नई दिल्ली: देश के टिकाऊ आर्थिक विकास के लिए किफायती दरों पर बेहतर बिजली की आपूर्ति आवश्यक है। विद्युत क्षेत्र के विकास के लिए विद्युत मंत्रालय ने 17 अप्रैल, 2020 को विद्युत अधिनियम (संशोधन) विधेयक, 2020 के मसौदे के रूप में विद्युत अधिनियम, 2003 में संशोधन के लिए मसौदा प्रस्ताव जारी किया है। इस पर हितधारकों से 21 दिन के भीतर टिप्पणियां/ आपत्तियां/ सुझाव आमंत्रित किए गए हैं।
विद्युत अधिनियम में प्रस्तावित बड़े संशोधन निम्नलिखित हैं :
विद्युत वितरण कंपनियों (डिस्कॉम्स) की वैधता
- लागत आधारित दर (कॉस्ट रिफ्लेक्टिव टैरिफ) : कुछ आयोगों की नियामकीय संपदाएं उपलब्ध कराने की प्रवृत्ति को दूर करने के लिए प्रावधान किया जा रहा है कि आयोग खुद इस प्रकार टैरिफ तय करेंगे जिनसे लागत का पता चलता है, जिससे डिस्कॉम्स अपनी लागत की वसूली करने में सक्षम हो जाएं।
- प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण : प्रस्ताव किया जाता है कि आयोगों द्वारा सब्सिडी को शामिल किए बिना टैरिफ तय किया जाए। सब्सिडी सरकार द्वारा सीधे ग्राहकों को उपलब्ध कराई जाएगी।
अनुबंधों की बाध्यता
- विद्युत अनुबंध प्रवर्तन प्राधिकरण की स्थापना : उच्च न्यायालय के एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक केन्द्रीय प्रवर्तन प्राधिकरण की स्थापना का प्रस्ताव किया गया है। इसके पास उत्पादक, वितरण या पारेषण कंपनियों के बीच बिजली की खरीद या बिक्री या पारेषण से संबंधित अनुबंधों को लागू कराने के लिए दीवानी अदालत के अधिकार होंगे।
- बिजली की शिड्यूलिंग के लिए पर्याप्त भुगतान सुरक्षा तंत्र की स्थापना : अनुबंधों के तहत बिजली की आपूर्ति की शिड्यूलिंग से पहले पर्याप्त भुगतान सुरक्षा तंत्र की निगरानी के लिए लोड डिसपैच केंद्रों को सशक्त बनाने का प्रस्ताव किया गया है।
नियामकीय व्यवस्था को मजबूत बनाना
- अपीलीय न्यायाधिकरण (एपीटीईएल) को मजबूत बनाना : चेयरपर्सन के अलावा एपीटीईएल की क्षमता को बढ़ाकर सात करने का प्रस्ताव किया गया है, जिससे मामलों के त्वरित निस्तारण को आसान बनाने के लिए कई पीठ की स्थापना की जा सके। इसके अलावा उसके फैसलों को लागू करने के लिए एपीटीईएल को और सशक्त बनाने का भी प्रस्ताव किया गया है।
- कई चयन समितियों की व्यवस्था को खत्म करना : केंद्रीय व राज्य आयोगों के चेयरपर्सन और सदस्यों के चयन के लिए एक चयन समिति का प्रस्ताव किया गया है। साथ ही केंद्रीय और राज्य विद्युत विनियामक आयोगों के चेयरपर्सन और सदस्यों की नियुक्ति के लिए एक समान पात्रताओं का भी प्रस्ताव किया गया है।
- vii. जुर्माना : विद्युत अधिनियम के प्रावधानों और आयोग के आदेशों का अनुपालन सुनिश्चित करने के क्रम में ज्यादा जुर्माने की व्यवस्था के लिए विद्युत अधिनियम की धारा 142 और 146 में संशोधन का प्रस्ताव किया गया है।
अक्षय और पनबिजली
- राष्ट्रीय अक्षय ऊर्जा नीति : ऊर्जा के अक्षय स्रोतों से बिजली के उत्पादन के विकास और प्रोत्साहन के लिए एक नीति दस्तावेज उपलब्ध कराने का प्रस्ताव किया गया है।
- आयोगों द्वारा उर्जा के पनबिजली स्रोतों से बनी बिजली की न्यूनतम प्रतिशत खरीद का उल्लेख करने का भी प्रस्ताव किया गया है।
- जुर्माना : अक्षय और/या ऊर्जा के पनबिजली स्रोतों से बनी बिजली खरीदने की बाध्यता पूरी नहीं करने वालों पर जुर्माना लगाए जाने का प्रस्ताव किया जा रहा है।
मिश्रित
- विद्युत में सीमा पार व्यापार : दूसरे देशों के साथ बिजली में व्यापार को आसान बनाने और विकसित करने के प्रावधान किए गए हैं।
- xii. फ्रेंचाइजी और उप- वितरण लाइसेंसी : कई राज्य वितरण कंपनियों को एक खास क्षेत्र में विद्युत वितरण का काम फ्रेंचाइजी/ उप-वितरण लाइसेंसियों को दिया गया है। हालांकि इसके संबंध में कानूनी प्रावधानों पर स्पष्टना की कमी थी। इसलिए वितरण कंपनियों के लिए यह प्रस्ताव किया जाता है कि यदि वे चाहें तो उनकी तरफ से किसी खास क्षेत्र में आपूर्ति के लिए फ्रेंचाइजी या उप वितरण लाइसेंसियों को जोड़ सकती हैं। हालांकि यह डिस्कॉम के ऊपर होगा कि वे किसे लाइसेंसी चुनती हैं। इसलिए, वे ही उस आपूर्ति क्षेत्र में बिजली का गुणवत्तापूर्ण वितरण सुनिश्चित करने के लिए पूर्ण रूप से जिम्मेदार होंगी।