17.8 C
Lucknow
Online Latest News Hindi News , Bollywood News

डॉ. मनसुख मांडविया ने राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के लिए मिशन संचालन समूह की 7वीं बैठक की अध्यक्षता की

देश-विदेश

“केंद्र और राज्यों के बीच बेहतर और व्यवस्थित तालमेल से स्वास्थ्य सेवाओं को लोगों तक पहुंचाने में उच्चतम नतीजे प्राप्त किए जा सकते हैं। केंद्र गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य देखभाल के उद्देश्य से स्वास्थ्य कार्यक्रमों के कुशल और प्रभावी कार्यान्वयन में वित्तीय और तकनीकी संसाधनों के माध्यम से राज्यों की मदद करने के लिए प्रतिबद्ध है,” केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया ने आज यहां राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) के मिशन स्टीयरिंग ग्रुप (एमएसजी) की सातवीं बैठक की अध्यक्षता करते हुए यह बात कही। एमएसजी राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन का शीर्ष निर्णय लेने वाला निकाय है जो मिशन के तहत नीतियों और कार्यक्रम के कार्यान्वयन पर निर्णय लेता है। केंद्रीय जल शक्ति मंत्री श्री गजेंद्र सिंह शेखावत, केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री डॉ. वीरेंद्र कुमार, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण राज्य मंत्री डॉ भारती प्रवीण पवार और नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) डॉ. वी के पॉल बैठक में शामिल हुए सदस्यों में शामिल थे। इनके अलावा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, आयुष और उत्तर पूर्वी क्षेत्र विकास सहित भारत सरकार के मंत्रालयों के सचिव और महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, पेयजल और स्वच्छता, पंचायती राज, ग्रामीण विकास, शहरी विकास, उच्च शिक्षा विभाग, सामाजिक न्याय और अधिकारिता विभाग के वरिष्ठ अधिकारी, राज्य सरकारों के स्वास्थ्य सचिव और प्रख्यात जन स्वास्थ्य पेशेवर भी इस बैठक में शामिल हुए।

बैठक को संबोधित करते हुए, डॉ मांडविया ने कहा कि भारत दुनिया का एकमात्र ऐसा देश है जहां चार-लेयर वाला स्वास्थ्य बुनियादी ढांचा है जिसमें जमीनी स्तर पर 10 लाख की संख्या वाला मजबूत आशा कार्यबल काम करता है। “हमारे स्वास्थ्य बल के इन मजबूत कार्यकर्ताओं ने भारत के कोविड-19 प्रबंधन और कोविड टीकाकरण अभियानों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है”। उन्होंने कहा कि समुदायों के साथ काम करने वाले स्वास्थ्यकर्मियों के प्रोत्साहन को मजबूत करने से विभिन्न कार्यक्रमों को गति मिल सकती है। उन्होंने काला अजार, लेप्टोस्पायरोसिस आदि जैसी बीमारियों के समय पर उन्मूलन पर बारीकी से ध्यान देने के साथ आगे बढ़ने पर जोर दिया, क्योंकि ये बीमारियां देश के सबसे गरीब घरों और समुदायों को बड़े पैमाने पर प्रभावित करती हैं।

एमएसजी को पिछले कुछ वर्षों के दौरान राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत इन उपलब्धियों से अवगत कराया गया:

– 1.20 लाख से अधिक उप स्वास्थ्य केंद्रों और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों को आयुष्मान भारत के रूप में बदल दिया गया है- स्वास्थ्य और कल्याण केंद्र (एबी-एचडब्ल्यूसी) 100.8 करोड़ से अधिक के फुटफॉल के साथ व्यापक तौर पर प्राथमिक देखभाल प्रदान करते हैं।

– प्रधानमंत्री राष्ट्रीय डायलिसिस कार्यक्रम (पीएमएनडीपी) 36 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के 615 जिलों में 1136 केंद्रों पर 7809 हेमो-डायलिसिस मशीनों को लगाकर लागू किया गया है।

– टीबी के मामलों की अधिसूचना 2017 में 18.2 लाख से बढ़कर 2021 में 21.35 लाख रुपये हो गई। पोषण संबंधी सहायता के लिए (2018 से) 62.71 लाख टीबी रोगियों को 1651.27 करोड़ रुपए (डीबीटी योजना के तहत) वितरित किए गए।

– 2021 में टीबी के इलाज की सफलता दर 83 फीसदी तक पहुंची जो अब तक सबसे ज्यादा है।

– स्वास्थ्य में प्रमुख हस्तक्षेपों ने एनएचए के अनुमानों के अनुसार आउट-ऑफ-पॉकेट-एक्सपेंडिचर (ओओपीई) को 69.4 प्रतिशत से घटाकर 48.8 प्रतिशत कर दिया है।

