नई दिल्ली: केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री राधा मोहन सिंह ने आज यहाँ स्वच्छता पखवाड़ा के समापन पर प्रेस वार्ता को संबोधित कर रहे थे।श्री सिंह ने जानकारी दी कि माननीय प्रधानमंत्री के अनुदेशों के अनुसार इस वर्ष स्वच्छता पखवाड़ा 16 से 31 अक्टूबर, 2016 के दौरान कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के सभी तीनों विभागों नामत: कृषि,सहकारिता एवं किसान कल्याण विभाग, पशुपालन डेयरी एवं मात्स्यिकी पालन विभाग और कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा विभाग में मनाया गया। कार्यालय परिसर की परिधि से बाहर निकलकर इस अभियान को कृषि मंडियों, मछली बाजारों और प्रत्येक कृषि विज्ञान केंद्र के पास बसे हुए गांवों में भी संचालित किया गया। पखवाड़े के दौरान कतिपय ऐसे प्रयासों पर जोर दिया गया जो अपने आप में विविध आयामी थे जिन्हें पखवाड़ा अवधि के बाद भी जारी रखा जाएगा। इस संबंध में निष्पादित कुछ कार्यकलापों का विवरण निम्नानुसार है:
- 271 कृषि मंडियों में स्वच्छता अभियान चलाए गए। इसके अलावा, एक स्वच्छता कार्य योजना बनाई गई है जिसके तहत यह निर्णय लिया गया कि ई-एनएएम स्कीम के तहत व्यर्थ पदार्थ प्रबंधन संयंत्रों की स्थापना करने के लिए प्रत्येक मंडी को 10 लाख रूपये उपलब्ध कराये जाएंगे। यह भी निर्णय लिया गया कि कृषि,सहकारिता एवं किसान कल्याण विभाग द्वारा प्रबंधित फ्लैगशिप स्कीम नामत: आरकेवीवाई के तहत निधियों का एक प्रतिशत ठोस और तरल व्यर्थ पदार्थ प्रबंधन पर खर्च किया जाएगा। इसके अतिरिक्त, तीनों विभागों के अधीन विभिन्न कार्यालयों में सफाई अभियान चलाया गया जिनके तहत अन्य बातों के साथ प्रसाधनों में सेंसर लगाने, मोटरकृत ग्राइंडर लगाने और अवांछित अभिलेखों को निपटाने, अतिक्रमण हटाने और कार्यालयों में पड़े हुए सभी अनावश्यक पदार्थों को हटाने का कार्य किया गया। माननीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री ने स्वयं 26.10.2016 को कृषि भवन स्थित डीएसीएंडएफडब्ल्यू मुख्यालय और 18.10.2016 को चंडीगढ़ की कृषि मंडी के स्वच्छता अभियान में सक्रिय रूप से भाग लिया। अखिल भारतीय मृदा और भारतीय भू-उपयोग सर्वेक्षण (एसएलयूएसआई) जो कि डीएसीएंडएफडब्ल्यू के अधीन एक अधीनस्थ कार्यालय है, उसने स्वच्छता संबंधी कार्यकलापों में स्थानीय सांसदों/जन प्रतिनिधियों को भी आमंत्रित किया। इसके अलावा, एसएलयूएसआई, कोलकाता में एक कम्पोस्ट गड्ढे का भी उद्घाटन किया गया। मंडियों में राज्य सरकारों के सहयोग से कम्पोस्ट मशीनें लगाई जा रही हैं।
- स्वच्छ पखवाड़ा अवधि के दौरान राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों के समन्वयन में राष्ट्रीय मत्स्य विकास बोर्ड (एनएफडीडी), भारतीय मत्स्य सर्वेक्षण (एफएसआई),केंद्रीय मत्स्य नॉटिकल एवं अभियंत्रण प्रशिक्षण संस्थान राष्ट्रीय, मत्स्य फसल दोहन उपरांत प्रौद्योगिकी एवं प्रशिक्षण संस्थान, केंद्रीय तटीय मत्स्य पालन अभिनियंत्रण संस्थान में निम्नांकित कार्यकलाप किए गए:
- 15 राज्यों के 50 थोक और खुदरा मछली बाजारों की सफाई की गई तथा स्वच्छता को निरंतर बनाए रखने के बारे में भी इस अभियान के दौरान जागरूकता का प्रसार किया गया।
