नई दिल्लीः पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय ने 10 दिनों का प्रचालनात्मक संभावित मौसम पूर्वानुमान जारी करने के लिए दो अत्याधुनिक उच्च विभेदन (12 कि.मी.ग्रिड स्केल) भूमंडलीय एन्सेम्बल पूर्वानुमान प्रणाली (EPS) का शुभारम्भ किया है I EPS मामूली बदलाव वाली आरंभिक स्थितियों का उपयोग करते हुए अनेक प्रकार के पूर्वानुमान देता है I
भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान (IITM) पुणे, राष्ट्रीय मध्यम अवधि मौसम पूर्वानुमान केंद्र (NCMRWF) नोएडा तथा भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के वैज्ञानिकों के सतत प्रयासों द्वारा इस उन्नत सेवा स्तर को प्राप्त कर पाना संभव हो पाया है I वर्तमान समय में नया EPS फ्रेमवर्क विश्व की सर्वोत्तम मौसम पूर्वानुमान प्रणालियों में से एक है I विश्व के कुछ ही पूर्वानुमान केन्द्रों में लघु-मध्यम अवधि का संभावित मौसम पूर्वानुमान देने के लिए इस उच्च विभेदन प्रणाली का उपयोग होता है I
EPS वर्तमान मॉडलों से प्राप्त किए जा रहे मौसम पूर्वानुमान में अनिश्चितता की मात्रा परिमानिक स्तर पर सूचित करने के साथ-साथ मौसम सूचनाओं में बढ़ोतरी करेगा और संभावित (probabilistic) पूर्वानुमान उपलब्ध कराएगा I
समूचे भारत में 12 कि.मी. ग्रिड स्केल पर प्रचंड मौसमी परिघटनाओं के संभावित पूर्वानुमान से आपदा प्रबंधन प्राधिकरणों और अन्य उपयोगकर्ताओं को मौसम पूर्वानुमान की अनिश्चितता का सही सही आकलन करके आपातकालीन स्थिति में बेहतर निर्णय लेने मे मदद मिलेगी I
कृषि, जल संसाधन, पर्यटन और नवीनीकरण ऊर्जा के साथ ही अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों के लिए भी संभावित पूर्वानुमान बहुत उपयोगी रहेगा I
इन दोनों पूर्वानुमान प्रणालियों के पूर्वानुमान उत्पाद (http://nwp.imd.gov.in/gefspro.php) तथा (http://www.ncmrwf.gov.in/product_main.php) लिंकों पर उपलब्ध है I भारत मौसम विज्ञान विभाग आगे भी इन पूर्वानुमान प्रणालियों का उपयोग करते हुए उपयोगी सेवा स्तर के और अधिक उत्पाद उपलब्ध कराने का कार्य करेगा I
पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय विभिन्न उपयोगकर्ताओं को पूरे वर्ष और पूरे सप्ताह चौबीसों घंटे मौसम और जलवायु सेवाएं प्रदान करता है I इन सेवाओं के लिए प्रचालनात्मक और अनुसंधान पक्ष इसके संगठित एककों IMD, NCMRWF, IITM और भारतीय राष्ट्रीय महासागर सूचना सेवा केन्द्र (INCOIS) के माध्यम से कार्यान्वित किए गए हैं I
विगत वर्षों में इस मंत्रालय द्वारा प्रदान की गई मौसम और जलवायु सेवाओं की गुणवत्ता में काफी सुधार आया है I क्षेत्र में वायुमंडलीय और महासागरीय प्रेक्षण प्रणालियों को व्यवस्थित प्रयासों से वृद्धि, 8.0 पेटाफ्लॉप्स तक उच्च कम्प्यूटेशनल क्षमता की वृद्धि में सुधार, उच्च विभेदन वाले भूमंडलीय मॉडलों का प्रयोग और तथ्य के भारतीय और अन्तर्राष्ट्रीय उपग्रह से संग्रहित तथ्य के उपअन्तर्ग्रहण के लिए उन्नत डाटा एसिमिलेशन तकनीकों को अपनाया गया, प्रखर शोध कार्य संचालित किए गए और मानव संसाधन विकास से जुड़े कार्य निवेश करके ऐसा हो पाया है I उष्णकटिबंधीय चक्रवात फैलिन / हुदहुद, भारी वर्षा की घटनाएं और उष्ण लहर के पूर्वानुमान की सफलताएं हाल के वर्षों में किए गए पूर्वानुमान करने की क्षमता में हुए सुधार का सर्वश्रेष्ठ उदाहरण है I
पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय संचार के विभिन्न संचार प्रणालियों का उपयोग करते हुए हित धारकों को मौसम और जलवायु पूर्वानुमान का परिपालन करने के लिए और अधिक प्रभावी प्रक्रिया कार्यान्वित करने का भी कार्य कर रहा है I पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय भारत को “मौसम तैयार” राष्ट्र के रूप में बदलने को प्रतिबद्ध है I