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डीएसटी कोविड-19 के खिलाफ विज्ञान और प्रौद्योगिकी का उपयोग करके अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति को सशक्त बना रहा है

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नई दिल्ली: विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) का साइंस फॉर इक्विटी एम्पावरमेंट एंड डेवलपमेंट (सीड) डिवीजन, कई नॉलेज संस्थानों (केआई) और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी (एसएंडटी) पर आधारित गैर-सरकारी संगठनों (एनजीओ) को अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति समुदायों के समग्र विकास के लिए अनुदान-सहायता प्रदान कर रहा है, जिससे राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन की गंभीर स्थिति के कारण समुदायों की प्रभावित हुई आजीविका और आर्थिक स्थिति में राहत और सुधार प्रदान किया जा सके।

राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन ने गतिशीलता और मानव संपर्क को इस हद तक अपंग बना दिया है कि उसने जमीनी स्तर पर अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति समुदायों की जरूरतों का प्रभावी तरीके से समाधान करने के लिए एक अनूठी चुनौती पेश की है। इसके अलावा, पहले से मौजूद स्वास्थ्य संबंधित चुनौतियां, आहार संबंधी, गरीब सामर्थ्य, निम्न शैक्षिक स्तर, स्वास्थ्य देखभाल और सामाजिक सेवाओं के बारे में जागरूकता की कमी के कारण समुदायों तक राहत और पुनर्वास उपायों के पहुंचने में बाधाएं उत्पन्न होती रही हैं।

सीड डिवीजन द्वारा केआई और एसएंडटी आधारित गैर सरकारी संगठनों के नेटवर्क को प्रदान की गई सहायता के माध्यम से विभिन्न हितधारकों, विशेष रूप से जमीनी स्तर पर उपस्थित और ज्ञान संगठनों के साथ गैर सरकारी संगठन नेटवर्क के बीच सामंजस्य बना  है, और वे प्रभावी प्रतिक्रिया, पुन:प्राप्ति और लचीलापन रणनीतियों को लागू करने की दिशा में इन समुदायों के साथ मिलकर काम कर रहे हैं।

सीड डिवीजन द्वारा समर्थित संगठनों के नेटवर्क ने पीएसए कार्यालय, भारत सरकार द्वारा जारी दिशा-निर्देशों के अनुसार मास्क और डब्ल्यूएचओ के दिशा-निर्देशों के अनुसार हैंड सैनिटाइज़र, और फ्यूजन डिपोजिट मॉडलिंग के माध्यम से 3 डी प्रिंटेड फेस शील्ड निर्माण में अपनी क्षमताओं का प्रदर्शन किया है।

डीएसटी द्वारा समर्थित एनजीओ और केआई, सूखा राशन और पका हुआ गर्म भोजन, व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण (पीपीई) उपलब्ध करा रहे हैं, नवीन उपकरणों और तकनीकों के विकास में सहायता प्रदान कर रहे हैं और मौजूदा आजीविका की रक्षा के लिए एक रूपरेखा तैयार कर रहे हैं और आंध्र प्रदेश, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, केरल, महाराष्ट्र, मणिपुर, ओडिशा, राजस्थान, तमिलनाडु, त्रिपुरा, उत्तराखंड, तेलंगाना और पश्चिम बंगाल राज्यों के दूर-दराज इलाकों में वैकल्पिक आजीविका का निर्माण कर रहे हैं। यह नेटवर्क इन राज्यों में लगभग 70,000 अनुसूचित जाति  और 26,000 अनुसूचित जनजाति के लोगों तक पहुंच चुका है।

60,000 लोगों तक राहत सामग्री और 36,000 लोगों को सैनिटाइजर प्रदान किया गया है। कुल 500 जागरूकता और प्रशिक्षण कार्यक्रम लगभग 35,000 लोगों को कवर करते हुए आयोजित किए गए और 56,000 लोगों को मास्क वितरित किए गए। अग्रिम पंक्ति के स्वास्थ्य कर्मियों के बीच 25,000 फेस शील्ड का वितरण किया गया।

क्षेत्र की टीमों ने सरकारी ट्रेडिंग एजेंसियों, निजी व्यापारियों और संग्रह डिपो से संपर्क स्थापित किया जिससे वे आदिवासियों से प्रत्यक्ष रूप से एनटीएफपी का संग्रह कर सकें। 12,000 परिवारों की आजीविका को कृषि, जलीय कृषि, एनटीएफपी के संग्रह और अन्य गैर-कृषि गतिविधियों वाले क्षेत्रों में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी का उपयोग करके संरक्षित या संवर्धित किया गया।

डीएसटी सचिव, प्रो. आशुतोष शर्मा कोविड-19 को नियंत्रित करने के लिए समाज के सबसे कमजोर वर्गों तक पहुंचने में गैर सरकारी संगठनों और केआई के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि जमीनी स्तर पर ज्ञान की उपयोगिता न केवल प्रासंगिक सूचना की उपलब्धता पर बल्कि स्थानीय परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए प्रदर्शनों, हैंड-होल्डिंग और स्थानीय परिस्थितियों के अनुसार कार्रवाई योग्य एसओपी का निर्माण करने पर निर्भर करती है।

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