- मत्स्य पालन प्रभाग के अधीन सभी अधीनस्थ संस्थानों द्वारा संस्थान के भवनों और परिसरों की सफाई।
III. मछलियों की साफ-सफाई, मछली बाजारों में सफाई का रखरखाव, प्रसंस्करण में साफ स्वच्छता और विपणन प्रक्रिया आदि में सफाई तथा इश्तेहारों के वितरण के साथ पदयात्रा के अलावा जागरूकता शिविर लगाए गए।
- राज्यस्तरीय कार्यशालाएं आयोजित करना अर्थात् (।) एनएफडीबी पूर्वोत्तर क्षेत्र गुवाहटी में पूर्वोत्तर राज्यों के लिए समेकित मत्स्य फार्मिंग के जरिए व्यर्थ पदार्थों का चुर्नचक्रण (।।) व्यर्थ जल अक्वाक्लचर, नलवान, कोलकाता आदि।
- संसद के माननीय सदस्यों, पश्चिम बंगाल के राज्य मत्स्य पालन मंत्री केरल तथा तमिलनाडु के महापौरों और पार्षदों, राज्य मत्स्य पालन विभाग के वरिष्ठ पदाधिकारियों, जिला समाहर्ताओं ने स्वच्छता पखवाड़ा कार्यकलापों में सक्रिय रूप से भाग लिया। इसी क्रम में माननीय कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री श्री परषोत्तम रूपाला ने अमरेली (गुजरात) में स्वच्छता क्रियाकलापों में भाग लिया। इसके अलावा, राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों में मछली विक्रेताओं, खुदरा विक्रेताओं,निवल निर्धारकों, छात्रों, संस्थान के कार्मिकों और प्रशिक्षणार्थियों, मछुआरा समितियों के सदस्यों और आम जनता ने भी स्वच्छता पखवाड़ा के दौरान शुरू किए गए विभिन्न कार्यक्रमों में हिस्सा लिया। राज्यों/संघ राज्य क्षेत्र सरकारों की सहायता से देश भर में जागरूकता शिविर लगाए गए/स्वच्छता अभियान चलाए गए। इस संबंध में छत्तीसगढ़ के बिलासपुर और दुर्ग स्थानों पर, असम में गुवाहटी सिलचर, मणिपुर में विष्णुपुर, आंध्र प्रदेश में नेल्लोर, तमिलनाडु में कुड्डालोर और नागरकोईल, कोलकाता, बंगलौर, लखनऊ और कोच्ची में कुछ खास उल्लेखनीय कार्य किए गए।
- कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा विभाग/भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद ने 16 से 31 अक्टूबर,2016 के दौरान स्वच्छता पखवाड़े का आयोजन किया। नई दिल्ली में आईसीएआर मुख्यालय और इसके सभी 102 अनुसंधान संस्थानों और 648 केवीके ने पखवाड़े में सक्रिय रूप से भाग लिया। इस अवधि के दौरान उनके द्वारा विभिन्न कार्य किए गए जिनका विवरण इस प्रकार है- परिसरों, आवासीय क्षेत्रों, देहातों और आस-पास के स्थानों की सफाई के अलावा संगोष्ठियों,जागरूकता शिविरों, रैलियों, नुक्कड़ नाटकों और विशेषज्ञ वार्तालापों का संचालन किया गया। कृषि विज्ञान केंद्रों एवं संस्थानों के द्वारा स्वच्छता अभियान का संवर्धन 3040 गांवों में किया गया जिनमें किसानों ओर गांव के युवकों ने सक्रिय रूप से भाग लिया। ऐसे प्रयास किए गए जिनके द्वारा स्वच्छता प्रौद्योगिकियों और अभ्यासों को बढ़ावा मिलने के साथ साथ कृषिगत व्यर्थ पदार्थों का सदुपयोग किया जा सके। केंद्रीय और स्थानीय नेताओं, संस्थानों के वरिष्ठ अधिकारियों और आईसीएआरके मुख्य पदाधिकारियों ने पखवाड़े के दौरान आयोजित विभिन्न कार्यक्रमों में भाग लिया। आईएआरआई, नई दिल्ली ने अपने आवासीय परिसर के प्रत्येक खंड में सफाई निरीक्षकों के दल का गठन किया है जो प्रत्येक घर में उत्पन्न शुष्क और गीले व्यर्थ पदार्थों को वहां रहने वाले परिवारों के सहयोग से यथोचित प्रबंधन करके उनका पुनर्चक्रण करते हैं। 