देहरादून: मार्च 2021 के बाद से कोविड-19 के मामलों की संख्या प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा सक्रिय मामलों के साथ मरीजों का आंकड़ा 5 महीने के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया है। संक्रमित लोगों की संख्या में अचानक बढ़ोतरी के लिए, आम जनता के बीच मास्क पहनने और कोविड-19 के बुनियादी प्रोटोकॉल का पालन करने के प्रति उदासीनता के भाव को जिम्मेदार ठहराया जा सकता है। कोविड के मामलों बढ़ती संख्या पर काबू पाने तथा लोगों के स्वास्थ्य एवं कल्याण की रक्षा करने के अपने उद्देश्य पर कायम रहते हुए, पूरी दुनिया में जाने-माने हाइजीन ब्रांड, लिविंगार्ड एजी ने अपने स्वच्छता उत्पादों, विशेष रूप से मास्क और ग्लव्स को आम जनता, और सरकारों, सार्वजनिक क्षेत्र के निकायों, कॉर्पोरेट कंपनियों, अस्पतालों, हॉस्पिटैलिटी संस्थानों, विनिर्माण इकाइयों जैसे विभिन्न संगठनों के लिए पहले से अधिक सुलभ बना दिया है। भारत में विनिर्माण को बढ़ावा देकर, लिविंगार्ड अपने उत्पादों के निर्माण की लागत कम करने तथा बी2बी से बी2सी चैनलों तक कीमतों में 50 प्रतिशत तक की कटौती करने में सक्षम हुआ है। बर्लिन की फ्रेई यूनिवर्सिटी तथा यूनिवर्सिटी ऑफ एरिजोना के डिपार्टमेंट ऑफ एनवायर्नमेंटल साइंस के शोधकर्ताओं ने इस बात को वैज्ञानिक तरीके से साबित कर दिखाया है कि, लिविंगार्ड तकनीक के साथ विकसित टेक्सटाइल 99.9 प्रतिशत बैक्टीरिया एवं वायरस को नष्ट करने में सक्षम है, जिसमें एसएआरसी सीओवी 2 (कोविड-19 का कारण बनने वाले वायरस) भी शामिल हैं। इसके अलावा, इन्हें पुनः उपयोग में लाया जा सकता है तथा इन्हें 6 महीनों की अवधि तक धोकर बार-बार इस्तेमाल किया जा सकता है, और इस तरह ये लगभग 210 सिंगल-यूज मास्क के बराबर हैं।
श्री संजीव स्वामी, संस्थापक, आविष्कारक एवं सीईओ, लिविंगार्ड एजी, ने कहा, “कोविड के मामलों में हर दिन बढ़ोतरी हो रही है, और ऐसे हालात में लिविंगार्ड देश के साथ, हमारी सरकार के साथ, स्वास्थ्य सेवाकर्मियों तथा हमारे साथी नागरिकों के साथ खड़ा है, ताकि कोरोना की दूसरी लहर के दौरान ज्यादा-से-ज्यादा लोगों की जान बचाई जा सके। लोगों की सेहत व तंदुरुस्ती की हिफाजत करना ही हमारा उद्देश्य हैय संकट की इस घड़ी में हम अपनी तकनीक और इसके फायदों को सभी के लिए ज्यादा किफायती एवं सुलभ बनाना चाहते हैं। यह बात वैज्ञानिक तौर पर प्रमाणित हो चुकी है कि हमारी टेक्नोलॉजी जिसमें एसएआरसी सीओवी -2 वायरस को 99.प्रतिशत तक नष्ट करने में सक्षम है, और लिविंगार्ड टेक्नोलॉजी से तैयार किए गए मास्क पूरी दुनिया में कोविड वारियर्स की रक्षा कर रहे हैं। हमारे मास्क धोने योग्य और दोबारा उपयोग में लाने योग्य हैं और ज्यादातर कॉटन से बने हैं, इसी वजह से ये पर्यावरण के अनुकूल और टिकाऊ हैं। हमारे मास्क को हफ्ते में सिर्फ एक बार पानी से धोना चाहिए और इस तरह आप 6 महीनों तक इस मास्क का इस्तेमाल कर पाएंगे। मैं गर्व के साथ कह सकता हूँ कि भारत के कई संस्थानों एवं संगठनों ने लिविंगार्ड टेक्नोलॉजी पर भरोसा जताया है, तथा वायरस से खुद को बचाने के लिए हमारी तकनीक को चुना है। हम सुरक्षा की इस तकनीक को ज्यादा-से-ज्यादा भारतीयों तक पहुँचाना चाहते हैं।”
