए डिजिटल गवर्नेंस योजना पर चर्चा की

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केन्द्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी (स्वतंत्र प्रभार), प्रधानमंत्री कार्यालय कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्य मंत्री डॉ. जितेन्द्र सिंह ने 19 अगस्त, 2023 (शनिवार) को लखनऊ में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात की। इनकी यह बैठक एक घंटे से अधिक समय तक चली और उसमें उत्तर प्रदेश के लिए डिजिटल गर्वनेंस योजना पर विस्तृत चर्चा हुई।

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यह बताया गया कि उत्तर प्रदेश जिला सुशासन सूचकांक (डीजीजीआई) 2022, देश में किसी भी राज्य द्वारा किए जाने वाला पहला सर्वेक्षण है, जिसे जारी किया जाएगा।

प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत विभाग (डीएआरपीजी) द्वारा तैयार सुशासन सूचकांक (जीजीआई) 2021 की रिपोर्ट में कहा गया है कि उत्तर प्रदेश ने जीजीआई 2019 के प्रदर्शन की तुलना में 8.9 प्रतिशत की वृद्धि की है। यूपी ने वाणिज्य एवं उद्योग क्षेत्र में शीर्ष स्थान हासिल किया और सामाजिक कल्याण एवं विकास और न्यायपालिका एवं सार्वजनिक सुरक्षा क्षेत्र में वृद्धि देखने को मिली है। उत्तर प्रदेश ने लोक शिकायत निवारण सहित नागरिक केन्द्रित शासन के मामले में भी अच्छा प्रदर्शन किया है।

डॉ. जितेन्द्र सिंह ने प्रस्ताव दिया कि राज्य प्रशासन को सर्वोत्तम कार्य प्रणाली को पुरस्कृत करने के लिए डीजीजीआई-आधारित प्रदर्शन प्रोत्साहन प्रणाली डिजाइन करनी चाहिए और प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत विभाग (डीएआरपीजी) भारत सरकार द्वारा प्रबंधित किए जाने वाले पीएम पुरस्कारों की तरह ही सुशासन एवं कार्य प्रणालियों के लिए मुख्यमंत्री पुरस्कारों की स्थापना करनी चाहिए।

डॉ. जितेन्द्र सिंह ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री को रामपुर और चित्रकूट जिलों को नागरिक सेवा दिवस, 2023 के अवसर पर प्रधानमंत्री पुरस्कार दिए जाने के लिए बधाई दी। कई अन्य अभिनव कार्य प्रणालियों को भी प्रशासन और ई-गवर्नेंस में उत्कृष्टता के लिए प्रधानमंत्री पुरस्कार मिले, जिनमें काले चावल के लिए जिला चंदौली, ओडीओपी-काला नमक चावल के लिए जिला सिद्धार्थनगर, स्वामित्व योजना के लिए वाराणसी जिला और राज्य की खान एवं खनिज प्रबंधन प्रणाली शामिल है।

डॉ. जितेन्द्र सिंह ने उत्तर प्रदेश में 714 सरकारी सेवाओं को ऑनलाइन प्रदान करने के लिए योगी आदित्यनाथ की सराहना की। उन्होंने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री से आग्रह किया कि एकीकृत सेवा पोर्टल पर और अधिक सेवाओं को शामिल किया जाए और उम्मीद व्यक्त की कि उत्तर प्रदेश जल्द ही मध्यप्रदेश की बराबरी कर लेगा, जो 1,000 ऑनलाइन सेवाएं प्रदान करने वाली रैंकिंग में शीर्ष स्थान पर है। उन्होंने उल्लेख किया कि उत्तर प्रदेश के पास पर्यटन क्षेत्र में कम-से-कम 20 प्रकार, पर्यावरण के क्षेत्र में 9 प्रकार और शिक्षा के क्षेत्र में 14 प्रकार की ई-सेवाएं प्रदान करने की क्षमता है।

प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत विभाग (डीएआरपीजी) द्वारा द्विवार्षिक आधार पर जारी किए जाने वाले राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस सेवा वितरण आकलन (एनईएसडीए) 2021 सूचकांक के अनुसार बड़े राज्यों में उत्तर प्रदेश 85 प्रतिशत से अधिक अनुपालन के साथ पोर्टल और सेवा पोर्टलों के आकलन के मामले में दूसरे स्थान पर है। एनईएसडीए 2021 आकलन में शामिल आवश्यक सेवाओं को कार्यान्वित करने में उत्तर प्रदेश अग्रणी रहा। 2021 के आंकलन में ‘निवेश मित्र’ नामक एकीकृत पोर्टल पर उत्तर प्रदेश की एक उत्कृष्ट पहल को भी शामिल किया गया था।

डॉ. जितेन्द्र सिंह ने इस तथ्य की सराहना की कि उत्तर प्रदेश ने शिकायत निवारण रैंकिंग में निरंतर असाधारण प्रदर्शन किया है।

