नई दिल्ली: 27-28 दिसम्बर 1971 को नागी की प्रसिद्ध लड़ाई के दौरान देश के लिए अपने प्राण न्यौछावर करने वाले भारतीय सेना के वीर सैनिकों की स्मृति में
44वां नागी दिवस श्रीगंगानगर सेना स्टेशन और नागी (अंतर्राष्ट्रीय सीमा के करीब श्री करनपुर में स्थित एक छोटे सा गांव) में मनाया गया। यह युद्ध भारत-पाक युद्ध के संघर्ष विराम की घोषणा के 10 दिनों बाद लड़ा गया था जिसमें भारतीय सैनिकों द्वारा की गयी बहादुर कार्रवाई ने पाकिस्तानी सेना के नापाक इरादों को नाकाम कर दिया था। युद्ध के दौरान तीन अधिकारियों सहित 21 भारतीय सैनिकों ने देश के लिए सर्वोच्च बलिदान दिया था।
इस अवसर पर जश्न मनाने के लिए श्री गंगानगर के मिलट्री स्टेशन करनपुर और नागी स्मारक में 27 से 28 दिसंबर तक कई कार्यक्रम आयोजित किये गये जिसमें नागी युद्ध पर प्रस्तुति, शौर्य पर माल्यार्पण अर्पित करने का कार्यक्रम तथा 4 पैरा (एस एफ) और भारतीय सेना की 9 पैरा एफडी रेजीमेंट द्वारा एक लाइट एंड साउंड शो दिखाया गया जिसमें शहीदों की वीरता को दर्शाया गया। 28 दिसंबर 2015 को नागी के युद्ध स्मारक पर नांगी गांव के लोगों से बातचीत करने के बाद एक माल्यार्पण समारोह आयोजित किया गया। वीरता की लड़ाई लड़ने वाले सेवानिवृत्त सैनिक भी अवसर पर मौजूद थे और उन्होंने युद्ध के दौरान घटित हुए अनुभवों को दर्शकों के साथ साझा किया।
कार्यक्रमों के दौरान मेजर जनरल बिपिन बख्शी, जनरल आफिसर कमांडिंग अमोघ डिवीजन, सेवानिवृत्त और सेवारत अधिकारी, कनिष्ठ अधिकारी, जवान और श्रीगंगानगर के प्रमुख लोक अधिकारी उपस्थित रहे।