नई दिल्ली: निर्वाचन आयोग ने आगामी लोकसभा चुनाव और चार राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों के दौरान तैनान किए जाने वाले सभी तरह के पर्यवेक्षकों को चुनाव तैयारियों की जानकारी देने के लिए आज उनके साथ बैठक की। इस बैठक में पर्यवेक्षक नियुक्त किए गए भारतीय प्रशासनिक सेवा,भारतीय पुलिस सेवा,भारतीय राजस्व सेवा तथा अन्य केन्द्रीय सेवाओं के अधिकारियों ने भाग लिया। इन्हें सामान्य,पुलिस तथा व्यय पर्यवेक्षकों के रूप में नियुक्त किया गया है।
पर्यवेक्षकों को उनकी महत्वपूर्ण भूमिका समझाते हुए , मुख्य निर्वाचन आयुक्त श्री सुनील अरोड़ा ने कहा कि अधिकारियों को अपनी बेहतरीन सेवाएं देनी हैं। उनके लिए यह सुनिश्चित करने के अलावा और कोई विकल्प नहीं है कि कोई गलती न हो। श्री अरोड़ा ने कहा कि कुछ राज्यों में हाल में हुए चुनावों में किए गए अच्छे कामों के साथ ही उसने , ईवीएम-वीवीपीएटी प्रक्रियाओं के लिए निर्धारित प्रोटोकॉल का पालन करने में हुयी अनियमितताओं या मतदाता सूची से कुछ नामों के गायब होने, या वोटों की गिनती में देरी जैसी खामियों के छोटे मोटे प्रतिशत को भी संज्ञान में लिया। उन्होंने अधिकारियों से कहा कि लोकतांत्रिक प्रक्रिया को सशक्त बनाने के लिए 1950 में एक अनूठी संस्था के रूप में अस्तित्व में आने के बाद से ही निर्वाचन आयोग विभिन्न क्षेत्रों के अधिकारियों को साथ लेकर परिभाषित कर्तव्यों के अनुसार चुनाव कराने में मदद कर रहा है। उन्होंने अधिकारियों से कहा कि पर्यवेक्षकों के रूप में वे अपने दायित्वों का पूरी ईमानदारी के साथ निर्वहन करें। श्री अरोड़ा ने कहा कि बदले हुए समय के साथ चुनाव में पैसे की ताकत और सोशल मीडिया के दुरुपयोग की चितांए नई चुनौतियां पैदा कर रही हैं। उन्होंने कहा कि निर्वाचन आयोग का प्रयास न केवल स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराना है बल्कि चुनाव प्रक्रिया को पारदर्शी, स्वच्छ और नैतिक बनाए रखना भी है।
श्री अरोड़ा ने अधिकारियों से कहा कि निष्पक्ष और स्वतंत्र चुनाव सुनिश्चित करने के लिए पर्यवेक्षकों के रूप में उन्हें आयोग की आंख और कान की तरह काम करना है। उन्होंने कहा कि ऐसे समय में जबकि मतदाओं को प्रलोभन देने के लिए नित नए तरीके अपनाए जा रहे हैं व्यय पर्यवेक्षकों की भूमिका और भी अहम हो जाती है।
चुनाव आयुक्त श्री अशोक लवासा ने कहा कि पर्यवेक्षकों के रूप में सभी को आयोग के निर्देशों का कार्यान्वयन सुनिश्चित करना है। श्री लवासा ने इस मौके पर हाल ही में जारी किए गए सीविजिल ऐप का जिक्र करते हुए कहा कि इसने प्रत्येक नागरिक को सशक्त बनाने में मदद की है ताकि आचार संहिता के उल्लंघन के मामलों पर आयोग को सतर्क नजर रखने में मदद मिल सके। उन्होंने कहा कि इस ऐप की उपलब्धता ने निर्वाचन प्रणाली की देखरेख और प्रबंधन करने वाले अधिकारियों पर भी अधिक जिम्मेदारी डाल दी है। उन्होंने कहा कि कि पर्यवेक्षकों की यह जिम्मेदारी बनती है कि वह चुनाव प्रक्रिया में सभी हितधारकों के लिए पूरी सुविधाएं सुनिश्चित करें क्योंकि असलियत में पर्यवेक्षक निर्वाचन आयोग के प्रतिनिधि हैं।
दिन भर चले सत्र के दौरान उप चुनाव आयुक्तों और महानिदेशकों द्वारा चुनाव प्रबंधन के विभिन्न पहलुओं के बारे में अधिकारियों को व्यापक और गहन जानकारी दी गई। चुनाव की योजना, प्रेक्षक की भूमिकाओं और जिम्मेदारियों, मतदाता सूची के मुद्दों, आदर्श आचार संहिता के प्रवर्तन, कानूनी प्रावधानों, ईवीएम / वीवीपीएटी प्रबंधन, मीडिया की कार्यप्रणाली और आयोग के प्रमुख एसवीईईपी (व्यवस्थित मतदाता शिक्षा और चुनावी भागीदारी) कार्यक्रम के तहत मतदाता सुविधा के लिए शुरु की गई गतिविधियों पर विस्तृत विषयगत प्रस्तुतियाँ दी गईं। । पर्यवेक्षकों को मतदाताओं की सुविधा के लिए आयोग द्वारा शुरू की गई विभिन्न आईटी पहलों और मोबाइल अनुप्रयोगों के साथ-साथ क्षेत्र में चुनाव प्रक्रिया के प्रभावी और कुशल प्रबंधन से भी परिचित कराया गया। पर्यवेक्षकों को इस अवसर पर ईवीएम और वीवीपीएटी मशीनों के कामकाज की सजीव जानकारी दी गई और उन्हें यह बताया गया कि ये मशीनें किस तरह से पूरी तरह सुरक्षित, मजबूत और विश्वसनीय हैं तथा इनके साथ किसी तरह की छेड़ छेड़छाड नहीं की जा सकती । इस अवसर पर पर्यवेक्षको को आयोग द्वारा विभिन्नि राज्यों /संधशासित प्रदेशों के लिए चुनाव प्रबंधन से संबधित विभिन्न प्रकाशनों की जानकारी भी उपलब्ध कराई गई।
निर्वाचन आयोग ने पहली बार पर्यवेक्षक ऐप के नाम से नया मोबाइल एप शुरू किया है। इस ऐप के जरिए सामान्य, पुलिस और व्यय पर्यवेक्षक अपनी रिपोर्ट सीधे निर्वाचन आयोग को भेज सकते है। दूसरी ओर ड्यूटी पर रहते हुए सभी पर्यवेक्षक इस मोबाइल ऐप के जरिए चुनाव आयोग की ओर से प्रेषित की जाने वाली अधिसूचनाएं और अत्यावश्यक संदेश प्राप्त कर सकते हैं। इसके माध्यम से पर्यवेक्षक अपनी नियुक्ति के क्षेत्र के बारे में भी जानकारी हासिल कर सकते है, अपना पहचान पत्र डाउनलोड कर सकते है या उसका नवीकरण कर सकते हैं। इस ऐप के जरिए पर्यवेक्षक अपने अधिकार क्षेत्र में आने वाले सभी ई-विजिल मामलों पर भी नजर रख सकते हैं।