लखनऊ: प्रदेश सरकार ने कोविड-19 के कारण मत्स्य जलाशयों के ठेकेदारों को हुई आर्थिक क्षति एवं समस्याओं के दृष्टिगत मत्स्य ठेका वर्ष 2020-21 की अप्रैल से जून की समयावधि में एवं मत्स्य ठेका वर्ष 2021-22 में देय किश्तों की वर्तमान व्यवस्था में शिथिलता प्रदान किए जाने के आदेश दिए हैं। यह आदेश जलाशयों के ठेकेदारों से प्राप्त प्रत्यावेदन एवं जन प्रतिनिधियों से प्राप्त अनुरोध पर दिये गये हैं।
मत्स्य विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार श्रेणी-1 एवं श्रेणी-2 के जलाशयों के सम्बन्ध में व्यवस्था की गई है कि 16 अगस्त, 2020 की 25 प्रतिशत की किश्त के पश्चात अवशेष 75 प्रतिशत की धनराशि को ठेके के अवशेष 10 माह के अनुसार सात मासिक किश्तों के स्थान पर 10 मासिक किश्तों में विभाजित की जायेगी, जिसमें 10 मासिक किश्तों में से सितम्बर 2020 से मार्च 2021 तक की सात मासिक किश्तों को निर्धारित ब्याज सहित तत्काल जमा किया जायेगा, तभी अन्य शिथिलताएं व लाभ प्राप्त होंगे। साथ ही अप्रैल 2021 से जून 2021 तक की 3 मासिक किश्तों एवं निर्धारित ब्याज की गणना सहित कुल धनराशि को ठेका वर्ष 2021-22 हेतु अग्रनीत कर ली जाये। अग्रनीत धनराशि एवं ठेका वर्ष 2021-22 की कुल निर्धारित धनराशि को जोड़कर कुल देय धनराशि को 10 समान किश्तों में विभाजित कर सितम्बर 2021 से जून, 2022 तक जमा करा लिया जाए। इसके उपरान्त कोई समयावृद्धि प्रदान नहीं की जायेगी।
इसके अतिरिक्त श्रेणी-3 से श्रेणी-4 और श्रेणी-5 के जलाशयों के सम्बन्ध में व्यवस्था की गई है कि वर्ष 2020-21 के ठेके की कुल धनराशि के 9/12 भाग को निर्धारित ब्याज सहित तत्काल जमा कर दिया जाए, तभी अन्य शिथिलताएं/लाभ प्राप्त होंगे। शेष 3/12 भाग की धनराशि (अप्रैल 2021 से जून, 2021 तक के लिए) को ब्याज सहित ठेका वर्ष 2021-22 हेतु अग्रनीत कर लिया जायेगा। अग्रनीत धनराशि एवं ठेका वर्ष 2021-22 की कुल निर्धारित धनराशि को जोड़कर कुल देय धनराशि को 10 मासिक किश्तों में विभाजित कर सितम्बर 2021 से जून, 2022 तक जमा करा लिया जायेगा। देय धनराशि की मासिक किश्तों को जमा करने में अधिकतम 1 माह के विलंब तक ब्याज सहित धनराशि जमा करने की अनुमति दी जाय। साथ ही पूर्व बकाया किश्त की धनराशि को 02 प्रतिशत ब्याज सहित जमा किया जाना अनिवार्य होगा। ठेके के सापेक्ष प्रत्येक दशा में सम्पूर्ण देय धनराशि को 30 जून, 2022 तक जमा करा ली जाय तथा 30 जून, 2022 के उपरान्त कोई समयवृद्धि प्रदान नहीं की जायेगी।
इसके साथ ही जिन जलाशयों का ठेका किसी भी कारणवश निरस्त किया जा चुका है, उन जलाशयों को इस शिथिलता का लाभ प्राप्त नहीं होगा और न ही इस संबंध में किसी प्रकार का पुनर्विचार किया जाएगा। यह शिथिलता मात्र जून, 2022 तक के लिए निर्धारित की गई है और उन ठेकों के लिए है जो जुलाई 2020 से जून 2022 की अवधि के मध्य निर्बाध रूप से संचालित रहेंगे। वर्ष 2021-22 में निस्तारित या निस्तारित होने वाले मत्स्याखेट जलाशयों के ठेकों पर यह शिथिलता प्रभावी/लागू नहीं होगी।