नई दिल्ली: रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने आज डीआरडीओ भवन में हुए एक कार्यक्रम के दौरान भारतीय सेना को मोबाइल मैटलिक रैंप यानी धातु के गतिशील रैंप (एमएमआर) का डिजाइन सौंपा। रक्षा अनुसंधान एवं विकास विभाग के सचिव और डीआरडीओ के चेयरमैन डा. जी सतीश रेड्डी ने एमएमआर के डिजाइन को उपसेना प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल देवराज अनबू के सुपुर्द किया।
70 मीट्रिक टन की भार क्षमता वाले एमएमआर को डीआरडीओ की प्रमुख रिसर्च प्रयोगशाला अग्नि, विस्फोटक एवं पर्यावरण सुरक्षा केंद्र (सीएफईईएस) द्वारा डिजाइन और विकसित किया गया है। सेना ने अपने बख्तरबंद लड़ाकू वाहनों की सामरिक आवाजाही में लगने वाले समय को कम करने के लिए इसकी जरूरत बताई थी। यह रैंप बख्तरबंद और मैकेनाइज्ड इकाइयों और सेना की टुकड़ियों को सामरिक गतिशीलता प्रदान करेगा। इसका डिजाइन पोर्टेबल, मॉड्यूलर है, जिसे आसानी से जोड़ा और अलग किया जा सकता है।
लेफ्टिनेंट जनरल देवराज अनबू ने एमएमआर के डिजाइन और ऑपरेशनल तैनाती में लगने वाले समय को काफी कम करने की सेना की जरूरतों को पूरा करने के लिए डीआरडीओ के प्रयासों की सराहना की।
इस समारोह में ऑपरेशनल लॉजिस्टिक्स एंड स्ट्रैटेजिक मूवमेंट महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल नव के. खंडूरी, डीआरडीओ के महानिदेशक और सीएफईईएस के निदेशक भी मौजूद थे।
रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने एमएमआर जैसा नवोन्मेषी उत्पाद विकसित करने के लिए डीआरडीओ और सेना को बधाई दी है।