डीएआरपीजी, सरकार द्वारा जारी राज्यों एवं केन्द्रशासित प्रदेश की शिकायत निवारण एवं आकलन सूचकांक (जीआरएआई) की मासिक रिपोर्ट के अनुसार मई, जून, जुलाई, 2023 के महीनों में लगातार बड़े राज्यों के मामले में शिकायत निवारण की रैंकिंग में उत्तर प्रदेश शीर्ष पर रहा। उत्तर प्रदेश को 1 जनवरी, 2023 से 15 अगस्त, 2023 के दौरान सभी राज्यों और केन्द्रशासित प्रदेशों के बीच सबसे अधिक शिकायतें प्राप्त हुईं और उनका निवारण किया। 23 दिनों के औसत समय के साथ उत्तर प्रदेश ने शिकायतों का निवारण किया, जबकि बड़े राज्यों की शिकायत निवारण की अवधि 30 दिन के भीतर रही है।

राज्य सरकार ने एक मजबूत एकीकृत शिकायत निवारण प्रणाली विकसित की है जो आईजीआरएस या ‘यूपी जनसुनवाई समाधान’ के नाम से लोकप्रिय है। सीएम हेल्पलाइन इस प्रणाली का केन्द्र-बिंदु है। आम नागरिक अपनी शिकायतों को टोलफ्री नंबर-1076 के जरिये दर्ज करवा सकता है। कॉल सेंटर में 500 लोगों का कार्यबल काम कर रहा है। आईजीआरएस भारत सरकार के पीजी पोर्टल (सीपीजीआरएएमएस) के साथ-साथ राज्यपाल कार्यालय, मुख्यमंत्री कार्यालय जैसे विभिन्न कार्यालयों और जिला, तहसील, पुलिस स्टेशनों के स्तर तक के पोर्टल के साथ पूर्ण रूप से एकीकृत है।आईजीआरएस का प्रभाव अत्यधिक सकारात्मक रहा है। इस प्रणाली के माध्यम से हर साल औसतन 80 लाख लोक शिकायतें प्राप्त की जा रही हैं और उनका निपटारा किया जा रहा है। नागरिकों से बड़ी संख्या में शिकायतें या संदर्भ प्राप्त होना प्रणाली में उनके बढ़ते विश्वास और प्रशासन की बढ़ी हुई विश्वसनीयता को दर्शाता है। औसत निपटान समय काफी कम हो गया है।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने सुझाव दिया कि डीएआरपीजी उत्तर प्रदेश में सेवोत्तम पर दूसरी राष्ट्रीय कार्यशाला आयोजित कर सकता है। सेवोत्तम, सीपीजीआरएएमएस के तहत पंजीकृत शिकायत निवारण अधिकारियों के लिए एक क्षमता निर्माण कार्यक्रम है। यह कार्यक्रम राज्य प्रशासनिक प्रशिक्षण संस्थानों (एटीआई) के माध्यम से कार्यान्वित किया जाता है। सेवोत्तम को लागू करने में यूपी सहित 19 एटीआई डीएआरपीजी में शामिल हो गए हैं। 2022-23 में यूपी एटीआई को 20 लाख रुपये का अनुदान जारी किया गया। उन्होंने 658 अधिकारियों के लिए 11 प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए हैं।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री से राज्य के कोषागारों को चेहरे प्रमाणीकरण तकनीक का उपयोग करके जीवन प्रमाण के डिजिटल जीवन प्रमाणपत्र (डीएलसी) तैयार करने को सक्षम बनाने और पेंशनभोगियों के मोबाइल फोन में ऐप की स्थापना सुनिश्चित करने के लिए इलेक्ट्रोनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी के साथ गठजोड़ करने का निर्देश देने का भी आग्रह किया। इससे उत्तर प्रदेश से पेंशन पाने वाले पेंशनभोगियों को डीएलसी सुविधा उपलब्ध हो जाएगी। डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि केंद्र सरकार का पेंशन और पेंशनभोगी कल्याण विभाग नवंबर 2023 में बैंकों, पेंशनभोगी संघों, एमईआईटीवाई, यूआईडीएआई और रक्षा मंत्रालय के सहयोग से देश भर में 100 स्थानों पर एक और जागरूकता अभियान चलाएगा। 50 लाख पेंशनभोगियों के लिए डीएलसी तैयार करने किए जाने का लक्ष्य है। इससे पेंशनभोगी हर साल घर बैठे ही डीएलसी जमा कर सकेंगे।

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के प्रभारी केंद्रीय मंत्री के रूप में, डॉ. जितेंद्र सिंह ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री से केंद्र के जैव प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा लखनऊ में जैव प्रौद्योगिकी पार्क की स्थापना के लिए जल्द से जल्द भूमि आवंटित करने का आग्रह किया।

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