नई दिल्ली: वेंडरों से संबंधित सरकारी ई-मार्केटप्लेस (जेम) पर एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला का उद्घाटन आज वाणिज्य सचिव श्रीमती रीता तेवतिया द्वारा किया गया। यह प्रशिक्षण कार्यक्रम डीजीएसएंडडी, राष्ट्रीय वित्तीय प्रबंधन संस्थान (एनआईएफएम), राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस प्रभाग (एनईजीडी), सीआईआई, फिक्की, एसोचैम और एमएआईटी द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित किया गया है।
इस प्रशिक्षण सत्र में देश भर में फैले सूचना प्रौद्योगिकी, विद्युतीय सामान, परिवहन सेवाओं इत्यादि क्षेत्रों के 200 से भी अधिक आपूर्तिकर्ताओं ने भाग लिया। एनईजीडी (इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय) की मुख्य कार्यकारी अधिकारी श्रीमती राधा चौहान ने अपने भाषण में यह उल्लेख किया कि जेम की अवधारणा क्या है और इसे कैसे विकसित किया गया है। उन्होंने इस तथ्य पर विशेष जोर दिया कि जेम के तहत भुगतान प्रक्रिया को सरल एवं समयबद्ध बना दिया गया है, जिससे आपूर्तिकर्ताओं के लिए खरीदारी करने वाले सरकारी संगठनों से अपने भुगतान को समय पर प्राप्त करना आसान हो गया है।
महानिदेशक (एसएंडडी) श्री बिनय कुमार ने अपने संबोधन में कहा कि जेम पूरी तरह से ऑनलाइन है और यह उत्पादों एवं सेवाओं के लिए शुरू से अंत तक एकीकृत ई-प्रोक्योरमेंट पोर्टल है तथा कारोबार में सुगमता के साथ-साथ पारदर्शिता और दक्षता की जरूरत को ध्यान में रखते हुए ही इसे तैयार किया गया है। उन्होंने कहा कि सरकारी खरीदारों एवं विक्रेताओं दोनों के लिए आने वाले दिनों में और अधिक प्रशिक्षण सत्र आयोजित करने की योजना बनाई गई है और निर्धारित प्रशिक्षण कार्यक्रमों का ब्यौरा जेम पोर्टल पर उपलब्ध करा दिया जाएगा।
अपने संबोधन में सीआईआई के महानिदेशक श्री चरणजीत बनर्जी ने सरकारी खरीद के लिए पूरी तरह से ऑनलाइन पोर्टल सुनिश्चित करने के लिए वाणिज्य विभाग और डीजीएसएंडडी को बधाई दी, जिससे न केवल सरकारी संगठन, बल्कि विशेष रूप से आपूर्तिकर्ता और सामान्य तौर पर उद्योग जगत भी लाभान्वित होगा।
अपने संबोधन में श्रीमती रीता तेवतिया ने इस तथ्य पर प्रकाश डाला कि डीजीएसएंडडी, एनईजीडी, वित्त मंत्रालय और कई अन्य सरकारी एजेंसियों के सामूहिक प्रयासों से ‘जेम’ को पांच महीनों की छोटी सी अवधि में ही विकसित कर लिया गया है। वाणिज्य सचिव ने कहा कि जेम के जरिए सुलभ कराई जा रही पारदर्शिता, आसानी, दक्षता और समयबद्ध भुगतान की बदौलत यह आगे की राह है और यह अतिशीघ्र सरकारी एजेंसियों द्वारा की जाने वाली खरीदारी का मानक साधन (मोड) बन जाएगा। वाणिज्य सचिव ने यह भी कहा कि जेम सरकारी खरीद में बड़ा बदलाव (गेम चेंजर) ला सकता है और यह सरकार के साथ कारोबार करने में प्रवेश संबंधी बाधाओं को हटाते हुए ‘मेक इन इंडिया’ को काफी बढ़ावा देगा। श्रीमती तेवतिया ने कहा कि वैसे तो ‘जेम’ पर वस्तुओं/सेवाओं की प्राप्ति के 10 दिनों के भीतर ही विक्रेताओं को भुगतान करना अनिवार्य बना दिया गया है, लेकिन इस समयावधि को अभी और ज्यादा घटाने के प्रयास किए जाने चाहिए क्योंकि समय ही धन है और भुगतान में देरी का बोझ आखिरकार सरकार को ही वहन करना पड़ता है।
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