नई दिल्ली: विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) की इकाई साइंस फॉर इक्विटी एम्पावरमेंट एंड डेवलपमेंट (एसईईडी) द्वारा समर्थित देश के 22 राज्यों में फैले विज्ञान एवं पौद्योगिकी (एसएंडटी) समर्थ एनजीओ के नेटवर्क ने विभिन्न एसएंडटी हस्तक्षेप के जरिये कोविड-19 से निपटने में अपनी दक्षता का प्रदर्शन किया है। इससे विभिन्न राज्यों में सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयासों को निचले स्तर पर बल मिलेगा।
भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार (पीएसए) के कार्यालय के दिशानिर्देशों का अनुपालन करते हुए लगभग 1,20,000 फेस मास्क का उत्पादन किया गया और इन्हें मुख्य रूप से कोविड-19 प्रभावित राज्यों जैसे आंध्र प्रदेश, दिल्ली, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक, केरल, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, मणिपुर, राजस्थान उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु, तेलंगाना, त्रिपुरा, पश्चिम बंगाल आदि में वितरित किया गया। इनका वितरण 30 एनजीओऔर समुदाय आधारित संगठनों के नेटवर्क के माध्यम से किया गया और इस एनजीओ नेटवर्क के अन्य सदस्यों को भी ऐसा करने के लिए प्रेरित किया गया।
नवोन्मेषी ओपन-सोर्स डिजाइन के माध्यम से विनिर्मित 3डी प्रिंटेड फेस शील्ड महाराष्ट्र में 2500 पुलिसकर्मियों और अगले मोर्चे पर तैनात स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं में वितरित किए गए। इस समुदाय के बीच वितरण के लिए हैंड सैनिटाइजर और हैंडवाश का उत्पादन डब्ल्यूएचओ की सिफारिशों के अनुरूप किया गया। यूएसएफडीए के दिशानिर्देशों के अनुरूप रीठा (सपिंडस मुकोरोसी) के इस्तेमाल से 100 प्रतिशत प्राकृतिक लिक्विड हैंड वॉश तैयार किया गया। इसी प्रकार सभी प्रोटोकॉल का ध्यान रखते हुए इथेनॉल, हाइड्रोजन पेरोक्साइड, ग्लिसरॉल और मुगवॉर्ट (आर्टेमिसिया निलागिरिका) एवं सिट्रोनेला के अर्क के उपयोग से हैंड सैनिटाइजर तैयार किया गया।
आगामी पखवाड़े में उत्पादन का दायरा बढ़ाकर 3,00,000 फेस मास्क, 3,000 फेस शील्ड, 15,000 लीटर हैंड सैनिटाइजर और 5,000 लीटर लिक्विड हैंड वॉश तैयार करने की येाजना है। राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन (एसआरएलएम) के साथ-साथ महिला स्वयं सहायता समूह (एसएचजी), किसान क्लब और युवाओं को इन कार्यों में भाग लेने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। कोविड महामारी से निपटने के लिए इन हस्तक्षेपों के बारे में समुदायों की जागरूकता एवं क्षमताकाफी महत्वपूर्ण है और इन एनजीओ नेटवर्क के जरिये उसे तैयार किया जा रहा हैं।
इन हस्तक्षेपों ने कोविड-19 संक्रमण को रोकने के अलावा महिला एसएचजी के लिए आजीविका का एक वैकल्पिक स्रोत भी प्रदान किया है। डीएसटी के इस मजबूत एसएंडटी समर्थ एनजीओ नेटवर्क द्वारा किए गए उपायों से ग्रामीण आबादी में इस महामारी के फैलने की संभावित भारी कीमत और प्रभाव को कम करने में मदद मिली है।
डीएसटी के सविच प्रोफेसर आशुतोष शर्माने एसएंडटी हस्तक्षेप की तत्काल,मध्यवर्ती और दीर्घकालिक आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा, ‘जाहिर तौर पर समाज के एक व्यापक तबके, विशेष रूप से कमजोर वर्गों तक पहुंच रखने वाले गैर-सरकारी संगठन जन जागरूकता के जरिये कोविड-19 का समाधान प्रदान करने, सुरक्षात्मक वस्तुओं के विनिर्माण एवं वितरण, प्रशिक्षकों के प्रशिक्षण आदि में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। यह देखकर काफी खुशी होती है कि मुख्य रूप से डीएसटी द्वारा सहायता प्राप्त करीब 30 एनजीओ इस काम को तेजी से आगे बढ़ाने में जुटे हैं।’
डीएसटी ने अपने एनजीओ नेटवर्क को एक एडवाइजरी जारी की थी और एसएंडटी हस्तक्षेपों के माध्यम से सामुदायिक स्तर पर कोविड-19 के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए तत्काल कार्रवाई शुरू की थी। इसके तहत ग्रामीण इलाकों के साथ-साथ शहरी क्षेत्रों में सामाजिक दूरी बनाने, क्वारंटाइन, मास्क एवं सैनिटाइजर का उपयोग, स्वास्थ्य एवं स्वच्छता संबंधी कार्य, मानसिक स्वास्थ्य, प्रतिरक्षा निर्माण और तंदुरुस्ती के बारे में जागरूकता पैदा करने की पहल की गई है।
यह महसूस किया गया है कि इस वैश्विक महामारी की रोकथाम काफी हद तक आजीविका, पोषण और सामाजिक-आर्थिक स्थिति से संबंधित है और इसलिए इस जमीनी स्तर के सामाजिक नेटवर्क की एसएंडटी क्षमता को मजबूत करने के लिए भी प्रयास किए गए हैं।