‘भारत का कोविड प्रबंधन नेतृत्व, नवाचार, समर्पण, साझेदारी, सहयोग और प्रौद्योगिकी का लाभ उठाने की कहानी है।’ यह बात केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. मनसुख मंडाविया ने आज यहां बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन (बीएमजीएफ) द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम ‘अक्षा-लेसंस फ्रॉम इंडिया’ में मुख्य भाषण देते हुए कही। बैठक में डब्ल्यूएचओ, यूनिसेफ, यूएनडीपी, यूएसएआईडी, एडीबी और बीएमजीएफ जैसे विकास भागीदारों के कंट्री प्रमुख एवं प्रतिनिधि उपस्थित थे।
इस कार्यक्रम का आयोजन भारत के कोविड प्रबंधन एवं टीकाकरण सफर से महत्वपूर्ण सबक लेने और अनुभवों एवं सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करने के लिए किया गया था।
केंद्रीय मंत्री ने इस बात पर प्रकाश डाला कि भारत ने एक संघीय लोकतंत्र में केंद्र और राज्यों के साथ मिलकर काम करते हुए कोविड प्रबंधन का एक अनुकरणीय मॉडल प्रस्तुत किया है। उन्होंने कहा कि जन आंदोलन और जन भागीदारी भारत की कोविड प्रबंधन रणनीति के प्रमुख स्तंभ हैं। डॉ. मंडाविया ने लोगों को याद दिलाया कि कई अध्ययन के तहत भारत में वैश्विक महामारी के प्रभाव के बारे में गलत भविष्यवाणी की गई थी और गलत अनुमान लगाए थे लेकिन भारत के राजनीतिक नेतृत्व ने रणनीतिक तरीके से उचित समय पर निर्णायक कार्रवाई की और इस वैश्विक महामारी के प्रबंधन के लिए हमारे अपने दृष्टिकोण के साथ-साथ वैश्विक सर्वोत्तम प्रथाओं से मिली सीख का उपयोग किया।
मंडाविया ने कोविड-19 वैश्विक महामारी के खिलाफ लड़ाई में स्वास्थ्य कर्मियों के योगदान की सराहना करते हुए उनकी प्रेरणा और समर्पण की सराहना की। इस संदर्भ में मंत्री ने उन अभिनव तरीकों पर भी प्रकाश डाला जिनमें अपना सर्वश्रेष्ठ योगदान देने के लिए प्रधानमंत्री ने स्वास्थ्य कर्मियों को प्रोत्साहित किया।
कोविड-19 वैश्विक महामारी को नियंत्रित करने के लिए सरकार द्वारा किए गए प्रयास के बारे में डॉ. मंडाविया ने कहा कि यह एनजीओ, सीएसओ, उद्योग, विकास भागीदारों जैसे विभिन्न हितधारकों के संयुक्त प्रयास का नतीजा था। उन्होंने कहा कि 181 करोड़ से अधिक टीके की खुराक लगाए जाने से तीसरी लहर के सफल प्रबंधन में मदद मिली। उन्होंने इस तथ्य को रेखांकित किया कि भारत ने प्रदर्शित किया है कि भौगोलिक एवं जनसंख्या के लिहाज से व्यापक विविधता होने के बावजूद बड़े पैमाने पर टीकाकरण अभियान को कैसे चलाया जा सकता है।
डॉ. मंडाविया ने यह भी कहा कि भारतीय लोकाचार एवं परंपरा को ध्यान में रखते हुए देश ने खुद की टीका जरूरतें पूरी होने से पहले ही दुनिया को कोविड-19 टीकों की आपूर्ति की। उन्होंने यह भी कहा कि हमने कोई अहंकारी व्यवहार नहीं दिखाया बल्कि भारत ने जो उत्पादन किया उसे साझा किया। हमने कई देशों को एचसीक्यू जैसी दवाएं मुहैया कराई हैं। हमने गुणवत्ता से कोई समझौता नहीं किया और न ही कीमत के साथ कोई सौदेबाजी की।
केंद्रीय मंत्री ने आगे कहा कि भारत की सफलता की कहानी अन्य देशों के लिए उसी तरह अनुकरणीय है जैसे हम वैश्विक सर्वोत्तम प्रथाओं से सीखने के लिए हमेशा तत्पर रहते हैं।
केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव श्री राजेश भूषण ने कहा कि केंद्र सरकार ने वैश्विक महामारी की शुरुआत के बाद से देश भर में टीकाकरण शुरू करने, टीके का उत्पादन करने और लोगों के बीच टीका को लेकर हिचकिचाहट आदि विभिन्न चुनौतियों का समाधान करने के लिए काफी सक्रियता से काम किया। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि भारत ने 15 साल से अधिक उम्र की 96 प्रतिशत आबादी को कोविड-19 टीके की पहली खुराक के साथ पहले ही कवर कर लिया है।
