लखनऊ: बुन्देलखण्ड की वीर प्रसूता धरती अपनी ऐतिहासिकता और अध्यात्मिकता के लिए भी प्रसिद्ध है। भगवान रामचन्द्र की तपस्थली कामदगिरि,
तुलसी की मानस रचना का स्थल, मन्दाकिनी के पवित्र रामघाट और डा0 लोहिया की रामायण मेला की कल्पना को सजीव करने वाले बुन्देलखण्ड में जब 31 मार्च को मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव पहुँचे तो वहाँ जन सामान्य का उत्साह और उल्लास देखते बनता था। बच्चे, बूढे़, नौजवान, बुजुर्ग, महिलांए सभी के मन में यह विश्वास था कि समाजवादी सरकार यहाँ विकास के जिस एजेंडा को लागू कर रही है उससे उनकी हालत सुधरेगी और उनका जीवन ज्यादा खुशहाल तथा सुरक्षित होगा। मुख्यमंत्री जी ने यहाँ सोलर पावर प्लांट दिया। वे क्षेत्रीय असुंतलन के शिकार इस क्षेत्र के विकास के लिए संकल्पित है।
सकंट की घड़ी में गरीबों के साथ खड़े होने की परंपरा समाजवादियों की रही है। मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव ने इसी का अनुसरण करते हुए महोबा में 1500 अंत्योदय परिवारों को सूखा राहत सामग्री के पैकेट बाँटे। इसके तहत हरेक को 10 किलो आटा, 5 किलो चने की दाल, 1 लीटर देशी घी, 1 किलो मिल्क पाउडर, 5 लीटर सरसों का तेल तथा 25 किलो आलू उपलब्ध कराया गया। उन्होंने महोबा में 14788,36 लाख लागत की 19 विकास परियोजनाओं का लोकार्पण तथा 13 परियोजनाओं का शिलान्यास किया।
बुन्देलखण्ड दौरे के दौरान मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव ने कलिजंर का किला, रामघाट, कामदगिरि परिक्रमा, रामायण मेला स्थल देखा। बाँदा जिले में कलिंजर का किला में शेरशाह सूरी की एक दुर्घटना में मौत हो गयी थी। उसने वर्षो शासन किया लेकिन इस बीच उसने पहला रुपिया जारी किया। उसका नाम देश में सबसे बड़े सड़क मार्ग ग्रांड ट्रंक रोड जी0टी0 रोड के निर्माण के लिए लिया जाता है। यह सड़क भारत-पाकिस्तान के बीच परिवहन के लिए इस्तेमाल की जाती है। 10वीं सदी में बने कलिंजर के किले में ग्रेनाइट पत्थरों का इस्तेमाल हुआ है।
कामदगिरि पर्वत जहाँ वनवास के दिनों में भगवान श्री रामचन्द्र जी साढ़ें 11 वर्षो तक रहे, वहाँ भी मुख्यमंत्री जी गए। उन्होंने मन्दाकिनी नदी के किनारे रामघाट के भी दर्शन किये जहाँ संत तुलसीदास ने रामचरितमानस की रचना की थी। यहाँ प्रचलित है ‘‘तुलसीदास चन्दन घिसे, तिलक करत रघुवीर’’। रामायण मेला की कल्पना डा0 राम मनोहर लोहिया ने की थी जिसको अमली जामा पहनाने का काम समाजवादियों ने ही किया।
मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव जहाँ भी गए वहाँ-वहाँ साधु संत, स्थानीय नर नारी सभी उनके स्वागत में उमड़ रहे थे। महिलांए और वृद्धजन उन्हें आशीर्वाद दे रहे थे। यह संयोग ही है कि बुन्देलखण्ड की मुख्यमंत्री जी की यात्रा एक ऐतिहासिक घटना है। अगर शेरशाह सूरी ने ग्रांड टंªंक रोड के निर्माण से शोहरत हासिल की तो मुख्यमंत्री जी ने भी देश की सबसे आगरा लखनऊ एक्सप्रेस वे 6 लेन और पूर्वांचल एक्सपें्रस-वे बनाकर सड़क परिवहन को सुगम बनाया है। यही नही, इसके किनारे-किनारे किसानों के लिए मंडी स्थल भी बनाए जा रहे है और पर्यटन तथा आवासीय योजनाओं को भी प्रोत्साहित किया जा रहा है। समाजवादी पूर्वांचल एक्सप्रेस वे 348.10 किमी लंबी है। जिससे लखनऊ से बलिया की यात्रा आसान होगी। आगरा- लखनऊ एक्सप्रेस-वे से इसी साल ट्रैफिक दौड़ने के इंतजार में है। इसी तरह का एक एक्सप्रेस-वे समाजवादी पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे का प्रस्ताव है जो पूर्वी उत्तर प्रदेश को लखनऊ से जोड़ेगा जिससे नई दिल्ली और नोएडा क्षेत्र का विकास पूर्वी उत्तर प्रदेश तक पहुँच सकेगा। इस 348.10 किमी0 लंबी सड़क से दिल्ली दूर नही रहेगी। लखनऊ से बलिया कुछ घंटो में पहुँचा जा सकेगा।
बुन्देलखण्ड के दौरे में श्री अखिलेश यादव के प्रति प्रदर्शित जनविश्वास से विपक्षियों को सबक लेना चाहिए मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव के 4 वर्ष के समाजवादी सरकार के कार्यकाल में अधिकांश चुनावी वादे पूरे हो चुके है। सरकार ने कृषि अर्थव्यवस्था के साथ अवस्थापना सुविधाओं का विस्तार कर संतुलित विकास का मार्ग अपनाया है। ऐसी ताकतों को जो समाज में विघटनकारी गतिविधियों को बढ़ाती है और लोकतंत्र को क्षति पहुँचाती है उत्तर प्रदेश की सरकार से सबक लेना चाहिए। इन चार वर्षो में सरकार और मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव के प्रति भरोसा मजबूत हुआ है और विकास की नई दिशा का निर्धारण हुआ है। लोकतंत्र की असली ताकत यही है।