– एनएफएचएस-5 रिपोर्ट के अनुसार 31 राज्यों ने ट्रांसफर टीएफआर हासिल किया है।

राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को डॉक्टरों, नर्सों, लैब तकनीशियनों (आशा कार्यकर्ताओं को छोड़कर) सहित 3.16 लाख मानव संसाधन एनएचएम द्वारा प्रदान किया जा रहा है ।

– भारत के मातृ मृत्यु अनुपात (एमएमआर) में 453 अंकों की गिरावट आई है- 1990 में प्रति एक लाख जीवित जन्मों पर 556 मौत दर्ज होती थीं जिसका आंकड़ा 2017-19 (एसआरएस 2017-19) में 103 हो गया है। सात राज्यों ने एमएमआर के एसडीजी लक्ष्य को हासिल कर लिया है।

– अंडर-5 मृत्यु दर (यू-5एमआर) 1990 में 126 प्रति 1000 जीवित जन्मों से घटकर 2019 में 35 प्रति 1000 जीवित जन्म हो गई है। आठ राज्यों ने यू-5एमआर के एसडीजी लक्ष्य को प्राप्त कर लिया है।

– मलेरिया के 11 लाख से अधिक मामलों से घटकर 48,000 मामले हो गए हैं।

एनएचएम के 7वें एमएसजी ने आदिवासियों के बीच सिकल सेल रोग सहित विभिन्न एजेंडा बिंदुओं पर चर्चा की। सिकल सेल स्क्रीनिंग कार्यक्रम को मिशन मोड में लागू करने का निर्णय लिया गया। राष्ट्रीय टीबी उन्मूलन कार्यक्रम पर जोर दिया गया और यह निर्णय लिया गया कि वर्ष 2025 तक टीबी उन्मूलन के लक्ष्य को प्राप्त करने के माननीय प्रधानमंत्री के दृष्टिकोण के अनुसार 2025 तक टीबी को समाप्त करने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाए जाएंगे। एमएसजी ने राष्ट्रीय एम्बुलेंस सेवाओं और मोबाइल चिकित्सा इकाइयों (एमएमयू) के लिए लागत मानदंडों पर भी विचार-विमर्श किया। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के विभिन्न आईटी पोर्टलों में आभा आईडी के निर्माण और सीडिंग के लिए आशा को प्रोत्साहित करने का निर्णय लिया गया। इसके अतिरिक्त, एमएसजी ने बच्चों में कुपोषण, जागरूकता और स्नेक बाइट की रोकथाम और नियंत्रण की क्षमता पर चर्चा की और प्रधानमंत्री राष्ट्रीय डायलिसिस कार्यक्रम की स्थिति की भी समीक्षा की।

सदस्य केंद्रीय मंत्रियों ने बीते वर्षों में राज्यों को प्रदान किए गए केंद्रित कार्यक्रमों और सहायता के माध्यम से एनएचएम के तहत हुई प्रगति की सराहना की। राज्य के खजाने से जिलों को फंडफ्लो में बदलाव और निगरानी सहित कई सुझाव दिए गए; पीएम-जय योजना में बंजारों, सड़क पर रहने वाले और विभिन्न दिव्यांग व्यक्तियों को शामिल करना; स्वास्थ्य सुविधाओं में तकनीशियनों और पैरामेडिक्स की रिक्तियों को तेजी से भरना; प्रोत्साहन तंत्र; और केंद्र और राज्यों के बीच तालमेल को बढ़ाना ताकि बाद में समय पर निधि आवंटन किया जा सके।

डॉ. मनसुख मांडविया ने कहा कि एमएसजी की आज की बैठक में लिए गए निर्णयों से स्वास्थ्य सेवा के तीनों स्तरों- प्राथमिक, माध्यमिक और तृतीयक में स्वास्थ्य सेवाओं की डिलीवरी को मजबूती मिलेगी, जो नागरिकों को समान, सस्ती और गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य देखभाल सेवाओं तक सार्वभौमिक पहुंच प्रदान करेगी और जो ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में लोगों की जरूरतों के प्रति जवाबदेह और उत्तरदायी हैं। उन्होंने आगे कहा कि बैठक से प्राप्त फीडबैक और सुझावों पर विचार किया जाएगा ताकि आगे का रोडमैप  तैयार करने में इनका ध्यान रखा जा सके।

Related posts

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More