आईसीएमआर के महानिदेशक डॉ. बलराम भार्गव ने कहा कि भारत ने टीका उत्पादन और टीका वितरण के मामले में दुनिया में अपनी पहचान बनाई है। उन्होंने यह भी कहा कि भारत को दुनिया में अन्य बीमारियों के लिए नई खोज करने की राह पर आगे बढना है।
स्वास्थ्य मंत्रालय में संयुक्त सचिव श्री लव अग्रवाल ने एक प्रस्तुति के जरिये बताया कि भारत ने कोविड-19 के प्रबंधन के लिए एक वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाया है। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि सरकारी दृष्टिकोण, मजबूत संचार रणनीतियों, डिजिटल एवं तकनीकी उपकरणों का प्रभावी उपयोग और स्वास्थ्यकर्मियों द्वारा जमीनी स्तर पर किए गए उल्लेखनीय प्रयासों से भारत को अपने लोगों के टीकाकरण की दिशा में अंतिम छोर तक पहुंचने में मदद मिली।
डब्ल्यूएचओ के कंट्री डायरेक्टर डॉ. रॉडेरिको ओफ्रिन ने भारत में व्यापक टीकाकरण अभियान में शामिल लोगों, टीकाकरण केंद्रों, कोल्ड चेन एवं अन्य संबद्ध नेटवर्क की विशाल संख्या को रेखांकित किया। उन्होंने देश की टीका विनिर्माण क्षमता की प्रशंसा करते हुए कहा कि भारत पहले से ही दुनिया में एक टीका महाशक्ति है क्योंकि दुनिया में विभिन्न एंटीजन के लिए 70 प्रतिशत से अधिक टीके भारत में विनिर्मित होते हैं।
यूएनडीपी रेडिडेंस रिप्रजेंटेटिव सुश्री शोको नोडा ने कहा कि भारत का कोविड-19 टीकाकरण अभियान दुनिया भर में अनोखा है। उन्होंने आगे कहा कि भारत में टीकाकरण की सफलता की कहानी से इस वैश्विक महामारी की चुनौती से निपटने के लिए देश के नेतृत्व की प्रतिबद्धता एवं गतिशीलता की झलक मिलती है।
भारत में यूनिसेफ के प्रतिनिधि श्री यासुमासा किमुरा ने दुनिया के सबसे बड़े टीकाकरण अभियान के लिए भारत को बधाई दी। उन्होंने कहा कि भारत का टीकाकरण मॉडल कोविड-19 वैश्विक महामारी के वैश्विक ट्राजेक्ट्री को परिभाषित करने के लिए काफी महत्वपूर्ण रहा है।
यूएसएआईडी की डिप्टी असिस्टेंट एडमिनिस्ट्रेटर सुश्री अंजलि कौर ने रेखांकित किया कि भारत का विशाल टीकाकरण अभियान अन्य देशों के लिए एक मॉडल के रूप में कार्य करता है। उन्होंने आगे कहा कि भारत की टीकाकरण यात्रा ने दर्शाया है कि टीकों के उचित वितरण में विभिन्न ताकतों का समावेशन कितना महत्वपूर्ण है।
एशियाई विकास बैंक के कंट्री डायरेक्टर श्री ताकेओ कोनिशी ने कहा कि विशाल भौगोलिक, सांस्कृतिक एवं राजनीतिक चुनौतियों के बावजूद भारत ने विभिन्न चुनौतियों से निपटने के लिए दुनिया के सामने एक रूपरेखा का प्रदर्शन किया है। उन्होंने सरकारों, सामुदायिक भागीदारी आदि को प्रेरित करते हुए इस वैश्विक महामारी पर केंद्रित बहुआयामी रणनीति के साथ काम करने के लिए भारत को बधाई दी।
बीएमजीएफ के अध्यक्ष डॉ. क्रिस एलियास ने भारत की उल्लेखनीय उपलब्धियों और कोविड-19 वैश्विक महामारी के प्रबंधन की दिशा में अतुलनीय प्रयासों की सराहना की। उन्होंने जोर देकर कहा कि सुरक्षा के साथ टीकाकरण को संतुलित गति देने के लिए नवाचार एक नियामकीय निर्णय है जिसे भारत ने तुरंत और काफी सक्रियता से अपनाया। उसने लोगों की भलाई के लिए कोविन पोर्टल का विकास किया जिसका उपयोग कहीं भी टीकों की डिलिवरी को गति के लिए किया जा सकता है।