नई दिल्ली: वर्ष 2014-15 के दौरान कमजोर मानसून के कारण हरियाणा सरकार ने 21 जिलों, कर्नाटक ने 9 जिलों, उत्तर प्रदेश ने 44 जिलों और आंध्र प्रदेश ने 7 जिलों में सूखे की घोषणा की थी। इन सभी राज्यों ने राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया कोष (एनडीआरएफ) से वित्तीय सहायता की मांग के लिए विस्तृत ज्ञापन भी प्रस्तुत किया था। अंतर-मंत्रालय केंद्रीय दल (आईएमसीटी) ने सूखे की स्थिति का आकलन करने के लिए राज्यों का दौरा किया और रिपोर्ट दी।
भारत सरकार ने सूखे के मद्देनजर, एनडीआरएफ से किसानों को मदद और राहत देने के लिए उत्तर प्रदेश को 777.34 करोड़ रुपए, कर्नाटक को 200.35 करोड़ रुपए, हरियाणा को 168.87 करोड़ रुपए, महाराष्ट्र को 1962.99 करोड़ रुपए, आंध्र प्रदेश को 237.51 करोड़ रुपए प्रदान किए।
प्राकृतिक आपदा, कीट रोग, मौसम की स्थिति, फसलों के नुकसान के लिए किसानों को सुरक्षा प्रदान करनेके लिए भारत सरकार ने हाल ही में राष्ट्रीय फसल बीमा योजना (एनसीआईपी) शुरू किया है। इसकी घटक योजनाओं में संशोधित राष्ट्रीय कृषि बीमा योजना (एमएनएआईएस), मौसम आधारित फसल बीमा योजना (डब्ल्यूबीसीआईएस) और कोकोनट पॉम बीमा याजना (सीपीआईएस) शामिल हैं। इसके अतिरिक्त, संशोधित राष्ट्रीय कृषि बीमा योजना (एमएनएआईएस), जो कि 2013-14 के दौरान रबी फसल के समय से एनसीआईपी के लागू होने के बाद वापस ले ली गई, उसकी समयसीमा फिर से बढ़ा दी गई है। महाराष्ट्र सरकार ने 2013-14 के दौरान रबी फसल के समय एनएआईएस और डब्ल्यूबीसीआईएस नाम की केवल दो योजनाओं को अधिसूचित किया था। शर्तों और नियमों के मुताबिक उन किसानों को मुआवजा दिया गया जिन्होंने योजना के तहत अपनी फसल का बीमा करवा रखा था।