भारत की ‘एक्ट ईस्ट’ नीति के अनुरूप और मित्र देशों के साथ सैन्य सहयोग बढ़ाने के लिए भारतीय नौसेना के पूर्वी बेड़े का एक कार्यबल अगस्त 2021 की शुरुआत से दक्षिण पूर्व एशिया, दक्षिण चीन सागर और पश्चिमी प्रशांत क्षेत्र में दो महीने से अधिक के लिए विदेशी तैनाती पर जाना निर्धारित है।
भारतीय नौसेना के जहाजों की तैनाती के पीछे सामुद्रिक क्षेत्र में बेहतर व्यवस्था सुनिश्चित करना और भारत और भारत प्रशांत क्षेत्र के देशों के बीच मौजूदा संबंधों को मजबूत करने की दिशा में मित्र देशों के साथ अभियानगत पहुंच, शांतिपूर्ण उपस्थिति और एकजुटता को रेखांकित करना है।
भारतीय नौसेना कार्य समूह में गाइडेड मिसाइल डिस्ट्रॉयर रणविजय, गाइडेड मिसाइल फ्रिगेट शिवालिक, एंटी-सबमरीन कार्वेट कदमत और गाइडेड मिसाइल कार्वेट कोरा शामिल हैं । बाद के तीन जहाज स्वदेशी रूप से डिजाइन किए गए हैं और वे हथियारों और सेंसर की एक बहुमुखी एरे से लैस हैं और रक्षा शिपयार्ड द्वारा भारत में निर्मित हैं।
इंडो पैसिफिक में तैनाती के दौरान जहाजों को वियतनामी पीपुल्स नेवी, रिपब्लिक ऑफ फिलीपींस नेवी, रिपब्लिक ऑफ सिंगापुर नेवी, इंडोनेशियन नेवी और रॉयल ऑस्ट्रेलियन नेवी के साथ द्विपक्षीय अभ्यास में भाग लेना है। इसके अलावा, वे जापान मेरिटाइम सेल्फ डिफेंस फ़ोर्स, रॉयल ऑस्ट्रेलियन नेवी और पश्चिमी प्रशांत क्षेत्र में संयुक्त राज्य अमेरिका की नौसेना के साथ बहुपक्षीय अभ्यास मालाबार -21 में भी भाग लेंगे।
प्रधानमंत्री की ‘सिक्योरिटी एंड ग्रोथ फ़ॉर ऑल इन द रीजन – सागर’ पहल को आगे बढ़ाने के लिए भारतीय नौसेना मित्र देशों और भारतीय एवं प्रशांत महासागर क्षेत्र में नियमित तैनाती करती है । इसके अलावा इस तरह के ताल्लुक ‘दोस्ती के पुल’ का निर्माण करते हैं और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को मजबूत करते हैं। यह समुद्री पहल आम समुद्री हितों और समुद्र में नौवहन की स्वतंत्रता के प्रति प्रतिबद्धता के आधार पर भारतीय नौसेना और मित्र देशों के बीच तालमेल और समन्वय को बढ़ाती है। नियमित पोर्ट कॉल के अलावा, टास्क ग्रुप सैन्य संबंध बनाने और समुद्री अभियानों के संचालन में अंतर-संचालनीयता विकसित करने के लिए मैत्रीपूर्ण नौसेनाओं के साथ मिलकर काम करेगा।