27 अक्टूबर, 2016 को केवीके शिकोहपुर ,(गुड़गांव) में‘कृषिगत व्यर्थ पदार्थों के द्वारा धनार्जन’ विषय पर एक विशेष संगोष्ठी का आयोजन किया गया जिसमें कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री श्री सुदर्शन भगत जी मुख्य अतिथि थे। इस अवसर पर कृषिगत व्यर्थ पदार्थों का बेहतर उपयोग करने संबंधी विभिन्न प्रौद्योगिकियों का अभिप्रदर्शन किया गया। इस अनुक्रम में जैव कम्पोस्ट, वर्मी कम्पोस्ट तैयार करने, मट्ठे,पुआल का सदुपयोग, व्यर्थ जल का पुनर्चक्रण, कपास व्यर्थ पदार्थ प्रबंधन, मछलियों के व्यर्थ पदार्थों का प्रबंधन ओर अभियंत्रण प्रौद्योगिकियां शामिल थीं। इस संगोष्ठी में 350 से भी अधिक किसानों और वैज्ञानिकों ने भाग लिया। स्वच्छ कार्यकलापों की दैनिक और अंतिम रिपोर्ट को दृष्टिगत रखते हुए आईसीएआर,मुख्यालय, आईसीएआर अनुसंधान संस्थान और केवीके के कार्यालयों के लिए घोषित प्रतियोगिताओं में श्रेष्ठ कार्य निष्पादकों को पुरस्कार दिए जाएंगे। ये पुरस्कार आईसीएआर के स्थापना दिवस पर दिए जाएंगे।
- राज्य सरकारों को सुग्राही बनाने के प्रयोजनार्थ 27.10.2016 को राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों के प्रतिनिधियों के साथ एक वीडियों कांफ्रेंस की गई। इस अवसर पर उन्हें स्वच्छता पखवाड़ा कार्यकलापों के बारे में बताया गया। उनसे यह भी अनुरोध किया गया कि वे कृषिगत व्यर्थ पदार्थों से कम्पोस्ट तैयार करने के लिए अपनी मौजूदा स्कीमों में समुचित प्रावधान करें। इसके अलावा डीडी किसान से कहा गया है कि वे इस संबंध में दो फिल्में बनायें जिनमें से एक फिल्म एनसीओएफ के ठोस पदार्थ निपटान प्रौद्योगिकी और दूसरी फिल्म आईसीएआर द्वारा विकसित द्रव व्यर्थ पदार्थ निपटान प्रौद्योगिकी पर होनी चाहिए। डीडी किसान अपने मौजूदों कार्यक्रमों में इन फिल्मों को अभिप्रदर्शन करेगा।
- नदियां स्वच्छ भारत अभियान में एक महत्वपूर्ण भूमिका अदा करती हैं। गंगा भारत में अनादिकाल से स्वच्छता और पवित्रता का प्रतीक रही है। गंगा को पुन: स्वच्छ बनाने के लिए यह जरूरी है कि गंगा के किनारे बसे गांवों और शहरों में जैविक कृषि को प्रोत्साहित किया जाए ताकि कृषि में हानिकारक कीटों, उर्वरकों और अन्य रसायनों के इस्तेमाल को कम किया जा सके। मंत्रालय ने जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्रालय के साथ 16 सितम्बर, 2016 को एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं। इस समझौता ज्ञापन के तहत उत्तराखड से पश्चिम बंगाल तक 1657 ग्राम पंचायतों के 1657 समूहों में रहने वाले लोगों को जैविक कृषि करने के लिए प्रेरित किया जाएगा ताकि संदूषक कीटनाशकों एवं रसायनिक उर्वरकों के इस्तेमाल को घटाकर यह सुनिश्चित किया जा सके कि गंगा अपनी उद्भव पवित्रता की ओर लौट गई है।
केन्द्रीय राज्यमंत्री, कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय, श्री सुदर्शन भगत, सचिव, DAC& FW, श्री एस. के. पट्टनायक, सचिव, DADF, श्री देवेन्द्र चौधरी, महानिदेशक, ICAR, डॉ त्रिलोचन मोहापात्रा भी उपस्थित थे।
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