लिविंगार्ड की टेक्नोलॉजी सही मायने में अद्वितीय और इस क्षेत्र में अग्रणी है जो नोवेल कोरोनोवायरस के खिलाफ सुरक्षा में बेहद अहम भूमिका निभा सकती है। जर्मनी के बर्लिन की फ्रेई यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने लिविंगार्ड की सेल्फ-डिसिन्फेक्टिंग तकनीक के लगातार असरदार होने की पुष्टि की है, और जब किसी भी तरह के कपड़े या सतह पर इसका इस्तेमाल किया जाता है तो इसमें नोवेल कोरोनोवायरस को नष्ट करने की क्षमता मौजूद होती है। इसी तरह, अमेरिका के यूनिवर्सिटी ऑफ एरिजोना के डिपार्टमेंट ऑफ एनवायर्नमेंटल साइंस में लिविंगार्ड तकनीक से उपचारित फैब्रिक्स का प्रयोगशाला में परीक्षण किया गया, जिससे यह साबित हो गया कि इस टेक्नोलॉजी से इंसानों के संपर्क में आने वाले 99.9 प्रतिशत से अधिक कोरोनवायरस स्थायी रूप से निष्क्रिय हो जाते हैं। वैज्ञानिक तरीके से उपचारित इस फैब्रिक में पॉजिटिव चार्ज होता है, और जब नेगेटिव चार्ज वाले रोगाणु इस फैब्रिक के संपर्क में आते हैं तो वे स्थाई रूप से नष्ट हो जाते हैं। टाइटेनियम, सिल्वर, जिंक और कॉपर जैसे भारी धातुओं पर आधारित सॉल्यूशन के विपरीत, इस नवीन तकनीक को त्वचा और फेफड़ों, दोनों के लिए सुरक्षित पाया गया है। इसके अलावा, लिविंगार्ड टेक्नोलॉजी रोगाणुओं को लगातार नष्ट करता है, जिससे उपयोगकर्ता और दूसरी सतहों पर रोगाणुओं के फैलने का जोखिम काफी हद तक कम हो जाता है।
भारत के साथ-साथ दुनिया भर के कई संगठनों ने अपने कर्मचारियों की सुरक्षा और हिफाजत के लिए लिविंगार्ड के उत्पादों को अपनाया है। इनमें अलेम्बिक, केकेआर, आरबीएल, जी नेटवर्क, सिप्ला जैसे प्रसिद्ध संस्थानों के अलावा कई अन्य संगठन शामिल हैं। दुबई स्थित फाइन हाइजीन होल्डिंग्स भी लिविंगार्ड टेक्नोलॉजी की मदद से अपने फाइन-गार्ड मास्क को और ज्यादा प्रभावशाली बनाते हैं। लिविंगार्ड ने ब्लू स्टार के साथ भी साझेदारी की है, जो अपने एयर कंडीशनिंग और कूलिंग यूनिट्स के निर्माण में लिविंगार्ड टेक्नोलॉजी वाले फिल्टर का प्रयोग करते हैं, जो कोरोनोवायरस सहित विभिन्न प्रकार के बैक्टीरिया और वायरस को नष्ट करने में सक्षम हैं। लिविंगार्ड ने हाल ही में पैडस्क्वाड और लिव टू गिव के साथ मिलकर बीएमसी, मुंबई पुलिस, आईटी विभाग और अन्य विभागों को 50,000 दोबारा उपयोग में आने वाले मास्क और 43,500 दोबारा उपयोग में आने वाले सैनिटरी नैपकिन अनुदान स्वरूप दिए हैं।
लिविंगार्ड की ओर से बीएमसी को हाल में अनुदान स्वरूप दिए गए उत्पादों के बारे में बृहन्मुंबई नगर निगम के अतिरिक्त नगर आयुक्त, श्री पी. वेलरासु ने कहा, “लिविंगार्ड, पैडस्क्वाड और लिव टू गिव के साथ साझेदारी करके हमें बेहद प्रसन्नता हो रही है। लिविंगार्ड के बेजोड़ और इनोवेटिव एंटीवायरल मास्क हमारे फ्रंटलाइन कर्मचारियों को सुरक्षा प्रदान कर सकते हैं क्योंकि वे मुंबई के नागरिकों को सुरक्षित रखने के लिए हर दिन वायरस से लड़ते हैं। लिविंगार्ड टेक्नोलॉजी इस दिशा में सबसे आगे है जिसकी मदद से धोने योग्य और 6 महीने तक दोबारा उपयोग में लाने योग्य मास्क का निर्माण संभव हुआ है, और इस तरह पारंपरिक तौर पर इस्तेमाल होने वाले सिंगल-यूज मास्क से उत्पन्न कचरे में काफी कमी आती है। हमें खुशी है कि लिविंगार्ड लोगों के साथ इस धरती की रक्षा करने की हमारी मुहिम में शामिल हो गया है।”
कोविड-19 के खिलाफ इस लड़ाई में हमारा मजबूती से साथ देने वाले फाइन हाइजीन होल्डिंग्स, दुबई के सीईओ, जेम्स लॉफर्टी कहते हैं, ष्हमें यकीन है कि, लिविंगार्ड की यह सफल तकनीक आने वाले कई दशकों तक हमारी सबसे प्रमुख विशेषता के तौर पर विद्यमान रहेगी। आज की दुनिया संक्रामक रोगों की रोकथाम के प्रति अधिक सतर्क व सजग हो गई है, ऐसे में लिविंगार्ड टेक्नोलॉजी हमारी योजनाओं का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा होगी, जिसका उपयोग हमारे फाइन गार्ड मास्क जैसे पहनने वाले उत्पादों के साथ-साथ ग्लव्स, वाइप्स तथा स्पेशल पेपर प्रोडक्ट्स के उत्पादन में किया जाएगा। इस तकनीक के उपयोग की कोई सीमा नहीं है, और यह फाइन हाइजीन को दुनिया भर के ग्राहकों के स्वास्थ्य की सुरक्षा का शानदार अवसर प्रदान करता है।”