केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री डॉ. वीरेंद्र कुमार ने आज नई दिल्ली के कड़कड़डूमा, विकास मार्ग स्थित अमर ज्योति चैरिटेबल ट्रस्ट स्कूल परिसर का दौरा किया। यह दिव्यांग व्यक्तियों के अधिकारिता विभाग की दीन दयाल पुनर्वास योजना के तहत एक अनुदानग्राही संगठन है। केंद्रीय मंत्री ट्रस्ट द्वारा 1981से प्रदान की जाने वाली समावेशी शिक्षा के समग्र दृष्टिकोण से सबसे अधिक प्रभावित हुए। उन्होंने व्यावसायिक चिकित्सा इकाई में क्रॉस डिसेबिलिटी (बहरे, अंधे, सेरेब्रल पाल्सी एडीएचडी) वाले छात्रों के साथ बातचीत की और छात्रों को उनके पुनर्वास की प्रक्रिया को सुगम बनाने के लिए दिए गए थेरेपी सत्रों को भी देखा।
डॉ. वीरेंद्र, कला और शिल्प, मिट्टी के बर्तन, गहने तथा जूट के बैग बनाने सहित विभिन्न कौशल कार्यों में छात्रों के प्रदर्शन को देखकर बेहद प्रभावित हुए। बहु-दिव्यांग छात्र मास्टर अक्षत माननीय मंत्री जी को फ्रेंडशिप बैंड भेंट कर सबसे ज्यादा रोमांचित हुए। श्री वीरेंद्र ने कुम्हार की चाक पर अपने पैरों से एक दीया तैयार करने वाली सुश्री निष्ठा की भी प्रशंसा की।
उन्होंने फिजियोथेरेपी यूनिट, स्पीच थेरेपी, अर्ली इंटरवेंशन और प्रोस्थेटिक/ऑर्थोटिक विभाग का भी दौरा किया, जहां उन्होंने कृत्रिम अंगों के माप और निर्माण की प्रक्रिया देखी।
ट्रस्ट की संस्थापक और प्रबंध सचिव डॉ. उमा तुली ने संस्थान के भीतर छात्रों के लिए सुलभ वातावरण के प्रमुख उपायों के बारे में बताया जिसमें स्पर्श पथ, उठी हुई सीढ़ियाँ, सुलभ शौचालय और जरूरत के मुताबिक ढलने वाला फर्नीचर आदि शामिल हैं। यह केंद्र बाधा मुक्त वातावरण के लिए रोल मॉडल है।
समावेशी स्कूल भवन के दौरे के दौरान स्कूल प्रिंसिपल ने श्रवण बाधित बच्चों (संकेत भाषा, होंठ पढ़ने, कुल संचार) के लिए समावेशी कक्षाओं में कक्षा रणनीतियों पर प्रकाश डाला। छात्रों की लाइव एक्टिविटी से प्रभावित होकर मंत्री ने कहा कि इन सभी रणनीतियों को सभी स्कूलों में लागू किया जाना चाहिए ताकि समावेशी शिक्षा एक वास्तविकता बन जाए।
व्हीलचेयर बास्केटबॉल खिलाड़ियों के साथ बातचीत उनकी यात्रा का मुख्य आकर्षण रहा। उन्होंने खिलाड़ियों की प्रशंसा करते हुए कहा कि वे सच्चे अचीवर्स और रोल मॉडल हैं जो दूसरों को उनके उदाहरण का अनुसरण करने के लिए प्रोत्साहित करेंगे। उन्होंने व्हील चेयर उपयोगकर्ताओं के लिए बाधा मुक्त हाइड्रौकली संचालित स्कूल बस की सराहना की और उल्लेख किया कि दिव्यांग व्यक्तियों के आने-जाने की सुविधा के लिए ऐसी और बसें होनी चाहिए। उन्होंने छात्रों से वादा किया कि वह अपनी अगली यात्रा के दौरान उनके साथ अधिक समय बिताएंगे।