नई दिल्ली: विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग ने कोविड 19 रोग का तेजी से पता लगाने के लिए अपने प्लेटफार्म टेक्नोलाजी को बढ़ाने हेतु प्वाइंट आफ केयर डायग्नोस्टिक पर कार्य कर रहे एक पुणे स्थित स्वास्थ्य स्टार्ट अप ‘माड्यूल इनोवेशंस’का वित्तपोषण किया है जिससे कि 10 से 15 मिनट की जांच के साथ कोविड-19 का पता लगाने के लिए एक उत्पाद का विकास किया जा सके।
अपने प्रमुख उत्पाद यूसेंस की सिद्ध अवधारणा का उपयोग करते हुए,माड्यूल अब एनकोवसेंसेज (टीएम) का विकास कर रहा है जो एंटीबाडीज,जिन्हें मानव शरीर में कोविड 19 के खिलाफ सृजित किया गया है,का पता लगाने के लिए एक रैपिड टेस्ट डिवाइस है।
वर्तमान में भारत जिस चरण से गुजर रहा है]व्यापक रूप से स्क्रीनिंग करना बेहद आवश्यक है। रैपिड टेस्ट डिवाइस के साथ रोगियों में संक्रमण की पुष्टि करना और यह निर्धारित करना भी कि क्या संक्रमित व्यक्ति ठीक हो चुका है, तथा यह पता लगाना भी कि रोगियों में संक्रमण का चरण क्या है]संभव हो जाएगा।
रियल टाइम रिवर्स ट्रांसक्रिप्शन पोलीमिरेज चेन रिएक्शन (आरटी-पीसीआर) की स्वर्ण मानक की वर्तमान संपुष्टि प्रणाली महंगी है,ज्यादा समय लेती है और इसके लिए प्रशिक्षित श्रमबल की आवश्यकता होती है। यह नया रैपिड टेस्ट कम लागत पर अधिक प्रभावी तरीके से समस्या को प्रबंधित कर सकती है।
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के सचिव प्रोफेसर आशुतोष शर्मा ने कहा,“हालांकि यह पीसीआर आधारित संपुष्टि तकनीक का विकल्प नहीं है,पर एंटीबाडीज का पता लगाने पर आधारित परीक्षणों का उपयोग वैश्विक रूप से त्वरित व्यापक जांचों के लिए किया जा जा रहा है जो पीसीआर मशीनों की सीमित संख्या से कुछ बोझ को कम करेगा और अन्य बातों के अलावा कार्यनीतियों को बनाने एवं निर्णय निर्माण करने में सहायक होगा।”
एनकोवसेंसेज परीक्षण का लक्ष्य वायरल संक्रमण के उभार पर मानव शरीर में सृजित प्हळ एवं प्हड एंटीबाडीज का पता लगाना है और इसे कोविड 19 के लिए विशिष्ट बनाते हुए स्पाइक प्रोटीन के खिलाफ टारगेट किया गया है।
स्टार्ट अप की योजना राष्ट्रीय एजेन्सियों से नियत सत्यापन प्राप्त करने के बाद 2-3 महीनों के समय में परीक्षण को तैनात करने की है। भविष्य में यह उन रोगियों को भी निर्धारित करने में सहायता करेगी जो रिकवर कर चुके हैं और उन्हें फ्रंटलाइन जाब निरुपित करेगी। इस परीक्षण का उपयोग हवाई अड्डों,रेलवे स्टेशनों,अस्पतालों तथा ऐसे अन्य स्थानों पर जांच करने में किया जा सकता है और इस प्रकार वे भविष्य में किसी प्रकोप से भी रक्षा कर सकते हैं।
हालांकि प्रौद्योगिकी की व्यवहार्यता सिद्ध हो चुकी है,अवधारणा का प्रमाण (पीओसी) और उत्पाद की कार्य क्षमता प्रदर्शित करते हुए प्रोटोटाइप का प्रदर्शन किया जाना अभी शेष है।
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सचिन दूबे
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