नई दिल्ली: पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय, प्रधानमंत्री कार्यालय, कार्मिक, लोकशिकायत एवं पेंशन, परमाणु ऊर्जा तथा अंतरिक्ष विभाग के राज्यमंत्री डॉ. जितेन्द्र सिंह ने लोकशिकायतों के प्रभावी निपटान के मामले में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले मंत्रालयों और विभागों को आज यहां एक कार्यक्रम में पुरस्कार स्वरूप प्रमाण पत्र सौंपे। कार्यक्रम का आयोजन कार्मिक, लोकशिकायत मंत्रालय के प्रशासनिक सुधार विभाग की ओर से किया गया था।
जनवरी-मार्च, 2018 और अप्रैल-जून, 2018 की तिमाही में प्रमाण पत्र प्राप्त करने वाले मंत्रालय और विभाग के नाम इस प्रकार हैः-
ग्रुप | (जनवरी-मार्च, 2018) | (अप्रैल-जून, 2018) |
क
दी गई तिमाही के दौरान 300 से ज्यादा जनशिकायत प्राप्त करने वाले (मंत्रालय/विभाग) |
नीति आयोग
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प्रशासनिक सुधार और लोकशिकायत विभाग
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ख
दी गई तिमाही के दौरान 301-2000 तक की जनशिकायत प्राप्त करने वाले (मंत्रालय/विभाग) |
कपड़ा मंत्रालय
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विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग
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ग
दी गई तिमाही के दौरान 2000 से ज्यादा जनशिकायत प्राप्त करने वाले (मंत्रालय/विभाग) |
श्रम और रोजगार मंत्रालय
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रक्षा और वित्त विभाग
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डॉ. सिंह ने पुरस्कार प्राप्त करने वाले विभागों और मंत्रालयों को बधाई दी और उनके काम करने के तरीके की सराहना की। उन्होंने कहा कि डीएआरपीजी ने विभिन्न मंत्रालयों में मिलने वाली शिकायतों के मूल कारणों का पता लगाने के लिए एक अध्ययन किया है। उन्होंने लोकशिकायत पोर्टल के संबंध में आम लोगों द्वारा दिए गए सुझावों का स्वागत किया।
केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि 2014 में लोकशिकायतों की संख्या जहां 2 लाख थी, वही अब बढ़कर 16 लाख प्रति वर्ष हो गई है। इस हिसाब से इसमें 8 गुना बढ़ोत्तरी हो गई है। उन्होंने कहा कि ऐसा लोकशिकायतों को निपटाने के लिए केन्द्र सरकार द्वारा अपनाई गई सक्षम नीति की वजह से हो रहा है।
उन्होंने कहा कि सभी केन्द्रीय मंत्रालयों ने जनशिकायत निपटान प्रणाली अपनाई है, लेकिन कुछ राज्य इस मामले में अभी भी काफी पीछे हैं। डॉ. सिंह ऐसे राज्यों से केन्द्र के समान ही एक सक्षम जनशिकायत निपटान प्रणाली अपनाने की अपील की।
इस अवसर पर डीएआरपीजी के सचिव श्री के.वी. ईअपन, अपर सचिव, श्रीमती वसुधा मिश्रा और अन्य अधिकारी भी उपस्थित थे।
जनशिकायतों के मामले में मंत्रालयों और विभागों के प्रदर्शन का आकलन निम्नलिखित मानदंडों पर किया गया हैः-
(क) दी गई अवधि में निपटाई गई कुल जनशिकायतें – 35 प्रतिशत
(ख) एक साल से ज्यादा समय तक लंबित लोकशिकायतें -20 प्रतिशत
(ग) छह माह से ज्यादा समय तक लंबित लोकशिकायतें – 10 प्रतिशत
(घ) पोर्टल के माध्यम से निपटाई गई जनशिकायतों के याचिकाकर्ताओं के फीडबैक – 35 प्रतिशत