नई दिल्ली: पूर्वोत्तर क्षेत्रों के विकास के लिये केंद्रीय राज्य मंत्री (स्वतन्त्र प्रभार), राज्य मंत्री, प्रधानमंत्री कार्यालय – कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेशंन, परमाणु ऊर्जा तथा अंतरिक्ष – डा. जितेन्द्र सिंह ने सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों से अनुरोध किया है, कि निचले स्तर के पदों की चयन प्रक्रिया में से, जहां तक संभव हो, साक्षात्कार को हटा देने के प्रयास किये जायें। डॉ. जितेन्द्र सिंह ने मुख्यमंत्रियों से अपने-अपने राज्यों में इस दिशा में आवश्यक कदम उठाने की गुज़ारिश की है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा अपने स्वतन्त्रता दिवस के संबोधन के दौरान दिये गये सुझाव पर तुरंत आगे कार्रवाई करते हुये, कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग ने इस मामले को 4 सितम्बर, 2015 को सभी राज्यों की सरकारों के समक्ष रखा। माननीय प्रधानमंत्री ने सुझाव दिया था कि उन पदों की चयन प्रक्रिया में से सक्षात्कार को हटा दिया जाना चाहिये, जिनमें इसकी आवश्यकता नहीं हैा इसके बाद, 8-9 सितम्बर, 2015 को नई दिल्ली में हुई एक दो-दिवसीय कार्यशाला के दौरान सामान्य प्रशासन विभाग के सचिवों/राज्य के कर्मचारियों के साथ इस मामले पर चर्चा की गई।
सरकार का मानना है, कि कनिष्ठ स्तर के पदों पर नियुक्ति हेतु होने वाली चयन प्रक्रिया में से साक्षात्कार को हटा दिया जाये, क्योंकि इन पदों के लिये नियुक्ति में व्यक्तित्व तथा कौशल के मूल्यांकन की कोई आवश्यकता नहीं होती। इन पदों के लिये साक्षात्कार हटाने के पीछे उद्धेश्य भ्रष्ट्राचार को नियन्त्रित करना, पारदर्शी ढंग से अधिक निष्पक्ष चयन सुनिश्चित करना और निर्धन तथा संसाधनहीन उम्मीद्वारों की समस्याओं को काफ़ी हद तक कम करना है। इससे न केवल योग्यता सूची को अधिक महत्व मिल पायेगा, बल्कि सरकार का ‘’अधिकतम शासन, न्यूनतम सरकार’’ का संकल्प भी पूरा हो सकेगा।
मुख्यमंत्रियों को संबोधित करते हुये लिखे गये एक पत्र में, डॉ. जितेन्द्र सिंह ने सूचित किया है, कि विभिन्न मंत्रालयों/विभागों तथा केंद्र सरकार के अधीन अन्य संगठनों में कई समूह ‘बी’ (ग़ैर-राजपत्रित) तथा समूह-सी (ग़ैर-तकनीकी) पदों को चिन्हित किया गया है, जिनके लिये चयन साक्षात्कार लिये बिना ही, केवल प्रतिस्पर्धी परीक्षा के आधार पर किया जा सकता है। पत्र में आगे कहा गया है, कि इस मामले पर गत माह हुई एक दो-दिवसीय कार्यशाला के दौरान सामान्य प्रशासन विभाग के सचिवों/राज्यों के कर्मचारियों के साथ चर्चा की गई है और कुछ राज्यों ने इस प्रक्रिया को अपनाना शुरु भी कर दिया है।
विभिन्न राज्यों के मुख्यमंत्रियों से अनुरोध किया गया है, कि वे साक्षात्कार को बंद कर, केवल लिखित परीक्षा के ज़रिये ही चयन करने की इस प्रक्रिया में अपने-अपने राज्यों के लोक सेवा आयोग तथा अन्य चयनकर्ता एजेंसियों को भी शामिल करें। यह नागरिक-केंद्रित पारदर्शी शासन का लक्ष्य हासिल करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होगा।
कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग, प्रशासनिक सुधार तथा लोक शिकायत विभाग और पेशंन तथा पेंशनभोगी कल्याण विभाग ने हाल ही में कई अनूठे फैसले लिये हैं, जिनमें प्रमाण-पत्रों का सत्यापन किसी राजपत्रित अधिकारी द्वारा करवाये जाने की अनिवार्यता समाप्त कर दी गई है, उसके स्थान पर स्व-सत्यापित प्रमाण-पत्र की पेशकश की गई है। लिखित जीवन प्रमाण-पत्र की आवश्यकता को समाप्त करते हुये एक पेंशन पोर्टल पेश किया गया है और सिविल सेवा परीक्षा का स्वरूप तथा पाठ्यक्रम भी संशेधित किया जा रहा है।