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डॉ. जितेंद्र सिंह ने उत्तर-पूर्व एक्सपो 2019 के पूर्वावलोकन कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में अध्यक्षता की

देश-विदेश

नई दिल्ली: केंद्रीय पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास (स्वतंत्र प्रभार) एवं प्रधानमंत्री कार्यालय, कार्मिक,जन शिकायत और पेंशन,परमाणु ऊर्जा एवं अंतरिक्ष राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने आज नई दिल्ली में आयोजित पूर्वोत्तर एक्सपो 2019 के पूर्वावलोकन कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में अध्यक्षता की। 8 पूर्वोत्तर राज्यों के क्षेत्रीय आयुक्तों ने भी इस पूर्वावलोकन कार्यक्रम में भाग लिया।

अखिल भारतीय महिला शिक्षा कोष संघ (एआईडब्ल्यूईएफए) ने इस कार्यक्रम का आयोजन किया। महात्मा गांधी की 150 वीं जयंती मनाने के लिए, खादी के साथ उनके सहयोग के 100 वर्ष पूरे होने और महिलाओं एवं समाज के लिए एआईडब्ल्यूईएफए के 91 वर्षों की सेवा पूरे होने के उपलक्ष्य में, ‘खादी गोज ग्लोबल’ अभियान की शुरूआत की गई है। 2 से 3 नवंबर, 2019 के दौरान आयोजित इस उत्तर-पूर्व एक्सपो 2019 में  सभी आठ पूर्वोत्तर राज्यों को पूर्वोत्तर के हथकरघा, हस्तशिल्प और कृषि क्षेत्र में हुए विकास को दर्शाने के लिए एक मंच पर लाया जा रहा है।

खादी महिला सशक्तीकरण का प्रतीक है क्योंकि पूर्वोत्तर में अधिकांश सूत काटने वाले, बुनकर और हस्तकला कारीगर महिलाएं हैं। इसीलिए, खादी को मुख्य धारा में लाना महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे बुनकरों, विशेषकर महिलाओं के लिए अधिक रोजगार सृजित करने में मदद मिलेगी।

आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए, डॉ. सिंह ने कहा कि पिछले 5 वर्षों में, प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने 30 से अधिक बार पूर्वोत्तर क्षेत्र का दौरा किया है, जो यह बतलाता है कि इस सरकार के लिए पूर्वोत्तर के राज्य कितने महत्वपूर्ण हैं।

मंत्री ने कहा कि सरकार द्वारा दिए गए इस महत्व ने पूर्वोत्तर में वृद्धि और विकास के अंतराल को कम कर दिया है, साथ ही  लोगों के दिमाग में जो मनोवैज्ञानिक बाधा थी उसको भी दूर करने का काम किया है। उन्होंने कहा, “सरकार पूरे भारत को पूर्वोत्तर के करीब लाने में सफल रही है।”

डॉ. सिंह ने पूर्वोत्तर के विकास के लिए केंद्र सरकार द्वारा उठाए जा रहे कदमों के बारे में भी विस्तार से बताया। उन्होंने बताते हुए कहा कि कैसे पिछले 5 वर्षों में प्रधानमंत्री द्वारा लगातार अभिरुचि लेने के कारण रेल पटरियों, राजमार्गों, हवाई अड्डों एवं परिवहन सहित अन्य बुनियादी ढांचे में तेजी से विकास हुआ है।

मंत्री ने कहा कि भारत में कुल बांस उत्पादन का 35% पूर्वोत्तर से आता है, लेकिन अप्रचलित कानूनों के कारण इसका उपयोग नहीं किया गया। प्रधानमंत्री के दूरदर्शी नेतृत्व के कारण, बांस को वन अधिनियम से छूट दी गई और इसका उपयोग पूर्वोत्तर के वाणिज्यिक उपयोग और हस्तशिल्प को बढ़ावा देने के लिए अब किया जा रहा है। मंत्री ने कहा “प्रधानमंत्री के नेतृत्व में यह सरकार किसी भी अन्य विचार पर जाने के बजाय अंतिम व्यक्ति के बारे में सोचने और कार्य करने के प्रति दृढ़ता में विश्वास करती है।”

डॉ. सिंह बताया कि कैसे ‘स्टार्ट अप इंडिया, स्टैंड अप इंडिया’ जैसे कार्यक्रम ने पूर्वोत्तर में युवा उद्यमियों को इन राज्यों में मानव और अन्य भौतिक संसाधनों का उपयोग करके अपने उद्यम शुरू करने के लिए प्रेरित किया है। उन्होंने कहा, “वह दिन दूर नहीं जब पूर्वोत्तर राज्य देश के स्टार्ट अप का केन्द्र बन जाएगें।”

डॉ. सिंह ने बात करते हुए कहा कि कैसे सरकार अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद जम्मू-कश्मीर में पूर्वोत्तर के विकास की सफलता की कहानियों को दोहराने की योजना बना रही है।

‘खादी गो ग्लोबल’ की बात करते हुए, डॉ सिंह ने खादी के उत्पादन को बढ़ाने और इसे विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाने के लिए नवीनतम प्रौद्योगिकी का उपयोग करने की दृष्टिकोण को सबके सामने रखा। उन्होंने कहा कि इससे इस क्षेत्र में रोजगार के व्यापक अवसर पैदा करने में मदद मिलेगी।

पूर्वोत्तर एक्सपो 2019, आठ पूर्वोत्तर राज्यों के उद्यमियों को चाय कूटनीति और खादी कूटनीति के माध्यम से आसियान और बिम्सटेक राष्ट्रों के साथ व्यापार और वाणिज्य को व्यापक स्तर पर आगे ले जाने कि लिए एक मंच प्रदान करेगा। इसमें परिचर्चा (पैनल चर्चा), लगातार एक-दूसरे के साथ मुलाकात, कला, संस्कृति, खाने के स्टॉल, और पूर्वोत्तर के हथकरघा और हस्तशिल्प के स्टॉल शामिल होंगे। इस आयोजन का उद्देश्य पूर्वोत्तर के विभिन्न जनजातियों की विशिष्ट कलाओं के संरक्षण को और पहचान दिलाना भी है।

पैनल चर्चा का उद्देश्य पूर्वोत्तर क्षेत्र के अद्वितीय खाने के सामानों, हथकरघा और हस्तशिल्प की वर्तमान स्थिति का विश्लेषण करना भी है। पैनल के माध्यम से स्थानीय अर्थव्यवस्था में इसके योगदान को समझने, मुद्दों और चुनौतियों की पहचान करने और वैश्विक स्तर पर अद्वितीय पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत करने और बढ़ावा देने के लिए आवश्यक रूपरेखा की पहचान कर उसे आगे बढ़ाने को लिए एक रास्ता तैयार करेगा।

इस एक्सपो में, एआईडब्ल्यूईएफए वर्ष 2018-19 के लिए दो पुरस्कार-प्रधानमंत्री मास्टर बुनकर पुरस्कार एवं प्रधानमंत्री मास्टर शिल्प पुरस्कार भी प्रदान करेगा

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