भारी उद्योग मंत्रालय की हिंदी सलाहकार समिति की बैठक आज गंगटोक में आयोजित की गई। बैठक की अध्यक्षता केंद्रीय भारी उद्योग मंत्री डॉ. महेंद्र नाथ पांडेय ने की।
श्री पांडे ने इस अवसर पर प्रधानमंत्री के आत्मनिर्भर भारत की तर्ज पर भाषाई आत्मनिर्भरता की अपील करते हुए कहा कि सभी क्षेत्रीय भाषाओं का सम्मान करते हुए हिंदी को बढ़ाने की जरूरत है। मंत्री ने कहा कि वह अपने कार्यालय में फाइलों को हिंदी में ही स्वीकार कर रहे हैं।
श्री पांडे ने समिति की पहली बैठक के लिए सिक्किम के चयन को भी बहुत महत्वपूर्ण और प्रतीकात्मक बताया। उनके इस सुझाव का गर्मजोशी से स्वागत किया गया कि संसदीय राजभाषा समिति और हिंदी सलाहकार समिति के सदस्यों को आमंत्रित करने की परंपरा विशेष रूप से हिंदी पखवाड़े के दौरान शुरू की जानी चाहिए।
बैठक में राज्य सभा सांसद सुश्री सीमा द्विवेदी और लोकसभा सांसद (बुलंदशहर) श्री भोला सिंह भी उपस्थित थे। मंत्रालय की ओर से भारी उद्योग मंत्रालय में सचिव श्री अरुण गोयल, संयुक्त सचिव श्री विजय मित्तल, निदेशक श्री रजनीश सिंह और विकास डोगरा उपस्थित थे।
समिति के सदस्यों में प्रो. पूरन चंद टंडन (दिल्ली विश्वविद्यालय), प्रो. ओकेन लेगो (राजीव गांधी विश्वविद्यालय, अरुणाचल प्रदेश), डॉ. संतराम वैश्य (हिंदी के सेवानिवृत्त प्रोफेसर, गुरुकुल कांगडी विश्वविद्यालय) और डॉ. बंदना पांडे (गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय, नोएडा) जैसे हिंदी के विद्वान गैर-सरकारी सदस्य शामिल थे।
श्री भोला सिंह ने कुछ कंपनियों की प्रस्तुति में अंग्रेजी शब्दों के अत्यधिक प्रयोग का मुद्दा उठाया। प्रोफेसर टंडन ने केंद्र के पांच प्रमुख हिंदी संस्थानों में निदेशकों की रिक्तियों की ओर ध्यान आकर्षित किया। मंत्री ने कहा कि वह इस संबंध में गृह मंत्री को पत्र लिखेंगे।
हिंदी सलाहकार समिति हिंदी में सरकारी कामकाज को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार के प्रत्येक मंत्रालय में गठित समिति है। इस समिति की साल में कम से कम दो बैठकें आयोजित करने का प्रावधान है। गंगटोक में 15 मई को हुई बैठक मंत्रालय की पुनर्गठित समिति की पहली बैठक थी।