नई दिल्ली: प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने
ई-क्रांति: राष्ट्रीय ई-गवर्नेन्स प्लान 2.0 के दृष्टिकोण और प्रमुख घटकों को मंजूरी दे दी है। नंवबर 2014 में डिजिटल इंडिया कार्यक्रम पर सर्वोच्च समिति की पहली बैठक में लिए गए निर्णयों के सिलिसिले में यह फैसला किया गया है। यह कार्यक्रम इलैक्ट्रोनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी विभाग ने तैयार किया है।
ई-क्रांति के मुख्य उद्देश्य इस प्रकार हैं:
- कायाकल्प एवं निष्कर्ष केंद्रित ई-गवर्नेन्स प्रयासों के साथ राष्ट्रीय ई-गवर्नेन्स प्लान को पुनः परिभाषित करना
- नागरिक केंद्रित सेवाओं के पोर्टफोलियो का बढ़ाना
- प्रमुख सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी के उपयोग को श्रेष्ठतम करना
- ई-गव एप्लिेकेशन की तेजी से प्रतिकृति और एकीकरण को प्रोत्साहन
- उभरती प्रौद्योगिकियों के साथ तालमेल बिठाना
- अधिक कुशल कार्यान्वयन मॉडलों का उपयोग करना
ई-क्रांति के मुख्य सिद्धांत इस प्रकार हैं:
- कायाकल्प और अनुवाद नहीं
- एकीकृत सेवाएं और व्यक्तिगत सेवाएं नहीं
- प्रत्येक एमएमपी में सरकारी प्रोसेस रिइंजीनियरिंग को अनिवार्य करना
- मांग पर आइसीटी बुनियादी ढांचा
- क्लाउड बाई डिफाल्ट
- मोबाइल प्रथम
- तेजी से निगरानी के साथ अनुमोदन
- मानकों और प्रोटोकोल का जनादेश
- भाषा का स्थानीयकरण
- नेशनल जीआइएस (जियो-सैपेटियल सूचना पद्धति)
- सुरक्षा और इलेक्ट्रªानिक डाटा संरक्षण
ई-क्रांति डिजिटल इंडिया कार्यक्रम का महत्वपूर्ण स्तंभ है। ई-क्रांति का विजन है: ” गवर्नेन्स के कायाकल्प के लिए ई-गवर्नेन्स का कायाकल्प” । ई-क्रांति का मिशन दक्षता, पारदर्शिता और किफायती लागत पर ऐसी सेवाओं की विश्वसनीयता सुनिश्चित करते समय समेकित एवं इंटरोपेरेबल सिस्टम एवं मल्टीपल मॉडलों के जरिए सभी सरकारी सेवाएं इलेक्ट्रानिक रूप से नागरिकों के सुपुर्द करने के माध्यम से सरकार का व्यापक कायाकल्प करना है।
पृष्ठभूमि :
एनईजीपी की खूबियों, कमजोरियों, अवसरों और खतरों (एसडब्ल्यूओटी) के विश्लेषण से नई तकनीकों को अपनाने, प्रक्रियाओं में बदलाव करने और क्रियान्वयन में बेहतरी लाने से जुड़े अनेक मसले सामने आए हैं, जिन्हें तत्काल सुलझाने की जरूरत है। विशेषज्ञ समूहों की रिपोर्टों और 31 एमएमपी के क्रियान्वयन के दौरान विभिन्न मंत्रालयों एवं विभागों के साथ मिलकर काम करते वक्त इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी विभाग (डीईआईटीवाई) को प्राप्त अनुभवों से इन मसलों के बारे में जानकारी मिली है। इससे यह साफ है कि एनईजीपी की वर्तमान रूपरेखा में व्यापक सुधार करने की जरूरत है ताकि अपेक्षित बदलाव संभव हो सके। यह भी स्पष्ट है कि वर्तमान रूपरेखा की कमजोरियों एवं खतरों से विभिन्न एमएमपी के क्रियान्वयन पर अत्यंत प्रतिकूल असर पड़ता है, जिससे अपेक्षित नतीजे पाना संभव नहीं हो पाता है। वहीं, दूसरी ओर इसमें निहित अवसरों से यह पता चलता है कि देश में ई-गवर्नेंस की समूची रूपरेखा में व्यापक संशोधन करना आवश्यक हो गया है, तभी नागरिकों को बेहतर ढंग से सरकारी सेवाएं मुहैया कराने के लिए ई-गवर्नेंस की पूर्ण क्षमता का दोहन हो सकता है।
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